मोहम्मद राम

मोहम्मद राम

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स्वर्ग के द्वार पर द्वार देवता खड़े हुए हैं, दूर से कोई सफेद बुर्राक(हवाई घोड़े) पर आता दिखाई देता है, सफेद पोशाक पनें बुर्राक को ऐड़ लगाते हुए आंधी सा दौड़ते हुए स्वर्ग के नज़दीक बढ़ रहा है,पहला द्वार देवता दूसरे से कहता है ये खूबसूरत नोजवान असुर जैसा तो नहीं दिखता, पर ये है कौन ?

इतने में नोजवान करीब आ जाता है, और कहता है मुझे श्री राम से मिलना है,द्वार देवता नोजवान का चेहरा देख कर खुशी का इज़हार करते हैं, और कहते हैं श्री राम स्वर्ग में दूध की नदी के पास लव कुश के साथ धनुष से निशानेबाजी कर रहे हैं, आप उनसे वहां मिल सकते हैं,

नोजवान स्वर्ग में प्रवेश करने के बाद दूध की नदी की तरफ बढ़ता चला जाता है,

इधर हनुमान जी श्री राम से कुछ दूरी पर खड़े हैं, साथ ही नारद जी राम जी के ठीक पीछे खड़े हैं, दूर से आती हुई टापों की आवाज़ से हनुमान जी चौकन्ने हो जाते हैं,और अपना गदा उठा के पीछे मुड़ के देखते हैं, वही सफेद पोशाक वाला नोजवान लगातार आगे बढ़ता जाता है, राम जी हनुमान जी की उपस्थिति की वजह से बेझिझक अपनी धनुर्विद्या लव कुश को सिखाने और दिखाने में लगे हुए हैं, नोजवान का घोड़ा हनुमान जी के ठीक सामने आकर रुकता है, हनुमान जी को देखते ही नोजवान खुश होता हुआ घोड़े से उतरता है, और हनुमान जी भी आगे बढ़ के मुस्कुराते हुए नोजवान को गले से लगा लेते हैं, नोजवान कहता है कितना वक्त हो गया आपसे मिले हुए मेरे दोस्त, इसपर हनुमान जी कहते हैं अभीसिर्फ 10 साल ही तो हुए है मित्र,नोजवान कहता है हां बेशक़ हुए तो 10 साल ही है लेकिन फिर भी मुझे ये काफी वक्त लगा मेरे दोस्त,

कुछ देर दोनों एक दूसरे से गले मिले रहते हैं, फिर दोनों श्री राम की तरफ चलते हैं, नारद जी से नोजवान हाथ मिलाता है, नारद जी कहते हैं आपका परिचय श्रीमान ?

 नोजवान कहता है मेरा नाम अली है, में हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम साहब का दामाद हूँ,मैं जन्नत से आया हूँ, श्री रामचन्द्र के पास मुहम्मद साहब का संदेश लेकर,

नारद जी हज़रत अली को थोड़ी आश्चर्य भरी नज़र से देखते हैं, 

हज़रत अली आगे बढ़ते हैं, श्री राम से मुखातिब होते हैं और उनसे गले मिलते हैं, श्री राम कहते हैं हज़रत अली कैसे हैं आप ?

हज़रत अली कहते हैं श्री राम हम अच्छे हैं, श्री राम पूछते हैं जन्नत में सब कैसे हैं ? खास कर मुहम्मद साहब कैसे हैं ?

हज़रत अली बताते हैं कि वहां सब ठीक हैं, मुहम्मद साहब ने भी आपकी खेरियत मालूम कि है, साथ ही आपके लिए संदेश भी भेजा है,और ये कहते हुए हज़रत अली सन्देश श्री राम के सुपुर्द कर देते हैं, श्री राम सन्देश खोल के पढ़ते हैं, कुछ चिंता के भाव उनके चेहरे पर आते हैं, खत पढ़ने के बाद श्री राम हनुमान जी से कहते हैं अपने मित्र को स्वर्ग दिखाईये, और उनकी आव भगत कीजिये, हनुमान जी श्री राम की तरफ हल्का सा झुकते हुए कहते हैं जो आज्ञा प्रभु, इतना कह कर हनुमान जी हज़रत अली को साथ लेकर स्वर्ग महल की तरफ चल देते हैं, हज़रत अली का हाथ हनुमान जी के कांधे के ज़रा नीचे कमर पर रखा हुआ है और ठीक उसी जगह हज़रत अली की कमर पर हनुमान जी का हाथ रखा है, दोनों इस तरह स्वर्ग महल की तरफ जाते हैं जैसे बहुत पुराने दोस्त हों,

नारद जी श्री राम से कहते हैं, नारायण नारायण, ये क्या लीला है प्रभु ? ये हज़रत अली और बजरंग बली में इतनी घनिष्टता कैसे है ? ऐसा लग रहा है जैसे दोनो भाई भाई है,

श्री राम कहते हैं ये भाई से कम भी कहाँ है, दोनों एक जैसे हैं,

नारद जी कहते है क्या मतलब प्रभु एक जैसे हैं ?

