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Junaid chaudhary Mj

Romance

3  

Junaid chaudhary Mj

Romance

लव सेक्स और धोखा

लव सेक्स और धोखा

21 mins
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"तो कल तू कॉलेज आ रही है न?"

"हाँ" मायरा ने कहा, "ठीक है कल कॉलेज में बात होती है।"

"चल बाय"कह कर मेने कॉल कट कर दी।


मेरा नाम समर है, मैंने हाल ही में अपनी उम्र के 21वे साल में कदम रखा,ढेर सारी उमंगें,ढेर सारी उम्मीदों के साथ,ये उम्र होती ही ऐसी है, लगता है पूरी दुनिया रंगीन है। मैं अपने घर की इकलौती लड़की हूँ। भाई कोई नही है। और पापा का इंतेक़ाल हुये ज़माना बीत गया। पापा रेलवे में थे। उनकी पेंशन से ही घर चलता है। मेरी माँ खुद पढ़ी हुई नही थी!लेकिन पढ़ाई की एहमियत उनकी रग रग में थी। इसी लिए लाख परेशानियां होते हुये भी उन्होंने मेरी पढ़ाई पर कभी आंच नही आने दी,


अगले दिन मैं कॉलेज थी। तभी मायरा की कॉल आयी! कॉल पर वो दूसरी तरफ ज़ारो कतार रो रही थी। मै समझ गयी कुछ गलत हुआ है।लेकिन फिर भी पूछने लगी क्या हुआ मायरा ।उसने रोते रोते बताया कि पापा नही रहै। मेरी भी आँखों से आंसू टपकने लगे। यतीम होना क्या होता है में अच्छे से जानती थी।मैंने पूछा क्या हुआ ? कैसे, मायरा ने बताया पापा को अटैक आया था फज्र में। तभी हॉस्पिटल लेकर आये!पर डॉ० ने मना कर दिया! ये बताकर मायरा ने कॉल काट दी!


 मै कोलेज से सीधा हॉस्पिटल गयी। मायरा को हिम्मत बंधाई! थोड़ी देर बाद सारी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद डॉक्टर्स ने अंकल की बॉडी हमे सोंप दी!मायरा के भाई ने कहा तुम मायरा को लेकर घर प हूँचो हम आ रहै हैं। रास्ते में मैने अम्मी को कॉल कर के बता दिया कि मायरा के अब्बू नही रहै! अम्मी भी मायरा के घर प हूँच गयी! रिश्तेदार आने शुरू हो गए!अब पूरे घर में सिर्फ औरतों के रोने की आवाज़े सुनाई दे रही थी। ऐसे में खुद को संभालते हुये मैं सब की आओ भगत में लग गयी। 4 घण्टे यूं ही बीत गए!मायरा के भाई ने आवाज़ देकर बुलाया और कहा आगरा से कुछ मेहमान आये है।ज़रा उन्हैं पानी वगेरह पिला आओ। जब में पानी की ट्रे लेकर रूम में प हूँची तो वहाँ एक अधेड़ उम्र की औरत और एक खूबसूरत नौजवान कंधे पर बैग टांगे खड़ा था!मैने सलाम करा और उस लड़के से कहा आप बैग उधर रख दीजिए।और पानी पी लीजिये!उसने एक भरपूर नज़र मुझ पर डाली। और बैग कोने में रख कर सोफ़े पर बैठ गया!उसका गोरा चेहरा गर्मी और थकान से लाल हुआ पड़ा था!पानी देते वक़्त उसकी उंगलियां मेरी उंगलियों से टकराई। मुझे तो मानो जैसे करंट लग गया हो!मैं झेंपती हुई जल्दी से बाहर निकल गयी! और दूसरे कामो में मशगूल हो गयी!अचानक से किसी ने मुझे आवाज़ दी!"एक्सक्यूज़ मी। ये बाथरूम किधर है ?" ये वही लड़का था। मेने उसे बाथरूम की तरफ इशारा करते हुए कहा वो रहा! नहाने के बाद भी उसे जो पूछना होता मुझसे ही पूछता रहा!थोड़ी ही देर में अंकल की मय्यत को ग़ुस्ल देकर उन्हैं ले जाया गया!अब रोने की आवाज़े और तेज़ हो गयी!मायरा मुझसे गले लिपट कर रोती रही!और में उसे चुपाने के साथ साथ खुद भी रोये जा रही! आखिरकार जिसे जाना है वो जाकर ही रहैगा! अंकल को सब लोग दफना कर आ गए।सब लोगो को खाना खिला कर में भी वापस आ गयी! थक तो चुकी ही थी। सीधे रूम जाकर फ़्रेश हुई और बिस्तर पकड़ लिया!लेटे हुए उस लड़के का चेहरा बार बार सामने आने लगा। मासूम चेहरा सवाली आँखे रौब दार आवाज़! सोचते सोचते मेने खुद को झिड़का !और मायरा के बारे में सोचते हुए सो गयी।सुबह होते ही में फिर मायरा के घर चली गयी! अधिकतर मेहमान जा चुके थे। जो दूर के चुनिंदा थे सिर्फ वही रह गए थे। उनमें वो भी था।"मैंने मायरा से पूछा ये कोन है ? " मायरा ने बताया ये हमारी चाची का लड़का फैज़ है। और वो जो इसके साथ हैं वो चाची हैं। 

