प्रीति शर्मा

Classics Inspirational Others

4.5  

प्रीति शर्मा

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मां के नाम एक बेटी का ख़त

मां के नाम एक बेटी का ख़त

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परमादरणीय प्रात:स्मरणीय मां,

हृदय की अनन्त गहराइयों से आपको नमन

यूं तो जीवन में बहुत से शिक्षकों,कवि लेखकों ने प्रभावित किया,कइयों ने मन को छूआ तो किसी-किसी ने हृदय को भिगोया।सभी का अपना स्थान है दिल-दिमाग में।किसी ने किताबी शिक्षा दी तो किसी ने जीवन के बहुत से अनुभवों से साक्षात्कार कराया।पर जिंदगी के सफर में जो राह आपने दिखाई और एक मंजिल पाने में मुझे आपकी कही बातें ही सच्ची साथी बनीं।

जीवन के तनावपूर्ण दिनों या सालों में हृदय को ढांढस बंधाया और सहन करने की शक्ति और संघर्षरत रहने का साहस दिया वो सिर्फ और सिर्फ आप कर सकतीं थीं मां।

आपकी सीख और शिक्षाओं ने मेरे जीवन में हमेशा राह दिखाई।सच्चे अर्थों में आप ही मेरी शिक्षक थीं।

शादी के बाद भी आपके पत्रों में लिखी गईं आपकी सलाहों ने एक नये वातावरण में मुझे और मेरे मन को बुझने से बचा लिया।आपकी सांत्वनाओं ने मेरी फड़फड़ाती लौ को फिर- फिर जीवनदान दिया।आपने जो पत्रों के जरिए आशावादी दृष्टिकोण बनाने में सहायता की, उसने मुझे जीवंत बनाये रखा।ये आपकी ही प्रेरणा थी जो मैं आपसे दूर रहकर भी आपको अपने हृदय के समीप पाती रही और आपके दिखाये रास्तों पर सतत् चलने का प्रयास करती रही।

 आपके मार्गदर्शन में मैंने सभी कठिनाइयों का सामना साहस और धैर्य से किया और एक सुखी जीवन का आगा़ज़ किया।आपके पत्र हमेशा-हमेशा मेरे प्रेरणास्त्रोत रहे,यहां तक कि जब एकबार मेरे पति के हाथ आपका एक पत्र लगा तो आपके प्रति उनकी नाराज़गी भी जाती रही।आपने अपनी बेटी को दूर रहकर भी जो हिदायतें दी,वो काम आई।

आज आपको गये पांच वर्ष होने वाले हैं लेकिन आपके पत्र मैं अभी भी जब तब निकाल कर पढ़ लेती हूं और एक अलौकिक अनुभूति का अहसास फिर से पा लेती हूं।

चाहे मैंने आपको कोई कहानी,कविता जैसा कुछ लिखते नहीं देखा पर स्कूल में या किसी सभा आयोजन में भाषण आदि जरूर देते सुना था।ये लेखन का गुण आपसे ही पाया शायद मैंने।आपके वो पत्र अनमोल धरोहर हैं मेरे लिए।

आपको सदैव अपने चित्त में बसाये हुये।

आपकी अपनी संस्कारित बेटी।


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