श्री राम कहते हैं जिस तरह किसी भी शत्रु को हम तक पहुँचने से पहले बजरंग बली से मुकाबला करना पड़ेगा उसी तरह किसी भी आपदा को मुहम्मद साहब तक पहुँचने से पहले हज़रत अली से गुज़रना होगा, 

जिस तरह हनुमान ने अपने दिल में हमें बसा रखा है उसी तरह अली ने मुहम्मद साहब को बसा रखा है,

जिस तरह हनुमान हमें प्यारा है उसी तरह अली' मुहम्मद साहब को प्यारा है,

अच्छा ये वही अली हैं जिनके नाम का इस्तेमाल भारत वासी अपनी गद्दी के चुनाव के लिए करते हैं,मुझे एक दूत ने बताया था कि एक स्वघोषित भक्त ने चुनाव को अली बनाम बजरंग बली का चुनाव बताया था,अच्छा प्रभु ये बताएं इन दोनों में से ज़्यादा गुणी कोंन है ?

श्री राम ने कहा अगर दोनों की अच्छाइयों आदतों मिजाज़ खूबियों गुणों को तराज़ू में तोला जाए तो दोनों बराबर रहेंगे, ये दोनों एक दूसरे जैसे हैं,इन दोनों का आपस मे कोई मुकाबला नहीं,

कुश ने उत्सुकता वश पूछा पिता जी फिर ये मूर्ख मनुष्य इन दोनों की बराबरी क्यों करते हैं आपस में ?

श्री राम ने कहा जवाब तो आपने खुद सवाल से पहले बता दिया पुत्र, मनुष्य मूर्ख है जो सुबह की बराबरी शाम से करता है,आग की बराबरी पानी से करता है, जबकि हर वस्तु का महत्व अलग अलग है,

फिर श्री राम ने नारद जी से कहा सभा बुलवाइए,

अगले दिन सभा दरबार लग जाता है, राम जी पत्र हाथ मे लिए बैठे हैं, उनके दोनों तरफ लव कुश खड़े हैं, राम जी के सामने कृष्णा जी विराजमान है, कृष्णा जी से थोड़ी दूर उन्ही के बराबर में सूर्य देव जी विराजमान हैं, उनके सामने गणेश जी बैठे हैं, गणेश जी के पास पार्वती जी बैठी है, और पार्वती जी के पास ही माँ दुर्गा और माँ काली बैठी हैं, उनके पास वाले तख्त पर इंद्र देव हैं, और पवन देवता हैं।

दरबार के थोड़ी दूर नारद जी और हनुमान जी खड़े हैं, नारद पूछते है हनुमान से क्या लिखा है पत्र में ? हनुमान जी कहते ये तो बस प्रभु को ही पता है, अभी वो पढ़ के सुनाएंगे तो पता लगेगा,

राम जी पत्र खोलते हैं और पढ़ना शुरू करते हैं,

मेरे अज़ीज़ दोस्त श्री राम कैसे हैं आप, उम्मीद है अच्छे होंगे, और स्वर्ग में बाकी सभी देवता भी अच्छे होंगे, इस पत्र को लिखने का मक़सद आपसे कुछ बातें मालूम करना है,

पहली बात ये की क्या आपने अपने पृथ्वी के जीवन काल में कभी किसी मनुष्य से जबरन जय श्री राम के नारे लगवाए थे ?

दूसरी बात ये की क्या आपके किसी धर्म ग्रंथ में किसी मनुष्य से नफ़रत करने की बात कही गयी है,

तीसरा मुझे गाय के बारे में जानना है, आपके यहाँ गाय का क्या महत्व है,वहां कुछ लोग जो आपके सेवक और भक्त होने का दावा करते हैं वो गाय की रक्षा के लिए घरो से निकले हुए हैं, उनके रक्षा करने की वजह से मेरे पास 63 लोग खड़े हैं,

,जिसमें पहला नोएडा का अख़लाक़ है,जिसको उसके घर से गाय के मांस होने के शक पर घर से निकाल कर पीट पीट कर मार दिया गया है,साथ ही उसके बेटे दानिश को भी इतना मारा के वो 8 महीनों तक अस्पताल में पड़ा रहा, उसकी माँ शौहर और बेटे के गम में आज भी बदहवास है, 

दूसरा रकबर है, उसकी हत्या भी गाय तस्करी के शक में की गई,जबकि वो यहां खड़ा बताता है कि वो गाय को माँ जैसा मानता था,उस दिन वो अलवर से लाडपुर के लिए दुधारू गाय लेने निकला था, जब उसने वहां से गाय खरीद ली तो कोई टेम्पो वाला उंन्हे ले जाने को तैयार न हुआ, इस वजह से उसने सोचा कि 1000/1200 रुपये भी बच जायँगे क्यों न इन्हें पैदल ही ले जाऊं, उसके साथ उसका साथी असलम भी था, जब वो लालवंडी गांव के पास पहुँचे तो 6/7 लोगो ने उन्हें घेर लिया,असलम जान बचा कर कपास के खेतों में घुस कर भाग गया, लेकिन रकबर गोली चलने की वजह से बिदकी हुई गायों को संभालता रह गया, उन 6/7 लोगो ने रकबर को जी भर कर मारा, खुद को बचाने की वजह से उसके हाथों की उंगलियों की सभी हड्डियां टूट गयी थी, उसके बाद पुलिस उसे 4 घण्टे जीप में डाल कर घुमाती रही, और पहले गायों को गोशाला छोड़ा फिर रकबर की अस्पताल ले गए,अस्पताल पहुचने से पहले ही उसकी रूह परवाज़ कर गई,