पर इसे पहले तो नही देखा कभी.. मैने कहा! इस पर मायरा ने बताया ये 10 साल बाद आया है यहाँ!लेकिन तू इतना सब क्यों पूछ रही है? मैने कहा कुछ नही। बस ऐसे ही!सारा दिन उस की छुरी जैसी नज़रे मुझ पर चलती रही! जब हमारी नज़र टकराती तो वो हल्का सा मुस्कुरा देता !शाम को में मायरा की छत पर चली गयी! पीछे से फ़ैज़ भी प हूँच गया!कुछ देर खड़ा रहा फिर कहने लगा आप सुबह से काम में लगी हुई हैं!थकी तो नहीं? मेने बिना उसकी तरफ देखे कहा! हाँ में ओरो की तरह नहीँ जो बस सारा दिन बेठ के ओरो को देखती रहूं। मेरी इस बात पर वो हँसा और कहने लगा "अरे वाह . अलीगढ़ की लड़कियां तो बड़ी हाज़िर जवाब हैं! हमने देखा था फक़त शोक ए नज़र की खातिर.. ये न सोचा था के तुम दिल में उतर जाओगी"। उसकी इस बात का मेरे पास कोई जवाब न था। मैं झेंपती हुई नीचे मायरा के पास चली गयी। अगले दिन सुबह वो आगरा जाने की तैयारी कर रहा था। मैने उसकी तरफ देखा और पूछा अच्छा तो आप जा रहै हैं । उसने उदासी से मेरी तरफ देखा और कहा हाँ। फिर हल्के से मेरे कान के पास मुँह कर के बोला मैने फ्लावर पॉट में तुम्हारे लिए कुछ छोड़ा है! में सवाली आँखों से उसकी तरफ देखती रही।


