इंसानियत
इंसानियत
कहानी दो साल पहले की है मैं और मेरी पत्नी शारदा घर में ही छोटा सा क्लिनिक चलाते हैं हम दोनों ही मैडीकल प्रोफेशनल है और रिटायर है बच्चे बेटा बेटी दोनों ही शादी शुदा है और दिल्ली बड़े अस्पतालों में डाक्टर है बच्चों की जिम्मेदारी से मुक्त हो हम भी मस्त जिंदगी गुजर रहे हैं कभी बच्चे आ जाते हैं कभी हम दिल्ली घूम आते हैं मैं अपना समय मरीजों में गुजारता हूँ तो पत्नी शारदा फूल पौधों, पशु पक्षी और जानवरों को पानी पिलाने और उन की सेवा में मस्त रहती है फूल पौधों से और छोटे कुतो से बहुत लगाव है हमारी गली में एक कुतिया आती और क्लिनिक के बाहर रखे बर्तन में पानी दूध वगैरह पी जाती कुछ दिनों में कुतिया गर्भवती हो गई तो शारदा को उसकी चिंता कुछ ज्यादा होने लगी और उसके खाने पीने का पूरा ध्यान रखने लगी घर में जो मलाई से घी बनता और बाकी बचे घी और छीड़की में आटा डाल कर हलवा बना कर कुतिया को खिलाने लग गई कभी दूध रोटी, बिस्कुट डब्बलरोटी, जो भी होता उसके खिला देती और उससे खुब बात करती ज्यादा मत घुमा कर ज्यादा मत भौका कर कुतिया भी सिर हिलाती जैसे सब समझ गई। अचानक हमें बच्चों के पास दिल्ली जाना पड़ा और कई दिन लग गए शारदा को वहाँ भी फूल पौधों की और उस कुतिया की चिंता बनी रहती वापिस आने पर फूल पौधे तो जल्दी संभल गये परंतु वो कुतिया नजर नहीं आई । बेटा बहू भी आये हुए थे तो शारदा बेटे को लेकर कुतिया की खोज में निकल पड़ी और कुतिया को एक पुराने टूटे हुए मकान में पिलो (कुतिया के बच्चे )सहित ढूँढ निकाला, कुतिया के पिले बहुत सुंदर और स्वस्थ देख कर हम सब का मन बहुत खुश हुआ उन पिलो में एक अलग सा ब्राउन कलर का और माथे पर लम्बा तिलक था तो बेटे ने उसका नाम तिलकु रख दिया और उसे घर उठा लाया हैरानी तब हुई जब कुतिया पीछे पीछे आ गई और पिले को मुंह से उठा कर वापिस ले गई हम थोड़ा डर भी गए बेटा बहु वापिस दिल्ली चले गए हम भी अपने काम में व्यस्त हो गए दो दिन बाद कुतिया आई तो शारदा ने दूध रोटी दी और पिलो का हाल पूछा और साथ जा कर दूध बिस्कुट दिए तो कुतिया को समझाया कि मेरा बेटा तेरा कितना ध्यान रखता था हम तेरा बेटा ले कर आए तो तू उठा कर वापिस ले गई हमें तू प्यारी है तो तेरा पिला भी हमें प्यारा है मुँह नीचे करके सब सुन रही थी जैसे अपनी गलती मान रही हो, थोड़ी ही देर में उसी तिलकु को ले कर आ गई और शारदा के पैरो पर रख दिया, हम सब हैरान भी हुए और कुतिया की समझ पर बहुत खुश हुए ।।
हम इंसान किसी भी इंसानियत को जल्दी भूल जाते है परंतु जानवर अपनी जान देकर भी अपनी वफादारी नहीं भूलते।