तीसरा मेरे सामने पहलू खान अपनी अर्ज़ी लिए खड़ा है,

वो कहता है एक दल के लोगों ने उसे घेर कर मार डाला, वो भी गाय ले जा रहा था, जिसकी रसीदें उसने उन दल वालों को भी दिखाई, लेकिन उन्होंने कहा ये मुल्ला है, ये बीफ खाता है, इसे पाकिस्तान भेज दो, फिर कुछ ने कहा इसे मार डालो,ये बताता है कि इसके पिटाई के वीडियो आज भी पृथ्वी पर भारी मात्रा में मौजूद हैं,

इनके अलावा 70 लोग और मेरे पास अर्ज़ी लेकर खड़े हैं जिनकी हत्या गाय के नाम पर हो गयी है, इसलिए गाय का महत्व जानना ज़रूरी है,ये पत्र लिखवाते हुए मुझे रकबर ने बताया कि हिंदुस्तान में गाय को माँ का दर्जा दिया जाता है, मुझे ये भी जानना था कि किस नस्ल और किस रंग की गाय माँ मानी जाती है,और किस किस राज्य में माँ मानी जाती है ? ,क्योंकि आंध्र प्रदेश,गोआ,पश्चिम बंगाल जैसे राज्यो में बीफ खुले आम बिकता है,

हालांकि मुझे ये भी पता लगा है कि गोरक्षा का बीड़ा जिन्होंने उठा रखा है उन्होंने हिंदुस्तान से गल्फ देशों में बीफ गाय के मांस के निर्यात को पहले नम्बर पर पहुंचा दिया है, साथ ही साथ ये भी पता लगा कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर बाराबंकी अयोध्या और मिर्जापुर के हर सरकारी गोशाला में 200 से ऊपर गाय चारा न मिलने और गंदगी की वजह से भूख से मर गयी थी, 

चौथी बात ये है कि मेरे पास कुछ बच्चे भी अर्ज़ी लिए खड़े हैं, जिनमे पहला लड़का नजीब है, दिल्ली के जे एन यू का, जिसका 14 अक्टूबर 2016 को एक दल के कार्यकर्ता से झगड़ा हुआ, उसी के अगले दिन 15 अक्टूबर को वो गायब कर दिया गया, उसको मार कर उसकी लाश को खत्म कर दिया गया, उसकी माँ अपने बेटे को ढूंढ ढूंड कर अदालतों के चक्कर लगा लगा कर थक गई,उसके साथियों ने डंडे खाये, आंसू गैस पी,पानी की मार झेली, और जेल तक गए, उंन्हे नहीं पता के नजीब जन्नत में मेरे सामने खड़ा है, वो आज भी इस उम्मीद में है कि वो वापस आ जायेगा, क्योंकि इतना बड़ा तंत्र नजीब की लाश तक नहीं ढूंड पाया,

दूसरा बच्चा मेरे पास हाफ़िज़ जुनैद खड़ा है,जो बल्लभगढ़ ज़िले के खंदावली गांव का रहने वाला था,22 जून से एक दिन पहले ही इसने मस्जिद में बिना देखे क़ुरान सुनाया था, 16 साल की उम्र में क़ुरान सुनाने की वजह से गांव के बुजुर्गों ने खुश होकर उसे कुछ पैसे दिए थे,अगले ही दिन वो उन पैसों को लेकर दिल्ली खरीदारी करने गया था, उसके साथ उसका बड़ा भाई हाशिम भी था, पहले उन्होंने जुनैद को थप्पड़ों से मारना शुरू किया,फिर लातों घुसो से, ज़ुल्म सहते सहते बल्लभगढ़ स्टेशन तक पहुँच गए, किसी तरह इन्होंने बड़े भाई शाकिर को बुलाया, जिसके बाद उन लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाते हुए जुनैद को 36 बार चाकू से घोंप कर मार दिया, करीब 15 चाकू शाकिर के भी मारे,लेकिन वो बच गया, जुनैद की माँ सायरा 2 साल बीतने के बाद भी जुनैद का गम नहीं भूली,उसके गम में रोते रोते माँ सायरा को बायीं आंख से दिखना बन्द हो गया है,बाप जलालुद्दीन को भी दिल का दौरा पड़ चुका, और भाई शाकिर और हाशिम भी कजाहिल हो चुके हैं,

तीसरी और सबसे भारी शिकायत जो मेरे पास लेकर खड़ी है वो 6 साल की आसिफा है, और वो कहती है ये शिकायत आपके लिये नहीं है, बल्कि ये शिकायत मुझे अम्मा पार्वती से है, ये शिकायत अम्मा काली से है,ये शिकायत अम्मा दुर्गा से है, 

6 लोगों ने पकड़ कर मुझे 8 दिन मेरा बलात्कार किया, मुझे भूखा प्यासा बांध कर मंदिर में रखा,