और उसने बैग टाँगा और अपनी माँ को लेकर चला गया! में जल्दी से उसके कमरे में गयी और फ्लावर पॉट में हाथ डाला। वहाँ एक पेपर पर उसका न० लिखा हुआ था। और नीचे लिखा था मुझे तुमसे ज़रूरी बात करनी है। भीड़ भाड़ में मौका नही मिला।मुझे तुम्हारी कॉल का इंतज़ार रहैगा। मेने वो पर्ची हाथ में छुपा ली। और घर ले गयी। इस बात को दस दिन बीत गए। मेने कोई कॉल नही की। 12वे दिन मेने मायरा को पूरी बात बताई और वो पर्ची दिखाई। मायरा ने कहा यार में फैज़ को ज़्यादा अच्छे से तो नही जानती। पर जितने दिन वो यहाँ रहा बहुत तमीज़ के साथ रहा। सब से बहुत प्यार से बात कर रहा था! इस पर मैने कहा हाँ यार लड़का तो अच्छा लगा मिजाज़ का। छिछोरा नही था! तो फिर में कॉल करू? मेने मायरा से पूछा! मायरा ने कहा हाँ क्यों नही। मेने न० मिलाया 890933**** .. दूसरी ही रिंग में उसने कॉल रिसीव कर ली!। हैल्लो . कोन ।उधर से आवाज़ आयी!। जी में समर- मेने कहा! अरे यार समर तुम्हारी कॉल का कितने दिनों से इंतज़ार कर रहा हूँ। पता भी है मोबाइल को दिन रात सीने से लगाये घूम रहा हूं। चार्जिंग में भी लगाता हु तो मोबाइल के पास बैठा रहता हुं। वो एक सांस में बोलता ही गया! मेने पूछा आपको क्या ज़रूरी बात करनी थी ? दूसरी तरफ कुछ सेकंड के लिए सन्नाटा हो गया! फिर वो कहने लगा ! समर तुम बहुत मेहनती लड़की हो। बहुत सादी और मासूम भी। तुम जब घर में लहराती ज़ुल्फें लिए काम करती दुनिया से बेखबर घूमती थी तब में बस तुम्है ही देखा करता था।तुम्हारे चेहरे की मुस्कान पर तुम्हारी आँखों का ख़ाली पन भारी था। तुमने कहा था न के और लोग बेठ के तकते रहते है! में तुम्हारे चेहरे को पढ़ता रहता था !वेसे मेरे लिए ये सब कहना इतना आसान नही है। पर अब नही कहा तो बहुत देर हो जायेगी! देखो समर मेने हमेशा से ही ऐसी लड़की की चाहत की है जो मेरे घर को संभाल सके।मुझे फैशनेबल लड़कियां नही पसंद। मुझे जिस तरह की लड़की पसंद है तुम बिलकुल वैसी ही हो।सादा मिजाज़। समर। में। ममम। में तुमसे निकाह करना चाहता हुं। हाँ ये निकाह जल्द बाज़ी का फैसला नही होता!तुम जितना चाहै वक़्त ले सकती हो।ये ज़िन्दगी भर का मुआमला है! तुम्हारी हाँ और न दोनों में मेरी रज़ा होगी।बाकी रिलेशनशिप मे मुझे कोई इंटरेस्ट नही! में चुप अपनी आँखे बड़ी कर के उसकी सुनती रही और मायरा कन्फ्यूज़ हो कर मुझसे पूछ रही क्या हुआ? मेने कॉल कट करी और मायरा से कहा यार ये तो प्रपोज़ कर रहा है!वो भी निकाह के लिए ! मायरा ने कहा ये तो अच्छी बात है!कम से कम गर्लफ्रेंड बनाने को तो नही बोल रहा! मायरा मुझे आधे घण्टे समझाती रही। बता उसने तुझसे कोई गलत बात की इन तीन दिन में ! या तूने उसे मोबाइल पर चैटिंग या कॉलिंग करते देखा किसी से ? नही न। इसका क्या मतलब है। कि लड़का सिंगल है और सही है! और ज़ाहिर सी बात है तू भी इतनी क्यूट और सिम्पल है!तुझसे कोन निकाह नही करना चाहैगा! में अपनी ख्याली शक्ल लिए मायरा के घर से निकल गयी। ये कह कर के मुझे सोचने दे! प्रपोज़ल तो मुझे इस से पहले भी काफी मिले थे। पर किसी ने यूं मेरे चेहरे को पढ़ा नही था!किसी ने यूं मेरे अंदर झाँका नही था! में अंदर से टूटी हुई थी और मुझे माँ के सिवा प्यार किसी से मिला नही था!शायद यही वो है जो मेरे अकेलेपन को दूर करेगा!शायद यही मेरा राजकुमार बनेगा! यही सब सोचते हुये मेरे दिल में म्यूजिक बजने लगा!में उठी और बहुत देर तक खुद को शीशे में निहारती रही! क्या वाक़ई में इतनी खूबसूरत हूँ के फैज़ ने पहली बार में ही निकाह की पेशकश रख दी! फिर दिल से आवाज़ आयी और नही तो क्या!खेर ख्याली पुलाव पकाते पकाते जब काफी देर बीत गयी तो अम्मी ने आवाज़ देकर मेरा पुलाव खराब करा। और कहा आज कमरे में ही घुसी रहैगी क्या!जब कॉलेज नही गयी तो काम में थोड़ा हाथ बंटा दे! में खुद पर हस्ती हुई अम्मी के पास किचन में चली गयी! अगले दिन मेने फैज़ को कॉल की! उसने कॉल उठाते ही खुशनुमा अंदाज़ में कहा केसी हो समर! मेने कहा अच्छी हूँ! उसने कहा जवाब का क्या हुआ ? मेने कहा में पहले तुम्है परख लु।जान लु!फिर कुछ फैसला करुँगी! इस पर फैज़ ने कहा ।जितना चाहै वक़्त ले लीजिए मोहतरमा।पर जवाब हां में होना चाहिए! नही तो आपकी अम्मी से हम आपको चुरा ले जायँगे!और फिर ज़ोर से हँस दिया! धीरे धीरे हमारी रोज़ बात होने लगी! अब प्रपोज़ल के हाँ या न कहने की ज़रूरत नही थी!क्योंकि दोनों समझ चुके थे कि दोनों तरफ से इज़हार है! रात को सोने से पहले रोज़ हम 2 से 3 घण्टे बात करते! जब में फैज़ से बात करती तो दुनिया को भूल जाती। वो बड़ी प्यारी शख्सियत था। प्यारी प्यारी बाते करता!एक बार उसने रात को बात करते वक़्त कहा यार समर मुझे तुमसे मिलना है! मेने कहा दिल तो मेरा भी है। पर कैसे।

