sonal johari

Tragedy

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sonal johari

Tragedy

मालवन में 'वो'

मालवन में 'वो'

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जगह :-मालवन इलाका ..(गोवा से 145 किलोमीटर की दूरी पर बसा एक क्षेत्र)

-रात के 12 बज रहे होंगें,काली, सुनसान रात में कोई भी दूर- दूर तक नहीं दिख रहा था..बस्स.थोड़ी बूंदा -बांदी हो रही थी..अचानक तेज़ कदमों के भागने की आहट ने सुनसान साँय- साँय करते वातावरण में वारिश की बूंदों की लय बिगाड़ दी ...


एक तैंतीस- चौतीस साल के एक लड़के ने उसी सुनसान सड़क पर तेज़ क़दमों से भागते हुए प्रवेश किया...वो अपने दोंनो हाथों से एक मटमैला सा थैला पकड़े हुए था , जिसे उसने अपने सीने चिपकाया हुआ था..और.अंदर की ओर धँसी हुईं उसकी आंखे भय से अतिरिक्त रूप से खुली हुई थीं..और वो पूरी ताकत से भागे जा रहा था.....और लगभग 4 से 5 लोग उसका पीछा कर रहे थे....

"तेज़ भागो..कम्बख्तों...तेज़ भागो...पक..ड़ो उसे .." उस लड़के का पीछा कर रहे एक थुल थुल पेट वाले आदमी ने अपने साथ भाग रहे लड़के से कहा..ये सुनते ही बाक़ी के चारों गुंडो के भागने की स्पीड और बढ़ गयी....

अब लड़का भी तेज भागने लगा था..कुछ देर बाद थकान से उसकी साँस उखड़ने लगी थी, बहुत देर से आगे भागता हुआ वो लड़का समंझ गया कि अब ज्यादा दूर भागना संभव नहीं, उसके पैर लडख़ड़ाने लगे थे, और वो थक गया था, उसने आसपास अपनी नजर दौड़ाई तो उसे अपने दायीं ओर काटों की झाँकर दिखी, और उसने अपने सीने से चिपकाया हुआ वो मटमैला सा थैला उसी झाँकर के पीछे फेंक दिया..और आगे की ओर भाग गया...अब कुछ गुंडे उसके पीछे और कुछ उन झाँकरो में उसका फेंका हुआ थैला ढूंढने लगे ...

"साले...कितना भगाएगा...(आहह) मार दिया भगा भगा कर"

एक हट्टे -कट्टे से गुंडे ने उसे पकड़ते हुए गुस्से में बोला..वो लड़का अब छूटने के भरसक प्रयास करने लगा..इतने में बाकी लोग भी उस लड़के के नजदीक आ गए..और एक ने उस लड़के के पेट पर एक लात मारते हुए उसकी की गर्दन को दबोच लिया..

"उस्ताद, थैला नहीं मिल रहा .."इतने में काँटो की झाँकर में लड़के द्वारा फेंका गया थैला ना मिलने से खीजते हुए वो दोंनो चिल्लाए ..

इतना सुनते ही , मोटे से एक गुंडे ने अपने बढ़े हुए पेट पर ऊपर तक खिसक आयी टी शर्ट को और ऊपर उठाया और एक तेज़ धार वाला चाकू निकाला और आगे बढ़कर उस लड़के की गर्दन पर चला दिया..."आह" की आवाज उस लड़के के मुँह से निकली और वो गिर गया..,"स्साले..बहुत होशियार है ना तू...कुत्ते बोल..क्यों फेंका तूने थैला वहाँ..बोल" उस मोटे आदमी ने बोलते हुए एक झापड़ और रसीद कर दिया उस लड़के के मुँह पर

"मैं तो कहता हूँ इस हरामजादे से ही ढूंढ़वा लेते हैं " दूसरा गुंडा अपना निचला होंठ दांत से दबाते हुए बोला

"ना ..इसे मिला तो क्या ये हमें देगा? ..तू इसे सम्भाल मैं ढुढ़वाता हूँ..(फिर बचे लोगों को ताली बजाकर बुलाते हुए) आओ रे सब इधर जल्दी" और सब मिलकर थैला ढूँढने लगे,उस लड़के की गर्दन पर पास खड़े गुंडे ने चाकू रख लिया था..