उन बलात्कारियों में मंदिर का पुजारी सांझी राम मुझे आपके सामने नोचता रहा, खसोटता रहा, नशे की गोलियां देता रहा, फिर मेरे ही दुपट्टे से मेरा गला घोंट के मुझे मार दिया, मारने से पहले पुलिस वाले ने भी बलात्कार किया, उसके बाद भारी पत्थर से मेरा मुँह कुचल के जंगल मे मेरी लाश को सड़ने के लिए छोड़ दिया,आप तो सारे जगत की अम्मी हो न, सब आपको माँ या अम्मी कहते हैं, फिर आपने मेरी मदद क्यों नहीं की ? उन हैवानो को अपने ही घर मे मेरा बलात्कार क्यों करने दिया ? मुझे उन इंसानों से शिकायत नहीं जिन्होंने मेरे बलात्कारियों के समर्थन में तिरंगा रैली निकाली,न मुझे वकीलों की उस बेंच से शिकायत है जिन्होंने अदालत में मेरा केस ना जाये इसके लिए हड़ताल तक कर दी, क्योंकि में जानती हूँ वो सब हैवान है,जिस देश में औरत को देवी बना के पूजते हैं उसी देश में हर घण्टे एक बलात्कार करते हैं, मुझे तो शिकायत आपसे है की आप तो भगवान है, आप क्यों इनपर अपना कहर नहीं बरसातीं ?

आसिफा की ये बातें बड़ी भारी है और उसके मन मे बड़ा गुस्सा है,

पांचवी बात श्री राम जो मुझे जाननी है वो ये है कि जब आप ज़मीन पर अवतार बन कर गए थे तो आपका राज कैसा था ? कुछ स्वघोषित भक्त आपके कहते है हम राम राज ले आये हैं, लेकिन गाय के मामले में 80 मौत पर और हाफिज़ जुनैद और नजीब की मौत पर अभी तक एक भी गुनहगार को सज़ा नहीं मिली है, क्या राम राज में हर किसी को माफी का प्रावधान है या नहीं ?

बस मेरे ये चुनिंदा सवाल ही हैं,

बाकी मेरे बुजुर्ग इब्राहम अलैहिस्सलाम ने कहा है शिव जी इस और ध्यान दें और अपनी राय ज़रूर बताएं, 

समाप्त,,

खत सुन ने के बाद माँ काली गुस्से में खड़ी हुई और कहने लगी में इन दुष्टों का सर्वनाश कर दूंगी,तबाह व बर्बाद कर दूंगी, उंन्हे वो मौत मारूंगी के दोबारा जन्म लेने से भी डरेंगे, इतने दुष्ट तो असुर भी कभी न रहे जितने ये कलयुगी मानव हो गए हैं, उनका गुस्सा देख श्री राम ने बमुश्किल उंन्हे सम्भाला, और कहा आप थोड़ा सयंम रखिये, हम सोचते हैं क्या करना है, अभी माँ काली शांत भी नहीं हुई थी कि हनुमान जी गदा उठा कर श्री राम के करीब आये और कहने लगे प्रभु अगर हम सीता माँ के संम्मान के लिए लंका जला सकते हैं तो आपके सम्मान में पूरी पृथ्वी को आग लगा सकते हैं, इन दुष्ट दल वालों ने आपके नाम का दरुपयोग किया है,आपके नाम पर आतंक फैलाया है,में इन्हें नहीं छोडूंगा, 

श्री राम ने कहा हनुमान आप शांत हो जाओ, इन्होंने सिर्फ मेरे नाम का ही नहीं आपके नाम का भी दरुपयोग किया है, फिलहाल आप आज्ञा की प्रतीक्षा करो, इस तरह अतिशीघ्रता अच्छी नहीं,.

उसके बाद सूर्य देवता ने कहा आप कहो तो इन्हें जला के भस्म कर दूँ ?

श्री राम ने कहा नहीं,

इंद्र देवता ने कहा तो क्या में बाढ़ ले आउ, उंन्हे डूबा के मार दूँ ?

श्री राम ने कहा नहीं,

पवन ने कहा फिर मुझे आज्ञा दीजिये, में तूफानों के बवंडर में इन्हें फंसा दूँगा, ये आपस मे टकरा टकरा के मर जायँगे, 

श्री राम ने कहा नहीं इतनी जल्दी फैसला करना सही नहीं, हम शिव जी के पास चलते हैं, उनसे मशवरा करते हैं, इब्राहिम अलैहिस्सलाम की मोहर है पत्र पर, शिव जी को भी इस से अवगत कराना ज़रूरी है, 

नारद जी आप शिव जी को सन्देश पहुँचवा दीजिये की जन्नत से मुहम्मद साहब का संदेश आया है, जिस पर उनके दोस्त पैग़म्बर इब्राहिम अलैहिस्सलाम की मुहर भी लगी हुई है,

नारद जी फिर सोच में पड़ जाते हैं और कहते हैं भोले भंडारी की मित्रता कब हुई इब्राहिम अलैहिस्सलाम से ?