उसने कहा में परसों अलीगढ़ आ जाता हूँ। तुम कॉलेज का बहाना कर के निकल जाना। फिर वही किसी रेस्तरॉ में मिल लेंगे! मेने कहा तुम मेरी फ़िक्र मत करो में तो आ ही जाऊंगी अगर तुम आ गए तो! इस पर फैज़ ने कहा बेफिक्र मेरी जान। समझो मंडे में पक्का आरहा हूँ में! आखिरकार मंडे सुबह ही वो ट्रैन से अलीगढ़ आ गया। 10 बजे वो मेरे कॉलेज प हूँच गया! ब्लैक शर्ट ब्लू जीन्स में वो कमाल लग रहा था।मुझे देखते ही उसके चेहरे पर ऐसे ख़ुशी आ गयी जैसे प्यासे को सहर मिल गया हो। हम दोनों कुछ देर खड़े एक दूसरे को देखते रहै।फिर उसने ही ख़ामोशी का सिलसिला तोडा!। कही घूमने चले मेडम या यही खड़ा रखेंगी सारा दिन। मैने कहा चलो! ऑटो को इशारे से रोका और कहा भैया हैंगआउट ले चलो। हैंगआउट में कुछ कपल बैठे हुए थे! एक लड़को का ग्रुप बेठा हुआ था। हमने एक कॉर्नर का काउच लिया और बेठ गये!हलकी आवाज़ में म्यूज़िक बज रहा था! हम्म शायद ए आर रहमान का गाना था! ऐसे न देखो ।जैसे पहले कभी देखा ही नही। फैज़ की हालत भी कुछ ऐसी ही थी! वो बस देखे जा रहा था! इस बार ख़ामोशी का सिलसिला मेने तोड़ा। और पूछा घर सब ठीक। उसने हाँ में सर हिलाया और कहा आँखे बंद करो! मेने कहा क्यों ? उसने कहा बन्द तो करो। में समझ गयी ये शायद गिफ्ट ले कर आया है। लेकिन अंजान बन कर आँखे बंद कर ली! उसने पूछा क्या में हाथ पकड़ सकता हु तुम्हारा ? मेने कहा हाँ क्यों नही। बिलकुल। उसने मेरे हाथ को पकड़ा और जेब से चाँदी की पायलें निकाल कर मेरे हाथ पर रख दी! पतली पतली स्टाइलिश पायलें . उसकी पसंद भी उसी की तरह खूबसूरत थी! अब आंख बंद कराने की बारी मेरी थी! मेने उसको पर्स और टाई दी! हम लोग 2 घण्टे साथ में बैठे रहै!पर उसने मुझे टच करने की भी कोशिश नही की। अब चलने का वक़्त हो गया। फैज़ ने बिल पे करा और हम ज़ीने से नीचे उतरने लगे!फैज़ आगे था और में पीछे! फैज़ अचानक रुक गया! मैने आगे बढ़ कर देखा तो एक कपल ज़ीने में किस कर रहा था। मेने शरारत भरी नज़र से फैज़ की तरफ देखा तो उसने शर्मा कर नज़रे झुका ली! हैंग आउट से में घर आ गयी। और फैज़ आगरा के लिए रवाना हो गया! घर प हूँचते ही मेने मायरा को कॉल की और बताया यार लड़का बहुत बहुत अच्छा है। मायरा ने पूछा क्यों भयी? मैने मायरा को पूरी बात बताई के इतना लंबा सफर करने के बाद भी उसने मुझे बिना वजह टच तक नही करा। और ज़ीने में एक लड़का लड़की किस कर रहै थे! वहा मैने उसे मुस्कुरा कर देखा तो वो शर्मा गया!।हाय मेरी जान मायरा में क्या बताऊँ शरमाते हुए वो कितना क्यूट लग रहा था!। इस पर मायरा भी हँसी और बोली आखिर भाई किसका है! खेर फैज़ ने घर प हूँचते ही कॉल की और अपनी सलामती की खबर दी! फैज़ से मिलने के बाद से अब हमारा प्यार उफान चढ़ने लगा था!रोज़ाना हम रात को कॉल पर घंटो बतियाते रहते! यूँ ही 3 महीने बीत गये! मेने फैज़ से कहा यार मेरा बहुत मन है तुमसे मिलने का! फैज़ ने कहा यार में अब किसी रेस्तरॉ में नही मिलूंगा । मेने कहा क्यों ? फैज़ ने कहा क्योंकि यार वहाँ सब घूर घूर के देखते है! और ज़ीनों में उलटी सीधी हरकते करते है! इस पर मैने हँस कर कहा तो जनाब कहाँ मिलेंगे आप ? फैज़ ने कहा होटल में रूम बुक कर लेंगे एक! वही मिलेंगे! मैने पहले कुछ देर सोचा फिर हाँ कह दिया। क्योंकि फैज़ बहुत शर्मीला और अच्छा लड़का था! और उसके साथ रूम पर जाने में कोई खतरा नही था! जो बंदा हाथ तक नही पकड़ सकता खुद से वो और कुछ क्या करेगा!

