anju Singh

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फादर डे

फादर डे

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पिता डे क्या एक ही दिन आता है,पर ऐसा क्यो?

मै आप सभी से कुछ बोलना चाहती हूँ,और कुछ पुछना भी मेरे लेख को सभी जरुर पढे़।

आज के कलयुग मे एक नया दौर चला है ।

एक दिन पापा जी ,माँ,बहन,भाई,दोस्त सभी डे आते है ।

इस दिन मे सब अपने माता,पिता और भाई,बहन,दोस्त को बडी ही खुशी से मनाते है।

माता-पिता को आदर सम्मान और उनकी हर खुशी का ध्यान रखते है।

इस दिन माता और पिता को खुश करने के लिए उनके पसदं का खाना बनाते है।

इस दिन उनकी छोटी सी छोटी बात का ध्यान रखा जाता है।

उन्हे गिफ्ट और केक आदि ला कर देते है बच्चे।

इस दिन माता-पिता के लिए सब कुछ करने को तैयार रहते है।

क्या कोई बतायेगा कि माता -पिता का एक दिन ही क्यों बनाया गया है?

एक दिन उन्हे सारी खुशी दे कर अगले दिन उनका तिरस्कार क्यो?

फादर डे आज बडे धूमधाम सब मना रहे है।

साथ मे उनके साथ फोटो खिच कर स्टेटस पर भी लगाए है सबने 

फूल इजाँय किया जा रहा है हर कोई यही दिखा रहे है कि वो अपने माता-पिता की कितनी देखभाल करते है।

उसमे चाहे फिर सासँ हो या ससुर या माता -पिता सब का बहुत ही आदर सस्कारं किया जा रहा है।

आज ऐसा लग रहा है कि हमारी भारतीय सभ्यता और स्संकृति सभी बच्चो मे हो।

परन्तु आज के डे के बाद भी क्या ऐसा होगा।

क्या बुढे माता- पिता और सासँ- ससुर को ऐसे ही मान सम्मान मिलेगा।

जो लोग एक दिन के लिए ऐसा कर सकता है ,तो रोज क्यो नही 

माता-पिता दिवस मनाने से अच्छा है कि आप इसे मनाओ ही मत ।

अब ये सोच सबको अजीब लग रही होगी।

पर एक दिन भी क्या माता-पिता को मान सम्मान और आदर करने के लिए आना जरूरी है।

माँ और पापा जी का तो दिवस हर रोज होता है।

जब वो अपने बच्चे को खुश देखते है।

तो बेटे, बेटी और बहु जो वो एक दिन माँ और पापा जी का दिवस आने का इतंजार क्यो करते है।

मेरा मानना है कि हर पल हर छन और हर रोज माता और पिता जी का होता है।

मै नही मानती इस दिवस को एक दिन प्यार जताओ और दूसरे दिन उन्हे अपमानित करके घर से वृद्धाक्षम या गली मे ऐसे ही निकाल दो ।

अपमान के साथ -साथ उन्हे उल्टा बोलो या गालिया दो ये कहाँ की सभ्यता है।

 ये फादर और मदर दिवस मनाना बदं करो ।

इस एक दिन से कुछ नही होता है।

अगर दिवस मनाना है तो हर रोज मनाओ।

अपने माँ और पापा जी का सम्मान करो उनकी सेवा करो।

जिन्होने हमे पैदा करके इतना बडा़ किया और उनके बच्चे एक दिवस आने का इतजार करते है ।

वो तो किसी दिवस का इतजांर नही करते और निस्वार्थ प्यार और हर पल हर घडी़ हर दिन आपके साथ खडे रहते है

तो फिर लोग एक दिवस का इतजार करते है।

क्यो नही दे सकते हर रोज अपने माता-पिता को समय ,

क्यो नही करते उनका आदर सम्मान,

अगर रोज ही माता-पिता दिवस मनाया जाये तो कभी कोई माँ और पापा जी को अपमानित नही होना पडे़गा।

ना ही किसी वृद्ध माता -पिता को अपने बच्चो को छोड कर कही जाना होगा।

वो बुडे़ जरूर होते है पर फिर भी अपने बच्चो के लिए हमेशा तैयार रहते है।

इस बात को सभी समझ जाए कि माता-पिता का दिन रोज होता है।

तो किसी को भी खून के आसूँ रोने की और वृद्धाक्षाम नही जाना होगा ।

लिखने को बहूत है पर इतने मे ही समझ जाये तो आगे कि जरूरत नही।


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