तब श्री राम बताते हैं कि इब्राहिम अलैहिस्सलाम और शिव जी की जीवनी आपस में मिलती जुलती है,

इधर अनजाने में शिव जी के बेटे गणेश की गर्दन शिव जी द्वारा कटी,

उधर इब्राहिम की परीक्षा थी कि उन्हें अपना बेटा "इस्माइल" राह ए खुदा में कुर्बान करना था, 

इधर गणेश जी के धड़ पर गजा का मुख लगा और वो जीवित हो उठे,

उधर इस्माइल की जगह जिब्राइल ने दुम्बा रख दिया और इब्राहिम ने छुरी चलाने के बाद आंखे खोली तो देखा इस्माइल सलामत हैं, तो वो इस्माइल के लिए भी दूसरे जन्म जैसा हुआ,

इसी के चलते दोनों की मित्रता हुई, अब चिंता का विषय ये है कि पत्र सुन कर शिव जी का प्रतिकिर्या क्या होगी क्योंकि वो जितने भोले है उतनी ही जल्दी क्रोधित भी हो जाते हैं,

अब चिंता के भाव नारद जी के मुख पर भी आ गए, उन्होंने कहा सन्देश ही क्या भिजवाया जाए प्रभु, वो हिमालय में ध्यान में बैठे होंगे, हम सब हिमालय ही चलते हैं, नारद जी का सुझाव सभी को पसन्द आया, सभी के वायु वाहन तैयार हो गए, इधर यमदूत भी अपने भैंसे पर सवार होकर पहुँच गए,

हिमालय को पहाड़ी में शिव जी ध्यान में बैठे थे, श्री राम ने जाकर शिव जो को प्रणाम किया, और उनके साथ आये सभी देवी देवताओं और अवतारों ने प्रणाम किया, 

शिव जी ने कहा अरे आज सारे के सारे एक साथ, क्या हुआ क्या परेशानी है बताएं ?

 श्री राम ने जन्नत से आया हुआ पत्र पढ़ कर शिव जी को सुनाया, शिव जी पत्र सुन कर क्रोधित हो उठे, कहने लगे पिछले 1400 साल में ऐसा कभी नहीं हुआ था कि जन्नत से पत्र आया हो, इतना सब कुछ हुआ इस बीच में, हज़ारो हिन्दू मुस्लिम के हाथों जंगो में मारे गए, और हज़ारो मुस्लिम हिंदुओ के हाथों मारे गए, फिर ये 80 मौतें होने पर पत्र आना समझ नहीं आता,

श्री राम ने बताया कि युद्ध उसूलों के साथ हुआ करते थे, जैसे महाभारत हुआ, जैसे जंग ए बदर हुआ, उन युद्ध में उसूल हुआ करते थे,वो सच्चाई और बुराई के बीच के युद्ध थे, उनमें भी सूर्य डूबने के बाद हमला नहीं किया जाता था, बिना चेतावनी के जिहाद नहीं किया जाता था,औरतों बच्चों और बुजुर्गों को क़त्ल नहीं किया जाता था, 

अब हालात बदल गए हैं, अब बिना किसी चेतावनी के किसी को भी कोई भी मार देता है, 10 साल पहले 10 मुस्लिम आतंकवादियों ने मुम्बई में 160 लोगों को शहीद कर दिया था, जिसके बाद हमनें हनुमान को पत्र लेकर जन्नत मुहम्मद साहब के पास भेजा था,

आज ये हालात बन गए हैं कि उन्हें हमे पत्र भेजना पड़ गया,

शिव जी ने कहा उस पत्र को भी मुझे पढ़ के सुनाया जाए जो आपने हनुमान के द्वारा भिजवाया था,

श्री राम ने पत्र निकाल कर पढ़ना शुरू किया,

प्रिय हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम साहब, कैसे हैं आप, खेरियत के बाद अर्ज़ ये करना था कि आपकी उम्मत के 10 लोग पिछले महीने 26 तारीख 11वे महीनें में हमारे यहां हथ्यार बारूद लेकर घुस आए, उन्होंने तमाम क़त्ल औ आम मचाया, खाना खा रहे मासूम लोगो को गोलियां खिलाई, सफर कर रहे लोगों को गोलियों से भूना, यहां तक के मासूम बच्चों तक को नहीं छोड़ा, उनके नाज़ुक जिस्म में भी गोलियां उतार दी, जब उनमें से एक आदमी कसाब ज़िन्दा पकड़ा गया तो उसने कहा ऐसा करने का हुक्म उसे दिया गया, उसके पाक कुरान के द्वारा,उसके मौलाना द्वारा, मुहम्मद साहब आपको तो रहमतुल आलामीन बना कर भेजा गया था, पूरी दुनिया के लिए रहमत बना कर भेजा था, आप ये कैसा धर्म ग्रन्थ दे आये लोगों के हाथों में जो हमारी उम्मत को काटने और मारने का हुक्म देता है,और उसे जिहाद का नाम देता है, और कहता है कि ऐसा करने वाला जन्नत में जायेगा, उस हादसे के बाद उन मासूम 160 लोगों की जिंदगियां बदल गयी हैं, उनमें से कुछ तो ऐसे थे जो अपने बड़े परिवार का एकमात्र सहारा थे, कुछ बच्चे अनाथ हो गए, जो अपनी माँ के बिना एक पल न गुज़ारते थे उनकी ज़िंदगी में अब माँ बस एक शब्द बन कर रह गयी, आप तो जानते ही हैं मुहम्मद साहब माँ के बिना ज़िन्दगी केसी हो जाती है,आखिर आपने भी तो अपनी पूरी ज़िंदगी माँ के बिना गुज़ारी है,

खेर आपकी उम्मत के द्वारा ये मेरी उम्मत के साथ अच्छा सुलूक नहीं किया गया मुहम्मद साहब,इस हादसे से हमारा मन दुखी है,

समाप्त

श्री राम ने कहा यही वो पत्र था जो हमने भेजा था,

शिव जी ने कहा इसका कोई उत्तर वापस आया था ?