खैर अगले दिन ही फैज़ बैग लेकर आगया! मेने पूछा आज बैग कैसे ? फैज़ ने कहा हम टूरिस्ट बन कर होटल में चेक इन करेंगे!झूट मूट के हबी और वाइफ बन कर! मेने कहा ओह हो!झूट मूट के क्यों! में तो हमेशा के लिए तैयार हूं। उसने कहा हा बट अभी तो निकाह नही हुआ न।तो झूट मूट के ही सही! मेने कहा चलो ठीक है! रूम में जाने के बाद में बेड पर बैठ गयी।फैज़ ने बैग कोने में फेंका और मेरी गोद में सर रख कर लेट गया! में उसके बालो में उंगलिया फहराने लगी!और वो आँखे बन्द कर के इस लम्है को मेहसूस करने लगा। 5 मिनट बाद वो उठा । मुझे बेड से उतारा!अपनी जेब से एक रिंग निकाली और घुटने पर बैठ गया! और फ़िल्मी स्टाइल में मुझसे कहने लगा। समर में तुम्है बहुत चाहता हु। हर वक़्त तुम्है ही सोचता हूं!आई लव यू समर!आई लव यू सो सो सो मच! में चेहरे पर बड़ी सी स्माइल लिए उसे देखती रही फिर हाथ आगे बढ़ा दिया। उसने मेरी ऊँगली में रिंग पहनाई और मेरे बिलकुल क़रीब खड़ा हो गया! उसकी सांसे की सरसराहट मुझे अपने लबो पर महसूस हो रही थी! उसका चेहरा धीरे धीरे मेरे क़रीब आ रहा था!मेने अपनी आंखें बंद कर ली। शायद वो भी इसी इंतज़ार में था!उसने मेरे होंटो पर अपने होंठ रख दिए।मेरी सांसे बंद हो गयी। जिस्म ठंडा पड़ गया। धड़कन तेज़ हो गयी और रुआ खड़ा हो गया! मेने उसे हाथ से पीछे धकेला ! वो पीछे हटा ...मेरी तरफ देखा और फिर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड पर बैठा दिया। और अपने हाथों में मेरा चेहरा पकड़ कर कहने लगा क्या हुआ मेरी कट्टो को? मेने कहा कुछ नही बस मुझे डर लग रहा है! उसने मेरे माथे पर किस करा और कहा मैं हूँ न! हमेशा के लिए तुम्हारे साथ! तुम्हारे सारे ग़म मेरे है।और मेरी सारी खुशियां तुम्हारी है। उसकी इन बातों से दिल को बड़ा सुकून मिला। धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे के आगोश में खो गए! हमने वो सब करा जो सोचा भी नही था! तन्हाई में दो जवां जिस्म एक दूसरे में इस तरह समा रहै थे कि हवा को भी हमारे बीच आने की इजाज़त न थी! फैज़ हमे 3 घण्टे हो गए !अम्मी फ़िक्र कर रही होंगी! मेने फैज़ को असली दुनिया में लाते हुए कहा! उसने शर्ट उठाते हुए कहा हाँ अब तुम्है घर जाना चाहिए! हमने रूम से चेक आउट करा! फैज़ ने मुझे रोड पर हग करा और कहा अच्छा जाता हूं!मेने कहा जाता नही जा के आता हूं! उसने कहा हाँ हाँ वही मेरी जान! में घर आ गयी लेकिन 5 घण्टे बीत जाने के बाद भी फैज़ की कोई कॉल न आयी। मेने कॉल की और पूछा खेरियत से प हूँच गये फैज़ ? उसने कहा हां ।थक गया हु थोड़ा ज़्यादा।इसी लिए कॉल नही कर पाया! मेने कहा कोई नही बेबी आप आराम करो !। मेरी दीवानगी इस सब के बाद फैज़ के लिए और बढ़ गयी! लेकिन फैज़ अब कॉल पर बहुत कम बात करता! अक्सर कहता कि में बिजी हु!में घण्टो उसके फ्री होने का इंतज़ार करती।