थोड़ी देर में वो मोटा वाला गुंडा चिल्लाया " मिल गया..मिल गया थैला...चल तेजा चलते हैं"

तेजा वही था जो उस लड़के की गर्दन को दबोचे ख़ड़ा था,जैसे ही वो हटा, वो लड़का अब गुस्से से भर उठा,और उसने तेजा का पैर पकड़ उसे गिरा दिया,"मेरी सारी मेहनत की कमाई है ये ..नहीं ले जाने दूँगा" और ये बोलने के साथ ही उसने तेजा पर घूँसों की बरसात सी कर दी, ये देख वो मोटा गुंडा दौड़ता हुआ पास आया और उस लड़के की पीठ पर पूरी ताकत से लात दे मारी..फिर बचे तीनों गुंडे एकसाथ उस लड़के पर टूट पड़े..बहुत पिटने से अब वो लड़का बेसुध सा हो गया और हाथ जोड़कर बोला "मैं हाथ जोड़ता हूँ तुम लोगों के ये पैसे..ये पैसे मेरी माँ के ऑपरेशन के लिए हैं.. भगवान के लिए रहम कर दो मुझ पर" वो घिंघया कर बोला..मोटे गुंडे ने उसे पैर से ठेल दिया और सब भागने लगे..वो लड़का उठा, और रही बची हिम्मत बटोरकर पास ही पड़ा एक पत्थर उठाकर उसने अँधेरे में ही उन गुंडो की ओर उछाल दिया!

"आह" की आवाज आई,वो पत्थर उन में से किसी एक को लग गया था ..गुस्से में फुंफकारता हुआ तेजा दौड़ते हुए उसकी ओर आया और उसने "हरामजादे.." गाली देते हुए पूरी ताकत से एक लात उस लड़के को जमा दी..गुस्से में बची हुई ताकत बटोर उस लड़के ने तेजा के मुंह पर एक चांटा जड़ दिया..जिससे तेजा तिलमिला गया और उसने अपनी जेब से एक चाकू निकाल उस लड़के की ओर बढ़ा दिया और मोटे गुंडे के "ना.ना..रुक जा तेजा" लेकिन तेजा नहीं रुका और एक के बाद एक चाकू के कई वार उस लड़के के पेट मे कर दिए..लबलबा कर खून बह निकला और लड़का "आ.....ह ' की आवाज के साथ जमीन पर लुढक गया....तेजा हाथ में चाकू लिए अब भी हांफ रहा था...मोटे गुंडे ने अपनी दो उंगलियां लड़के की नाक के पास ले जाते हुए कहा "ये मर गया है..साले तुझसे मना किया था ना..क्या जरुरत थी बेकार में इसे मारने की" वो तेजा पर चिल्लाया

"हरामी ने मुझे चांटा मारा...मुझे" तेजा की गुस्सा अब तक नहीं थमी थी...

"भाई..अब इस लाश का क्या करना है" उनमें से एक बोला..

"फेंक दो साले को नाले में' मोटा गुंडा बोला,और दो लोगों ने उसे उठाकर पास के नाले में फेंक दिया..

".चलो रे सब यहाँ से जल्दी " वो मोटा गुंडा बोला और सब उस सड़क से भाग गए...एक तेज़ बिजली चमकी...और मूसलाधार वारिश शुरू हो गयी...


***

गोवा के कराकास बीच पर समुद्र के किनारे वो टखने की लंबाई तक की गुलाबी स्कर्ट के साथ हरे रंग की टॉप पहने समुन्द्र को निहार रही थी कंधे तक की लम्बाई वाले उसके बाल उड़ उड़ कर उसके चेहरे पर आ रहे थे,उसकी मोटी बादामी आँखे आंसुओं से भीगी हुई थी तेज़ हवा का झोंका आया और उसके गले में पड़ा स्कार्फ उसकी आँखों पर आ गया उसके पैर कांपे, वो लड़खड़ा गई और गिरती इससे पहले ही उसे किसी की मजबूत बाँहो ने थाम लिया..उसकी आँखो में भरे आँसू उसके गालों से लुढकते हुए गर्दन तक आ गए, और उसके पतले होंठ हिले