श्री राम ने कहा जी, हनुमान के हाथ ही अगले दिन उन्होंने उत्तर लिखवा के भिजवाया था,

शिव जी ने कहा वो उत्तर भी हम सुनना चाहते हैं,

मेरे अज़ीज़ दोस्त श्री राम साहब, इस घटना के बारे में सुन कर दुख हुआ,इतना दुख हुआ कि आंसू आंखों से बह गए, श्री राम साहब जब मक्का में मेरा जन्म हुआ तो वो दौर जहालत का दौर था, पैदा होने से पहले वालिद का सहारा सर से उठ गया, और होश सम्भालने से पहले माँ का सहारा, बिन माँ बाप के ऐसे लोगो की बीच मेरी परवरिश हुई जो उस वक़्त के सबसे जाहिल लोग थे,वो ऐसे थे कि हाथ का बदला हाथ से लिया करते और खून का बदला खून से,और ये दुश्मनी हर रोज़ बढ़ती रहती,यहां तक के जब तक दोनो खानदानों में से किसी एक का वजूद खत्म न हो जाता वो तब तक दुश्मनी खत्म नहीं होती थी,वो ऐसे लोग थे जो हामिला (गर्भवती) औरत को देख कर शर्त लगाते थे कि इसके पेट मैं लड़का है या लड़की, और फिर ज़िन्दा औरत का पेट चीर कर बच्चा बाहर निकाल लेते थे, ये वो लोग थे जो बेटी के पैदा होते ही बुत के सामने उसकी बलि दे देते थे, ये अय्याशीयो और शराबों में डूबे रहते थे,

ऐसे लोगों के लिए खुदा ने पैगम्बर (दीन का पैगाम देने वाला) बना कर मुझे भेजा, मेरे जाने के बाद खुदा के द्वारा नाज़िल(उतारा) गया क़ुरान मेने इन लोगो तक पहुंचाया,

इन्हें बताया कि औरत बेटी है तो रहमत है, बीवी है तो आधा दीन मुकम्मल कराने वाली है, बहन है तो हौसला और सही मशवरा देने वाली है, और माँ है तो जन्नत है,

साथ ही क़ुरान के ज़रिये इन्हें बताया कि जो जो चीज़े तुम्हारे जिस्म को नुकसान देती हैं वो तुम्हारे लिए हराम हैं, गोया वो शराब हो या नशा,

और इन्हें खुदा का इनाम नमाज़ देकर वक़्त का पाबंद और मुत्तक़ी बनाया,

साथ ही इन्हें लूट मार से दूर रहने की हिदायत दी और दूसरे की चीज़ों को संभाल के रखना सिखा कर अमानतदार बनाया,

क़ुरान में पहले इनसे कहा कि अपनी नज़र नीची रखो और अपनी शर्मगाह की हिफाज़त करो,

क़ुरान में इनसे पहले लड़कियों का ज़िक्र रखा,

इतने के बावजूद भी इनमे से कुछ गुनाहों के ऐसे आदि थे जो एहले इस्लाम की जान के दुश्मन बने हुए थे,अच्छे लोगों के क़त्ल के मंसूबे बनाते रहते थे,अरब के दुपहरी में इस्लाम मानने वालों को गर्म रेत पर नंगा लिटा दिया करते थे,और ऊपर से गर्म पत्थर रख दिया करते थे,उनके ज़ुल्मो से तंग आकर सभी इस्लाम के मानने वालों ने मक्का तक छोड़ दिया, लेकिन फिर भी उन लोगों ने पीछा नहीं छोड़ा, ऐसे वक्त में जंग ए जिहाद की आयतें नाज़िल की गई, क़ुरान में 800 से ऊपर जिहाद की आयतें हैं, जिनमे से अक्सर में खुद की बुराइयों के खिलाफ जिहाद का हुक्म दिया गया, 

उसके अलावा जिहाद तब फ़र्ज़ करार दिया गया जब ये पक्का हो जाये कि अब नहीं लड़े तो सामने वाला जान ले लेगा,ऐसे वक्त में जिहाद फ़र्ज़ करार दिया गया, 

जिहाद से पहले दुश्मन को तंबीह(चेतावनी) देना ज़रूरी करार दिया गया,

जिहाद में औरते बूढ़े और बच्चों पर तलवार चलाना हराम करार दिया गया,जंग जीतने के बाद जो सिपाही हमारे खिलाफ न लड़ने का का वादा करें उंन्हे उनकी जान की अमान का वादा किया गया,

