"आनलाईन इश्क तेरी तू जाने"
"आनलाईन इश्क तेरी तू जाने"


जन्मदिन पर नया-नया फोन मिला था स्नेहा को। प्रसन्नता की कोई सीमा नहीं थी। बहुत दिनों से मम्मी से उसकी यही एक मांग होती थी कि वह उसे एक मोबाइल दिला दें सभी सहेलियों के पास हैं और कालेज की पढ़ाई में भी मदद होती है। उसे अपनी सहेलियों की मदद लेनी पड़ती है। आज जाकर आखिरकार उसकी तमन्ना पूरी हुई।
फ़ुरसत पाते ही उसने सबसे पहले मोबाइल को देखना शुरू किया। कौन-कौन से फीचर्स हैं?अभी वह देख ही रही थी कि छोटा भाई आगया और उसे उसकी बहुत सी जानकारियां जो स्नेहा को नहीं थीं देने लगा। ह्वाट्स एप, फेसबुक,जरूरी एप डाउनलोड कर स्नेहा ने अपने जन्मदिन की फोटो भी फेसबुक पर लोड कर दीं। रात बहुत हो गयी थी और सुबह जाना था तो खुशी खुशी स्नेहा सो गई।
कालेज में तो उसे देखने का समय नहीं मिला, अतः घर आते ही उसने सबसे पहले फेसबुक खोली। बहुत सी नोटिफिकेशन आईं हुईं थीं। उसकी फोटो की बहुत तारीफ के साथ ही बहुत सी फ्रैंड रिक्वेस्ट भी थीं। वह सभी का धन्यवाद करने लगी। कुछ परिचित थे तो कुछ अपरिचित। फ्रैंड रिक्वेस्ट में लड़कियों के एक दो नाम ही थे, ज्यादातर लड़के ही थे। वह अब इतनी नासमझ भी नहीं थी कि एकदम अंजान से दोस्ती करले। बहुत से धोखाधड़ी के किस्से भी उसने सुना रखें थे। अतः उसने अपने मन को रोका।
लेकिन ज्यादा दिन तक वह अपने पर काबू ना रख पाई।
दो-तीन लड़कों की तारीफ और हाय, हैलो, नियमित आने लगी। उसका दिल मचलने लगा, हाय हैलो में क्या समस्या है? उसने उनका प्रोफाइल देखा और रोमेन नाम का लड़का जो लखनऊ का दिख रहा था और डाक्टर की पढ़ाई कर रहा था, को हाय का जवाब, सुप्रभात से दे दिया। उसे लगा, ये एक तो अपने शहर का नहीं, दूसरा इसका कैरियर बनाने पर फोकस है तो यहां वह सेफ है।
स्नेहा हर रोज उत्सुकता से फेसबुक खोलती पर उसे बदले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई दी। लगता है पढ़ाई में बिजी हैं तो रोज फेसबुक नहीं देखता होगा। स्नेहा अपने मन में बुदबुदाई।
लगभग एक हफ्ते बाद रविवार को जब उसने देखा तो उसे बहुत लम्बा मैसेज वहां दिखा।
हाय!
आप कैसे हैं?
एग्जाम के कारण हम आपका मैसेज नहीं देख पाये। आपने हमारी हाय का जवाब दिया, शुक्रिया।
आप बहुत अच्छे दिखते हैं। हम आपसे दोस्ती करना चाहते हैं। क्या आप कुबूल करियेगा?
आपका पहला पहला
फेसबुक फ्रेंड।
रोमेन
स्नेहा जैसे उत्साह से भर गई। एक अनजान प्रतीक्षा जो समाप्त हुई। उसे ऐसे लगा जैसे वह रोमेन को
बहुत दिनों से जानती है। वह जल्दी से जवाब देने लगी।
तारीफ़ के लिए शुक्रिया। हमने भी आपको दोस्त मानकर ही हाय बोला है। आपको कैसे पता कि हमने आपको ही पहला मित्र बनाया है।
इतना लिखकर स्नेहा को लगा कि अब ज्यादा नहीं लिखना चाहिए और उसने मैसेज बन्द कर दिया।
इस तरह धीमी शुरुआत ने फिर मैसेजों के जरिए बातों ने गति पकड़ ली। इस सबके बावजूद स्नेहा ये सावधानी बरतती कि वह सिर्फ रविवार को मैसेज करती और अपने घर के बारे में या व्यक्तिगत बातें कम ही करती। कालेज, पढ़ाई, समाज आदि की कुछ बातें कर उसे जैसे ही लगता कि वह कुछ ज्यादा खुल रही है, अपने पर ब्रेक लगा देती।
और फिर रोमेन पूछता कि क्या उससे कुछ भूल हुई। तब वह पढ़ाई का बहाना कर टाल जाती। वास्तव में वह सावधानी भी बरतना चाहती थी और रोमेन से लगाव महशूस कर अपने को ज्यादा दिन रोक भी नहीं पाती थी।
इसी तरह एक साल गुजर गया। एक दिन वह कक्षा में कुछ उदास थी और उसकी सहेली नीना साथ ही थी। नीना ने उससे उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि रोमेन का पिछले पन्द्रह दिन से कोई मैसेज नहीं आया। नीना पहले तो ये सुनकर हैरान हुई और उससे सारी जानकारी मांगी। स्नेहा ने उसे सारी बात बता दी और मोबाइल पर रोमेन की फोटो भी।
नीना समझ गई कि ना चाहते हुए भी स्नेहा आनलाइन ही रोमेन के प्रेम में पड़ गई है।
ये इश्क भी क्या है ,बिन मिले, बिन देखे भी दिल में घर कर लेता है।
नीना ने कहा वह रोमेन को चैक करेगी ,उससे पहले स्नेहा बात आगे ना बढ़ाये।
इसके चार दिन बाद ही स्नेहा के घर दो बुजुर्ग दंपति पहुंच गये। स्नेहा के मां-बाप को अपना परिचय दिया और बताया कि उनके पोते ने अभी अभी डाॅक्टर की जाॅब ज्वाइन की है और आपकी बिटिया उसे पसंद है तो अगर आप राजी हों तो हम अपने बेटे के लिए उसका साथ चाहते हैं।
स्नेहा के मां-बाप को समझ नहीं आया कि वो क्या कहें, बिना जाने समझे, या देखें वह कैसे फैसला ले सकते हैं। उन्होंने उन्हें बिठाया और फिर विस्तार से सारी जानकारी ली। स्नेहा तो घबरा गई कि जब मां पापा को उसकी रोमेन के साथ बातचीत के बारे में पता लगेगा तो वह क्या कहेंगे?
आधे घंटे बाद जब बेल बजी तो उठकर स्नेहा ही दरवाजा खोलने गई।
दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे। आनलाइन प्यार रूबरू हो रहा था।
इश्क! तेरी तू ही जाने
हम सब तो तेरे निशाने।
जिस पर चाहे साध
जिसको लगा ठिकाने। ।