"अर्जुन.." उसके मुँह से निकला

"बस्स..बहुत हुआ ..ये लो (एक लगभग 12 इंच का बैग खिसकाते हुए ) तुम्हारे दिए हुए सारे गिफ्ट ..तो सब खत्म हुआ" 33 साल के अर्जुन के चेहरे पर तल्खी आ गयी थी..अपना मुँह घुमा कर उसने अपने दोनों हाथ अपने ट्राउजर की दोनों जेबों में डाल लिए थे

"अर्जुन..मैं नहीं जी पाऊँगी तुम्हारे बिना.." वो पीछे से उसके दोनों कन्धे पकड़ते हुए बोली,

"मेरे बिना ही तो जी पाओगी ..मंजरी..उस राहुल के साथ" माथे पर बल डाले अर्जुन ने अपने दांत भीचते हुए कहा,

"कितनी बार कहूँ तुम्हें गलतफहमी हुई है अर्जुन, बस्स आने वाले प्रोजेक्ट को लेकर हम बात कर रहे थे.." अब वो नीचे बैठ गयी थी,

"मीटिंग रियली ...?.तुम मुझे इतना बेबकुफ़ समझती हो" अर्जुन उसकी आँखो में आंखे डालते हुए चीख कर बोला,

"अर्जुन...क्या अनाप शनाप बोल रहे हो" मंजरी भी गुस्से में बोली,

"यूं गर्लफ्रेंड की तरह चिल्लाना बन्द करो..मंजरी..क्योंकि अब हमारा कोई रिश्ता नहीं" कहते हुए उसने दो कदम बढ़ाए ही होंगें कि मंजरी दौड़ कर उसके आगे आ गयी,

"नहीं इतना गंदा मत सोचो अर्जुन, उसने कहा आने वाला प्रोजेक्ट बहुत कॉन्फिडेंशियल है हम पब्लिक प्लेस पर बात नहीं कर सकते इसलिए मैं उसके घर चली गयी थी..बस्स इतनी सी बात के लिए हमारा रिश्ता तोड़ दोगे तुम..? कितना प्यार करती हूँ मैं तुमसे जानते हो ना" ?

मंजरी उसके फॉर्मल ब्लेज़र के कॉलर पर हाथ रखते हुए बोली तो अर्जुन ने उसका हाथ झटक दिया और कुछ कदम आगे बढ़कर बोला

"सौ बातों की एक बात बताओ मंजरी..क्या मैंने तुम्हें नहीं बताया था कि राहुल का सीक्रेट क्रश है तुम पर...बोलो",


"हाँ ..बताया था" दोंनो हाथो से अपना स्कार्फ पकड़कर उसने अपना सिर स्वीकृति में हिलाया,


"फिर तुम क्यों गयी उसके पास, है कोई जवाब"? अर्जुन उसकी बांह पकड़ कर बोला,गेहुँए रंग पर लम्बी उठी हुई अर्जुन की नाक अब गुस्से में लाल हो गयी थी, और सिर के तीन इंच लम्बे बाल हवा की वजह से उसके माथे पर बिखर गए थे..,


"हां... है, ये सोच कर गयी कि क्या बिगाड़ लेगा वो मेरा,वो मुझे चाहता है तो चाहे, मुझे इससे क्या ..और फिर ये प्रोजेक्ट मेरे लिए बहुत जरूरी है अर्जुन" मंजरी की आवाज भी तेज हो गयी थी,


"प्रोजेक्ट के लिए नहीं..तुम गयी अपनी सुंदरता की तारीफ सुनने, मजा आता है ना जब सामने से कोई तारीफ करता है, सो भी वो जिसका क्रश हो तुम पर." बोलते हुए उसने अपनी काली आँखे सिकोड़कर थोड़ी छोटी कर ली थीं,


मंजरी ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया

"प्रोजेक्ट के लिए तुम उसके घर चली गयी..मेरे मना करने के बाबजूद..अगर वो कहे प्रोजेक्ट के लिए उसके बेड तक जाना जरूरी है, फिर क्या उसके बेड तक जाओगी"?