जब हमनें मक्का फतेह किया तो वहाँ के लोगों में डर था कि हमने मुहम्मद पर बहुत ज़ुलम करे हैं,मुहम्मद के क़त्ल के मंसूबे बनाये थे,उनपर पत्थर बरसाए थे, खून से लुलुहान किया था,अब मुहम्मद हमे क़त्ल कर के हमसे बदल लेगा, लेकिन मैंने ये एलान किया कि जो जिसे चाहे पूज सकता है,जिसकी जो जगह है वो वहां रह सकता है,जो जो मुसलमानों को नुकसान न पहुंचाने का वादा करता है में उसकी जान की अमान देता हूँ,

ऐसी तरबियत देकर आया था में श्री राम साहब,साथ साथ इन सब बातों का निचोड़ में एक बात में कह कर आया था, के किसी का दिल दुखाना खाना काबा गिराने से भी बड़ा गुनाह है, इसकी माफी ख़ुदा भी नहीं देगा, जिसका दिल दुखाया है सिर्फ वही माफ कर सकता है, जो ग्रन्थ दिल दुखाने की इजाज़त नहीं देता वो मासूम निहत्थे बेगुनाह के कत्ल की इजाज़त कैसे दे सकता है ?

अगर कोई ऐसा करता है तो वो हम (मुसलमानों) में से नहीं, उन लोगों के लिए खुदा ने जहन्नम में तहतुस्स सरा (जहन्नम का सबसे गर्म हिस्सा) बनाया है, जहां उन्हें आग के गर्म जूते पहनाएं जायँगे जिसकी गर्मी से उनका भेजा उबाल मारेगा, उंन्हे आग से सुर्ख सुतूनों (खम्बो) में बांध दिया जायेगा, और जब वो शदीद गर्मी से पागल होकर पानी मांगेंगे तो उन्हें उन्ही के फोड़ों से निकला खोलता हुआ पीप दिया जायगा, बेगुनाह को इस्लाम के नाम पर मारने वाले को इस से भी सख्त अज़ाब दिया जायेगा, 

और जो दुनियां में ऐसे गुनहगारों की हिमायत करेगा उंन्हे भी उन्ही के साथ जहन्नम में रखा जायेगा, कसाब के सारे साथी जहन्नम रसीद हो चुके हैं, उसके ऊपर आते ही उसे भी जहन्नम रसीद कर दी जायगी, इस जवाब के साथ साथ मैं आपको क़ुरान कुछ आयतें भी भेज रहा हूँ, 

कुरआन 2: 256. दीन (के स्वीकार करने) में कोई ज़बर्दस्ती नहींं है. 

कुरान 5:32 मैं कहा गया है की अगर किसी ने एक बेगुनाह इंसान की जान ली तो यह ऐसा हुआ जैसे पूरे इंसानियत का क़त्ल किया और अगर किसी ने एक इंसान की जान बचाई तो उसने पूरी इंसानियत की जान बचाई. 

2: 190. जो तुम से लड़े, तुम भी उनसे अल्लाह की राह में जंग करो, परन्तु हद से न बढ़ो (क्योंकि) अल्लाह हद से बढ़ने वालों से प्रेम नहींं करता,

 2: 192 . अगर वह अपने हाथ को रोक लें तो अल्लाह बड़ा क्षमा करने वाला और दयावान है,

समाप्त,

श्री राम ने कहा इस पत्र के बाद फिर हमारी कोई बात नहीं हुई, क्योंकि जब उन्होंने कह दिया कि इन जैसे लोगो के लिए तहतुस्सरा है तो फिर बात ही खत्म हो गई,

शिव जी ने कहा अच्छा तो हालात इतने खराब है,ठीक है फिर अंतिम महर्षि भेजने की तैयारी शुरू की जाए,

इस पर श्री राम कहते हैं शिव जी हालात उतने भी खराब नहीं के अंतिम महर्षि भेज दिया जाए,माना के मनुष्य स्वार्थी हो गया है, धर्म/मज़हब के नाम पर एक दूसरे का क़त्ल कर रहा है, एक दूसरे के लिये मन मे नफरत रख रहा है, लेकिन इस तरह के लोग सिर्फ 20% ही हैं, हिंदुस्तान के 80% लोग एक दूसरे के धर्म/मज़हब से नफरत नहीं करते. वो आपस में मिल जुल कर रहते हैं,ईद की सेवई से लेकर होली की गुजिया तक बांट के खाते हैं, बरसात में मंदिर में नमाज़ अदा हो जाती है, तो बकरा ईद की कुर्बानी कांवड़ की वजह से अगले दिन टाल दी जाती है,जहाँ मुस्लिम लड़को को हिन्दू लड़कियां राखी बांधती है वहीं मुस्लिम लड़के उनकी हिफाज़त की कसम खाते हैं, जहाँ अब्दुल कलाम आज़ाद हिंदुओ के पसंदीदा शख्स हैं वहीं भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद मुसलमानों के हीरो हैं,

इस पर शिव जी ने कहा ठीक है तो फिर आप मुहम्मद साहब को सन्देश भिजवाये, और ये सारी बात जो आपने बताई वो भी पत्र में लिखें,

