जिदंगी
जिदंगी
एक दिन मैने जिदंगी से पुछा कि तु सबको इतना रुलाती क्यो है ?
तब जिदंगी ने हसं कर जबाब दिया
कि मै सबको हसाती रही तो मेरी कोई एहमियत नही रह जाती।
तब मैने पुछा ऐसा क्यों ?
तब जिदंगी ने बडी ही सरलता से कहा कि अगर जिदंगी जीना सिखना है तो परिक्षा भी लेनी होगी ना।
फिर मैने प्रश्च किया कैसी परीक्षा ?
जिदंगी बोली जब तुम पर कोई परेशानी आती है तो तुम रोना शुरु कर देते हो और मेरे को कौसते हो कि हमे जिदंगी क्यो मिली इस से तो पैदा ही नही होते तो अच्छा था।
लेकिन तुम ये भूल जाते हो अगर तुम्हारी परीक्षा नही होगी तो तुम कैसे आगे सिखोगे इस जीवन से लड़ना।
मैने कहाँ वो तो ऐसे भी सीखी जा सकती है ना ?
तो वो बोली ऐसे कैसे सीख जाऔगे जब तक जीवन का पुरा ज्ञान नही होगा तो कैसे सिखोगे।
मै बोली अच्छा तो तुम ही बताओ?
तब जिदंगी बोली एक दिन अगर खाने मे नमक ना हो तो वो अच्छा नही लगता ठीक वैसे ही जीवन मे हसीं के साथ रोना ना हो तो एसा जीवन फिका सा लगेगा ।
फिर मैने कहाँ अच्छाजी,
तो वो बोली हाँ जी जिदगी इसी का नाम है,जीवन असल मे यही कहाँ जाता है।
उसकी बात सुन कर मै चुप हो गयी और कुछ नहीं पूछा।
स्वागत है जी।