मेरी हालत उसके इंतज़ार में बिन पानी की मछली जैसी हो जाती। पर वो कॉल बैक नही करता। आखिर मे में ही फिर कॉल करती और अपनी नाराज़गी का इज़हार करती! बदलें हैं उनके अंदाज़ कुछ इस अंदाज से.. अब बड़े अंदाज़ से वो हमें नज़रंदाज़ करते हैं। कुछ दिन यु ही चलता रहा! दिन में 3/4 घण्टे बात करने वाला फैज़ अब 3/4 मिनट बात करना पसंद नही करता था। मैंने गुस्से में उस से लड़ाई कर ली!और कहा आखिर मेरी गलती क्या है!क्यों तुम मुझे इग्नोर कर रहै हो! क्या मेरे साथ सोते ही मेरी वैल्यू ख़त्म हो गयी है तुम्हारी नज़रो में ? शायद फ़ैज़ भी मेरे गुस्से के इंतज़ार में था!उसने कहा तेरी वैल्यू थी ही कब मेरी नज़रो में।मुझे अकेला छोड़ दे। मुझे तुझसे कोई बात नही करनी है!मेरी ज़िन्दगी से दूर चली जा! मेरा खून खोलने लगा और मैने कहा अब में कही नही जाऊंगी! जब तुमने सारे मज़े ले लिए तो चाहते हो के में तुम्हारा पीछा छोड़ दू!तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ! फैज़ ने कहा .क्या सारे मज़े मेने ही लिए !तुमने मुझसे मज़े नही लिए ? क्या मेने ज़बरदस्ती की तुम्हारे साथ ? क्या वो सब बिना तुम्हारी मर्ज़ी के हुआ। जो मुझे चाहिए था वो तुमने मुझे दिया तो क्या मेने तुम्है वो नही दिया जो तुमको चाहिए था!। बस तो हिसाब बराबर!इसमें इतना हाइपर होने की क्या बात है!ये मॉडर्न एरा है! मेने कहा मेने तुमसे सच्ची मोहब्बत की! और तुम भी तो करते थे। वो कसमे वो फिकरे वो निकाह के वादे ।क्या हुए वो सब!क्या वो सब झूट था? फैज़ ने कहा . वो वक़्त की ज़रूरत था!मेने पहले तुम्हारा दिल खुश करा फिर तुमने मेरा दिल खुश करा! देखो न तो तुम पहली हो और न आखरी।तुमसे पहले बहुत आयी और तुम्हारे बाद भी बहुतो को आना है। सो मेरा दिमाग खराब करना बंद करो! नही तो तुम्हारी खेर नही!। उसका धोका देना और मेरा धोका खा जाना.. हाँ ये भी मोहब्बत थी मेरी! फैज़ का एक एक लफ्ज़ मेरे कानों में गर्म शीशे की तरह पिघल कर मेरे दिमाग की नसों को फाड़ रहा था! कॉल क्ट चुकी थी। में बिस्तर पर निढाल पड़ी ज़ारो कतार रो रही और खुद की किस्मत को कोस रही थी! किन किन राफ़ाक़तों के दिए वास्ते.. .. उसको न याद आयीं पुरानी मोहब्बतें । रोते रोते दो घण्टे बीत गए। मेने फिर फैज़ को कॉल की! उसने कहा अब क्या है ? समझ नही आता है तुझे एक बार में? मेने कहा तुम अगर मुझसे निकाह नही करोगे तो में तुम पर बलात्कार का केस कर दूंगी!और फिर तुम ज़िन्दगी भर के लिए जेल में सड़ोगे और बदनामी अलग होगी! इस पर फैज़ हँसा और कहने लगा.. अच्छा तो तुम केस फाइल करोगी!उसके बाद उस केस की सुनवाई होगी!तुम्है पता है वकील तुमसे कैसे केसे सवाल पूछेगा! तुम्हारी माँ भी वहाँ मौजूद होंगी। क्या तुम उनके सामने जवाब दे पाओगी ! मेने कहा से शुरु करा। कैसे शुरू करा !कितनी देर करा!उस वक़्त कितने कपड़े तुम्हारे जिस्म पर थे! बस करो फैज़!तुम इतने गिर जाओगे मेने सोचा भी नही था! और में हिचकियो से रोने लगी!।