"अर्जुन ..."मंजरी चीखी, आंखे लाल हो गयी थी उसकी..वो मुँह खोले हांफ रही थीरह रह कर पानी भी शोर मचा रहा था,

"नहीं ..तुम मेरी आँखो में और धूल नहीं झोंक सकती..मैं नहीं रह सकता इस रिश्ते में..सब खत्म मेरी तरफ से..ठीक अभी और इसी वक्त से" वो तेज़ी से आगे बढ़ गया,


"ऐसा मत कहो अर्जुन..मुझे माफ़ कर दो प्लीज़" मंजरी अपने हाथ जोड़ते हुए बोली,


"नहीं मंजरी..उसके घर जाकर तो तुमने सारा मामला ही साफ कर दिया.." वो झुंझलाया,


"मुझे नहीं पता था कि तुम इतने परेशान हो इसे लेकर ,छोड़ दूँगी जॉब..अर्जुन....बहुत प्यार करती हूँ मैं तुमसे, और सिर्फ तुमसे ..अच्छा अब तुम जैसा कहोगे वैसा ही करूँगी..लेकिन मुझे छोड़ कर मत जाओ अर्जुन, ...अर्जुन प्लीज़.."


वो उसके पीछे पीछे दौड़ती हुई बोली, लेकिन अर्जुन लग्भग भागता सा अपनी कार तक पहुंचा, बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर चला गया.....मंजरी वहीं घुटनों के बल बैठ गयी..दोंनो हाथो से अपना चेहरा ढँक कर देर तक रोती रही..फिर उठी अर्जुन का लाया हुआ बैग उसने बीच पर ही छोड़ दिया ..और पैदल देर तक यूँ ही चलती रही..


"भैया सुसाइट पॉइंट कितनी दूर है यहां से ..सुना है वहाँ आसपास का लोकेशन बहुत अच्छा है ..वही चलो " एक कपल में से लड़का अपने साथ लायी हुई टैक्सी के ड्राइवर से बोला

'ओहहो..कुछ भी खास नहीं वहाँ .. चपोरा फोर्ट चलो ना" इस बार वो लड़की बोली,

मंजरी ने मन में कहा ' तुम्हारे बिना कैसी जिंदगी अर्जुन, घर मे तक सबको बता दिया है कि कोई है मेरी जिंदगी में..अब क्या जवाब दूँगी..तुम्हारे बिना कैसे जीऊँगी अर्जुन..कैसे जीऊँगी.....अब क्या ..करूँ..'


"दीदी मैंने और मेरे बेटे ने, 2 दिन से कुछ नहीं खाया कुछ दे दो दीदी" एक भीख माँगती औरत मंजरी के आगे आकर खड़ी हो गयी,


मंजरी ने एक नजर उसकी गोद मे बैठे बच्चे पर डाली ..जिसके चेहरे पर धूल लगी थी...और वो चमकती आँखो से उसी की ओर देख रहा था..मंजरी ने अपना पर्स खोला ..जिसमे दो- तीन ए. टी. एम. कार्ड्स के अलावा ढाई हजार रुपये कैश थे..ना जाने क्या सोचकर पाँच सौ का एक नोट छोड़कर उसने दो हजार रुपये उस औरत को पकड़ा दिए, उस औरत के पीले दाँत अब खुशी से बाहर निकल आये .खुशी से उसका चेहरा खिल उठा जैसे ही वो जाने को मुड़ी, "रुको" कहकर मंजरी ने रोक दिया,

और अपनी उंगलियों से दो सोने की अँगूठियाँ निकालकर उस औरत को पकड़ा दी..वो महिला चौंक गई..तभी मंजरी ने अपने गले मे पड़ी सोने की चैन भी उतारी और उस औरत को पकड़ा दी..और खुद को ठेलती सी आगे बढ़ गयीऔरत आंखे फाड़े अवाक सी मंजरी को देखने लगी..

मंजरी कही खोई सी आगे बढ़े जा रही थी, थोड़ी देर बाद एक शांत सी जगह पर ऊंची टूटी फूटी दीवार पर खड़ी होकर उसने पानी के बहाव पर नजर डाली, आंसुओं से भीगा चेहरा आसमान की ओर उठाया और दोनो हाथ जोड़कर बोली ...."मुझे माफ़ कर देना माँ..भगवान मेरी माँ का ख्याल रखना..अजय तो अपना ख्याल खुद रख सकता है लेकिन मेरी माँ नहीं ..आज खत्म करती हूँ ये जीवन..(फिर रोते हुए) शायद मेरे मरने के बाद तुम्हें मेरे सच्चे प्रेम का यकीन हो अर्जुन" उसने आंखे बंद की..खुद को तैयार किया..अब वो पानी में कूद कर आत्महत्या करने के लिए तैयार थी..............

.............................क्रमशः.................


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