मां

मां

2 mins
432


"मां ये गाड़ी देख रही हो ना", ट्रैफिक सिग्नल के पास रुकी एक बड़े ऑफिसर की गाड़ी की तरफ कूड़ा बीनते रामू ने इशारा किया।

"हां, तो। इसे छोड़ जल्दी जल्दी बीन कूड़ा वरना जैसे जैसे सूरज चढ़ता जाएगा वैसे ही लोगों की भीड़ बढ़ती जाएगी और हमें आज फिर भर पेट खाने को नहीं मिलेगा।"

"मां सुनो तो।"

"अच्छा बोल।'

"एक दिन मैं भी ऐसी ही लाल बत्ती वाली गाड़ी में घुमा करूंगा। तुम भी चलोगी ना मेरे साथ।'

और मां ज़ोर से हंस दी पर कुछ बोली नहीं। बोलकर और हकीकत का आइना दिखा कर अपने बेटे को दुखी नहीं करना चाहती थी लेकिन मां थी ना, अपने भगवान से दिल से प्रार्थना की कि उसके बेटे की ये इच्छा जरूर पूरी हो।

उन दोनों को ही शायद नहीं पता था कि वो घड़ी कबूलियत की थी। अगले दिन ही मां ऐसी ही एक लाल बत्ती की गाड़ी के नीचे आकर मर गई। कसूर ड्राइवर का भी नहीं था। वो भी अचानक से गाड़ी के सामने आए बच्चे को बचाने के चक्कर में गाड़ी मोड़ बैठा और दुर्घटना घट गई।

रामू की तो दुनिया ही उजड़ गई। पूरी दुनिया में एक मां ही तो थी उसकी। नफरत हो रही थी उसे आज इस लाल बत्ती की गाड़ी से। वो बस फूट फूट कर रोता रहा।

वो लाल बत्ती वाली गाड़ी वाले अच्छे इंसान निकले। अपने ड्राइवर की गलती का इलाज उन्हें रामू की ज़िन्दगी संवारने में ही नज़र आया। उन्होंने रामू का दाखिला एक अच्छे स्कूल में करवा दिया और वहीं स्कूल के हॉस्टल में उसका रहने का बंदोबस्त कर दिया।

आज रामू एक अच्छे ऊंचे पद पर पहुंच गया और उसे भी लाल बत्ती वाली गाड़ी मिली है। पर आज उसके साथ उस गाड़ी में चलने वाली उसकी मां नहीं है। रामू आज फिर उसी दिन की तरह फूट फूट कर रोया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy