प्रीति शर्मा

Children Stories Romance Inspirational

4.5  

प्रीति शर्मा

Children Stories Romance Inspirational

तेरा साथ है तो

तेरा साथ है तो

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प्यार एक खूबसूरत भावना है, जिसकी कोई परिभाषा नहीं या यूं कहो कि प्यार को परिभाषित ही नहीं किया जा सकता क्योंकि यह हर व्यक्ति इसे अलग तरह से महसूस करता है।चाहे प्यार परिवार, दोस्तों या प्रेमियों के बीच हो,या किसी अनजाने रिश्ते में।यह एक ऐसी अनूठी भावना है जिसे सब कोई अलग-अलग तरीकों से अनुभव करता है।कब कौन प्यार में कैसे बंध जाये उसे खुद ही पता नहीं लगता। 

वैसे स्टोरीमिरर ने भी क्या विषय चुना!वाह भई वाह।प्रेम का महीना है। बसंत अपने पूरे जोर पर है और फाग आ चुका है। ऐसे में बातें प्यार मुहब्बत की न हों तो क्या मजा.... और इन प्यार मुह़ब्बत के किस्सों में प्रेम के तराने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शेरोशायरी तो इश्कवालों के लिये नियामत है और अपने हाले-दिल को सुनाने का सबसे प्यारा जरिया। बहुत विशेष यादें हर किसी की जुड़ी होंगी, लताजी और रफीसाहब के गानों के साथ।

जब प्यार में डूबे होंगे

दो दिल हँसी एहसास के साथ। 

ज़मीं पर बैठे हाथों में हाथ लिये

नजारा आसमां का होगा। 

आंखों के आगे सितारे होंगे

और ख्वाबों में कोई चांद होगा ।।

पर जरूरी नहीं कि शादी से पहले ही प्यार मुह़ब्बत इश्क हो जाये।और अघवगर हो भी जाये तो किनारा शादी के बाद ही मिलता है। शादी के बाद जो मुह़ब्बत होती है आहिस्ता आहिस्ता वह तन से होकर रूह में समा जाती है।जहां एकदूसरे के बिना पूर्णता मुकम्मल नहीं होती।दोनों मिलकर एक दिखते हैं और अकेले-अकेले अधूरे....

रेडियो पर गाना चल रहा था और किचन में काम करते हुये रवीना गीत के बोलों में अपनी प्रेममय भावनाओं को सुर दे रही थी। 

तुम साथ हो तो... मुझे क्या कमी है...

मेरी जिन्दगी में... ना कोई गमी है...

है रोशन जहां और ...रोशन शमां है...

एक मैं हूं और ........दूजा जहां है...

अगर...गाते गाते रवीना रुक गई।उसकी सोच जुबान से होते हुए मन तक चली गई। सच में किसी का साथ मिल जाए जीवन में तो उसको क्या कमी हो सकती है।सभी मुश्किलों मुसीबतों को किसी का साथ पाकर कोई भी झेल सकता है, मुकाबला कर सकता है, जैसे उसने किया। 


  बड़े मुश्किल वक्त में रोहन ने उसका हाथ पकड़ा था।कॉलेज में साथ पढ़ता रोहन सिर्फ साधारण सी जान- पहचान तक ही सीमित था लेकिन जब एक्सीडेंट में अचानक रवीना के मम्मी पापा दोनों नहीं रहे और उस समय रवीना बिल्कुल अकेली हो गई तो जैसे एक साधारण सी जान-पहचान को उसने सच्ची मित्रता में बदल दिया।रोहन ने उसको अकेला,परेशान देखा तो हमेशा एक सच्चे दोस्त का फर्ज निभाया। रवीना को उस समय एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो उसके अकेलेपन में और दुःख की घड़ी में पूरी तरह से उसको सपोर्ट कर सके,सहारा दे सके।

रोहन ने यह सब बहुत अच्छे से किया। महीने दो महीने में रिश्तेदार सब अपनी अपनी घर गृहस्थी में रम गये। अचानक से माता पिता के बिना एक लड़की का हमारे समाज में तन्हा रहना इस सारे जहां में आसान नहीं।      

भाग-दौड़ करके रोहन ने ही उसके पिता की जो भी जरूरी कार्य थे, पैसे या सर्विस सम्बन्धी वह सब पूरे किए और जहां जहां से जो भी सहायता मिल सकती थी, वह सब उसे दिलवाने की कोशिश की। पिछले एक साल के रोहन के इस साथ ने रवीना को उसका प्रशंसक बना दिया। जिस तरीके से उसका ध्यान रखता था,उसकी हर मुश्किल में साथ खड़ा हो जाता था।रवीना के दिल में उसने अपने लिए एक सम्मानीय स्थान प्राप्त कर लिया था। 

दोनों का ही बी.टैक. फाइनल ईयर था और रोहन को पहले ही सर्विस मिल गई थी।इतने दिनों में रोहन भी रवीना के काफी करीब आ गया था। रवीना के लिये कोमल भावनायें महशूस करने लगा था। रवीना को कैसे बताये, कहीं वह गलत न समझ ले.... इसी कश्मकश में था। कहीं उसकी दोस्ती पर ही कोई आंच ना आ जाये या रवीना उसे गलत समझ ले... 

आज वैलेंटाइन था और उसे लगा कि इससे अच्छा अवसर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का कोई और नहीं। अपनी सर्विस की खुशी में उसने रवीना को होटल में पार्टी के लिये बुलाया था और फिर उसने रवीना से कहा, *वह उसे कुछ कहना चाहता है।इजाजत है... ?"

रवीना ने उसको आज कुछ अलग तरीके से बात करते देखा तो कह दिया "इसमें पूछने की क्या बात है...?" पर अन्मदर ही अन्दर ही अन्दर उसे अहसा़स हुआ कि रोहन आज कुछ और ही है और अनजाने अहसा़स से उसकी धडकनें तेज हो गयीं.. कहीं... 

रोहन ने उसके सामने अपनी भावनाएं रख दीं। यह कहते हुए कि वह यह ना समझे कि उसने उसकी मुसीबत में सहायता की है और इसका वह फायदा उठाना चाहता है या उस पर कोई दबाव बना रहा है। वह सिर्फ अपनी इच्छाएं अपनी भावना जाहिर कर रहा है कि वह रवीना को बहुत पसंद करता है, अगर रवीना भी उसे पसंद करती है तो आगे...

रोहन की बात सुनकर रवीना मौन रह गई पर उसके गाल शर्म से गुलाबी हैगये और कनपटियां गर्म हो गयीं।धडकनों ने जैसे रफ्तार पकड ली थी जिन्हें वह काबू में करने की कोशिश कर रही थी। 

एहसास तो उसे था लेकिन इतने स्पष्ट तरीके से रोहन उसे इस बात को कहेगा, इसका अंदाजा उसे नहीं था।अपनी बात पूरी कर रोहन ने उसको कहा कि वह अपने मम्मी पापा को उसके पास भेजेगा,अगर उसकी हां है तो उनको बता दे।

उसके बाद दोनों चुप रहे और रोहन उसे घर छोड़कर चला गया पर मोटरसाइकिल पर उसके पीछे बैठी रवीना ख्वावों खयालों में गुम रही। 

  रवीना ने सारी रात इस बारे में सोचा और यही निष्कर्ष निकाला कि रोहन से अच्छा जीवन साथी उसे कोई नहीं मिलेगा जिसने निःस्वार्थ जब उसको जरूरत थी उसका साथ दिया, सहारा दिया और वह सारे फर्ज निभाये जो एक अच्छा दोस्त, सच्चा साथी या पति निभा सकता था। रिश्तेदार तो सिर्फ दो-चार दिन के ही थे और शादी तो उसे करनी ही है तो फिर क्यों ना जो उसे चाहता है और जिसको वह जानती है,उससे ही करे।उसके बारे में सोचते हुये आज रवीना का नजरिया बदल गया था। उसे लगने लगा थाकि वह स्वयं उससे प्यार करने लगी थी लेकिन अभी तक इसका अहसा़स नहीं था।रोहन के इजहार ने उसके मन के तारों को छेड़ दिया था और प्रेम का संगीतमय झरना दिल में बहने लगा। जब वह सोई तो आँखों में रोहन का उससे अपने प्यार का इजहार करता चेहरा था और होठों पर मुस्कुराहट।

अगले दिन शाम को जब रोहन के मां-बाप आए तो रवीना ने सिर झुकाकर हां कर दी।दस दिन के अंदर ही दोनों की साधारण तरीके से कुछ खास रिश्तेदारों की मौजूदगी में शादी हो गई।आज दोनों सुखी दांपत्य जीवन जी रहे हैं।

  मां-बाप की तस्वीर के सामने रवीना खड़ी थी उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे।कहते हैं भगवान एक हाथ से देता है तो दूसरे से छीन लेता है या कहो कि कहीं कमी करता है तो कहीं पूर्ति करता है। सुख-दु:ख में सन्तुलन बनाकर रखता है। मां बाप की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता पर अगर रोहन ने साथ ना दिया होता उस समय तो ..... पता नहीं आज वह किस हाल में होती..! मन ही मन में उसने प्रार्थना की कि सभी लड़कियों को ऐसा ही जीवन साथी मिले जो हमेशा उनका साथ निभाए और उन्हें सच्चा प्यार और सम्मान दें। उसने आंखें बंद कर ईश्वर को धन्यवाद दिया ।

भई अब किसके लिए कामना हो रही है.......  क्या हम आप की पहली पसंद नहीं हैं...?

पीछे से रोहन की आवाज सुनाई दी।

रवीना ने मुड़कर देखा और रोहन के सीने से लग गई।

" मैं तो ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि सभी को तुम्हारे जैसा ही जीवन साथी मिले।पहले से दशवे नंबर तक बस तुम ही तुम हो...मेरे जीवन में और मुझे हर जन्म में तुम ही मिलों।"

 और ग्यारहवे पर..... रोहन ने उसकी आंखों में झांका और रवीना ने शरमाकर अपना मुंह उसके सीने में गड़ा़ दिया।इश्क इश्क से मिल रहा था। 



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