मां
मां
मां शब्द ही संसार की जननी है उसके लिए मैं क्या लिखूं जिसने मुझे लिखा,, कोई मुझ से पुछे रब का,, तो मैं मां लिख दूं,,।
भगवान श्री भोल शंकर और माता पार्वती जब कैलाश पर्वत पर विराजमान थे तो सभी देवतागण इकट्ठे हो कर आते हैं और कहते हैं कि धरती पर सबसे पहले किस देवता की पुजा की जाए इसका निर्णय आप कीजिए,,तब माता पार्वती कहती हैं कि इस के लिए एक प्रतियोगिता रखी जाएगी,,जो भी देवता इस प्रतियोगिता में विजयी होगा वहीं धरती पर सबसे पहले पुजनीय होगा,, सभी देवता बहुत खुश हुए और प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के तैयार हो गये,,।
माता पार्वती ने प्रतियोगिता के लिए सभी देवताओं को बताया कि सभी देवता धरती माता के सात चक्र लगायेंगे,,जो भी सबसे पहले चक्र लगा कर वापस आयेगा वही विजेता होगा,, सभी देवता चक्र लगाने के लिए अपने अपने वाहन लेकर निकल पड़े किसी के पास पुष्पक विमान था तो किसी के पास उड़न खटोला तो किसी के पास घोडा हाथी हंस और तरह तरह के वाहन थे,,। एक गणेश जी महाराज के पास तो मुसा वाहन था वह बेचारे सोच में पड़ गए,, परंतु दिमाग में सबसे ज्यादा चतुर थे,,।
उन्होंने अपनी मां पार्वती को बैठा कर सात चक्र लगाये और सबसे पहले भगवान श्री भोले शंकर और माता पार्वती के सामने आ गये और कहा कि जन्म देने वाली मां से बड़ी कोई मां हो ही नहीं सकती इसलिए मैंने ही सबसे पहले सात चक्र पुरे किए हैं,, माता पार्वती अपने बेटे की अक्लमंदी पर बहुत खुश हुई और श्री गणेश जी को विजेता घोषित किया गया और आज धरती पर सबसे पहले श्री गणेश जी की ही पूजा की जाती है,,, मां से बड़ा इस संसार में कोई है ही नहीं,,।
क्रमश,,,