फैज़ ने कहा जिन लड़कियों के बाप भाई थे वो मेरा कुछ नही उखाड़ सकी। तू यतीम है!कहाँ तक कोर्ट कचहरी करेगी! जो हुआ उसे एक खूबसूरत ख्वाब समझ कर भूल जा!नही तो तेरी इतनी बदनामी करूँगा के कोई और तुझसे शादी के बारे में सोचेगा भी नही ।ये कह कर उसने फिर कॉल काट दी! कोन किसी का होता है सब झूठे रिश्ते नाते है सब दिल रखने की बाते हैं सब असली रूप छुपाते हैं एहसास से खाली लोग यहां लफ़्ज़ों के तीर चलाते हैं! पूरी रात मुझ पर पहाड़ जैसी गुज़री! सुबह अम्मी ने आकर उठाया और देखा तो मेरी आँखें लाल पड़ी थी। अम्मी ने कहा क्या हुआ मेरे लाल! मेने कहा कुछ नही अम्मी बुखार था!अब ठीक हूँ! अम्मी ने नाश्ता कमरे में ही करा कर दवाई खिला दी!और प्यार से लिटा कर सर दबाने लगी! में सोच में गुम हो गयी मेरी माँ ने इतनी परेशानियों के बावजूद मुझे कितने नाज़ों से पाला।कभी पापा की कमी महसूस नही होंने दी।पूरी आज़ादी दी। भरोसा करा!मेने उनका भरोसा तोड़ा!उन्हैं ये सब पता लगा तो कितनी ठेस प हूँचेगी उनके दिल को!मेने गोदी से सर उठाते हुए कहा अम्मी में मायरा के पास जा रही हु। मुझे कॉलेज के लिये फाइल बनानी है! काफी मना करने के बाद अम्मी मान गयी। मेने मायरा से जाकर कहा तेरी दोस्त बर्बाद हो गयी मायरा! तेरा भाई कमीना निकला!और में फूट फूट कर रोने लगी। मायरा ने बमुश्किल मुझे चुप कराया और पूछा क्या हुआ!मेने उसे पूरी बात बताई तो वो भी शॉक्ड हो गयी!और कहने लगी फैज़ ऐसा तो न था!और तू उसके साथ रूम पर गयी और ये सब काम करा और तू आज बता रही है मुझे!। मेने कहा मुझे माफ़ कर दे!में बहक गयी थी मायरा ।मुझे माफ़ कर दे। मुझे इस दलदल से निकाल दे मायरा ।नही तो में खुदखुशी कर लुंगी!। तू पागल तो नहीं हो गयी है मायरा ने कहा!तेरे बाद तेरी अम्मी का क्या होगा जो सिर्फ तेरी ही वजह से जिंदा है! तू सब्र रख कुछ न कुछ हल ज़रूर निकल आयेगा! मेने मायरा से कहा फैज़ ने मुझे बताया था इसके खालू सरपंच हैं!और आगरा में 4/5 मोहल्लो के फैसले वही करते है। उनसे बात करे? मायरा ने कहा हाँ उनका न० मेरे पास है। तू उनसे बात कर के देख । मेने कॉल मिला दी ! उधर से किसी लड़के ने कॉल रिसीव करी! मेनो हैलो सुनते ही कहना शुरू करा! आपके भांजे ने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी है!में सबको बन्द करवा दूंगी!नही तो मेरा इंसाफ कर दो आप!। उस लड़के ने कहा आप कौन बोल रही हैं और किस से बात करनी है! मेने कहा हाजी ज़हीर से बात करनी है। उस लड़के ने कहा और ये ज़िन्दगी बर्बाद करने वाली बात किस की कर रही है आप? मेने कहा फैज़ की! उस लड़के ने कहा पापा अभी नहा रहै है!अगर तुम्है वाक़ई शिकायत करनी है तो ज़रा तमीज से पेश आना उनसे। और उन्हैं ये धमकी वगेरा मत देना!नही तो बात सुन ने से पहले ही फ़ोन कट जायगा! ये कह कर उसने फोन रख दिया!। 5 मिनट बाद उधर से कॉल आयी। इस बार कोई आंटी बोल रही थी। उनहोंने बड़े प्यार से पूछा बेटा क्या बात है तू मुझे बता ! मेने कहा अंकल से बात कराये आप! आंटी ने कहा वो यही बेठे है। तुम मुझे पूरी बात बताओ! मेने जब उन्हैं शुरू से लेकर पूरी बात बता दी तो उन्होंने कहा अभी इंतज़ार करो और कॉल कट कर दी!। 15 मिनट के बाद फिर उधर से काल आयी!इस बार आवाज़ भारी और रुआब दार थी!उन्होंने कहा लड़की जो इलज़ाम तू फैज़ पर लगा रही है क्या तेरे पास कोई सबूत है इसका ? मेने कहा उस का सबूत नही मेरे पास!लेकिन मेरे और फैज़ के बहुत सारे फोटोज़ मेरे पास है! और अब वो मुझसे शादी को मना कर रहा है!। अंकल ने कहा बक़ौल तेरे वो इतना गन्दा लड़का है फिर भी उस से शादी क्यों करना चाहती है ? मेने कहा जैसे उसने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद की है में अब उसके हाथों किसी और की ज़िन्दगी बर्बाद नही होने दुंगी! अंकल ने कहा ठीक है बेटा। घर जाकर अपनी माँ से कह दे के तेरी शादी की तैयारी करें! फैज़ का तो बाप भी शादी करेगा!।


अंकल ने फैज़ के पापा को और फैज़ को बुलाया और फ़ैज़ से कहा "समर की कॉल आयी थी! तुमने जो उसके साथ करा वो शर्मनाक है!बेटी अपनी हो या परायी! मर्दो की ज़िम्मेदारी है उनकी आबरू की हिफाज़त करें! तुमने उसके साथ ये सब क्यों करा ?" फैज़ ने कहा खालू साहब वो लड़की झूटी और बदचलन है!मेने कुछ नही करा!में तो उस से कभी मिला भी नही ताया की मौत के बाद से। इस पर अंकल ने कहा उसके पास तुम्हारे और उसके फोटोज़ है।इसके आगे अब कोई झूट न बोलना मेरे सामने। वो कुछ देर रुके।फिर कहने लगे .. जवानी में गलतियां हो जाती हैं। लेकिन इस गलती की माफ़ी नही! या तो तुम्है उस लड़की से शादी करनी होगी। या फिर खानदान से तुम्हारा बॉयकाट कर दिया जायगा। और ये मत सोचना वो यतीम है। अब उसे हमने गोद ले लिया है!शादी के बाद भी वो हमारी बेटी बन के तुम्हारे घर रहैगी!उसे किसी भी तरह से डराने धमकाने की कोशिश मत करना! फैज़ ने गर्दन झुका कर कहा जैसा आप बहतर समझें खालू साहब!। अंकल ने फैज़ के पापा से कहा शादी की तैयारी शुरू कीजिए! अंकल ने चुप चाप फैज़ का रिश्ता मायरा की अम्मी के हाथ मेरे घर भेज दिया!और कहलवाया कि दोनों एक दूसरे को पसंद करते है। ये शादी आप जल्द से जल्द करा दें! अम्मी ने मेरी रज़ामन्दी पूछी और हाँ कर दी।जो राज़ मैंने अंकल को बताया था उन्होंने उस राज़ को मेरी माँ के सामने कभी नही आने दिया। । मेरी किस्मत अच्छी थी कि बर्बाद होने के बाद भी मुझे फैज़ के खाला खालू का सहारा मिल गया! नही तो अब भी न जाने कितनी लड़कियां है जो इस सब के बाद घुट घुट के खुद में ही मर जाती है! । आज मेरी शादी को तीन साल हो गए और मेरे पास एक प्यारी सी बेटी है! हाँ में फैज़ के साथ अब उस तरह खुश नही हूँ जिस तरह तब होती जब ये शादी फैज़ की रजामंदी से होती!लेकिन मुझे इस बात की ख़ुशी है के अब फैज़ किसी और लड़की की ज़िन्दगी बर्बाद नही करेगा!। ये रांझा इस सदी का है ज़रा मेहतात ही रहना... उठा कर फायदा तेरा ये फिर से हीर बदलेगा!




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