श्री राम और बाकी देवताओं ने कुछ देर शिव जी से चर्चा की फिर स्वर्ग लोक लौट आए,

श्री राम ने मुहम्मद साहब के पत्र का जवाब लिख कर हज़रत अली के हाथों में सौंप दिया, इधर हज़रत अली पत्र लेकर नम आंखों से बजरंग बली के गले लग जाते हैं, बजरंग बली भी उंन्हे प्यार से ऐसे भींच लेते हैं जैसे माँ अपने बच्चे को भींच लेती है, कुछ देर गले मिले रहने के बाद हज़रत अली सभी से हाथ मिलाते हुए जन्नत आने का न्योता देते हैं, और अपने बुर्राक पर स्वर्ग से मिले सामान को लाद कर जन्नत की और बढ़ जाते हैं,

जन्नत पहुँच कर हज़रत अली मुहम्मद साहब को सलाम करते हैं, और फिर उनसे मुसाफा(हाथ मिलाते) करते हैं।

उसके बाद पत्र मुहम्मद साहब को देते हैं, जिसे मुहम्मद साहब हज़रत अबु बकर सिद्दीक़ को दे देतें हैं और कहते हैं इसे ब आवाज़ बुलंद पढ़ा जाए

हज़रत अबूबकर पढ़ना शुरू करते हैं,

मुहम्मद साहब आपका ख़त मिला, पढ़ कर दुख हुआ कि मेरा नाम लेकर लोग हिंदुस्तान में मार काट मचा रहे हैं,आज मुझे एहसास हुआ कि आप पर क्या बीतती होगी जब आपका नाम लेकर लोग आतंक फैलाते हैं,इस अनुभूति को शब्दों में बयां करना नामुमकिन है, इसे बस हम और आप महसूस कर सकते हैं, 

लेकिन में यहां कुछ साफ करना चाहूंगा, मुहम्मद साहब जब मैने धरती पर जनम लिया तो लोगों ने खुशियां मनाई, मुझे अवतार बना कर भेजा ही इसलिये था ताकि में लोगों की ज़िन्दगी में खुशियां भर दूँ, मैंने राजघराने में जन्म लिया, बचपन से सारे सुख देखे, मेरी पत्नी सीता भी राजघराने में जन्मी, लेकिन पिता के एक वचन की ख़ातिर मेने सारा राजपाट छोड़ा,वैसे तो समूची दुनिया ही मेरी थी, लेकिन लोगों को त्याग का मतलब पता लगे,लोगों को मालूम हो कि माँ बाप की एहमियत क्या है इसके लिए मैंने राजपाट छोड़ दिया, 14 साल जंगलों में बिताए, जंगलों का मेरा जीवन एक मिसाल थी मेरे भक्तों के लिये, जिसे मैने सादगी से गुज़ारा, ताकि भक्त ये समझ सके कि ऐश्वर्य में अहंकार में वो सुख नहीं जो सादगी में है, इसके बाद मेरी पत्नी का अपहरण हुआ रावण के द्वारा, उसका पीछा करते करते मेरे साथ बहुत सी जातियां जुटी, जिनमें वानर, गिद्ध,चिड़िया,गिलहरियां,और भी ढेरो शामिल थे, वो भी एक सबक था भक्तों के लिए की इंसान हो या जीव जंतु सभी के साथ प्रेम से रहना है, इसके बाद हनुमान के द्वारा मैंने रावण को सन्देश भिजवाया की मेरी पत्नी को छोड़ दे अन्यथा अंजाम बुरा होगा, मैं चाहता बिना सन्देश दिए भी हमला कर सकता था, लेकिन उस सन्देश में भक्तों के लिए भी संदेश था कि एक मौका सामने वाले को ज़रूर देना चाहिए, उसका पक्ष भी जानना चाहिए, जब रावण ने हनुमान जी के साथ दुर्व्यवहार किया और उनकी पूंछ में आग लगा दी तो हमने सामने से हमला किया, इसके बाद भी रणभूमि में मैंने रावण को एक आखरी मौका और दिया, लेकिन जब वो नहीं माना तो बुराई का अंत किया,

हमारे इस युद्ध मे हमनें लंका की प्रजा की हत्या नहीं की, उनमें मासूम औरतों और बच्चों को कोई हानि नहीं पहुंचाई, ये भी एक सन्देश था कि मासूम और बेकसूर पर दया करना, भले ही वो दुश्मन के बच्चे क्यों न हो, ये चुनिंदा बातें मेरे जीवन की, मैंने आपको रामायण और महाभारत भिजवाई है, जिसे पढ़ आप भी बखूबी जान जाएंगे कि ये जो मूर्ख राम राज्य आ गया है की बात कर रहे हैं ये झूट है, मेरे राज में शेर और हिरण एक नदी से पानी पीते थे इतना अमन था, लेकिन अब मैंने यमराज को आदेश दे दिये हैं एक एक कर के वो मेरे नाम का दरुपयोग कर के मासूमों को मारने वालों की आत्मा को नरक की भट्टी में झोंक देगा,और ये आखरी सन्देश होगा जनता के लिए, अगर वो नहीं रुके तो जैसा कि हमारे वेदों और आपके क़ुरान में लिखा है , हम मिल कर एक अंतिम महर्षि का चुनाव कर के उसे भेजेंगे, जो सुमचे जगत से बुराई खत्म कर देगा, तब तक के लिये इन्हें सुधरने का एक मौका और दे देते हैं।

अबू बकर ने ख़त लपेट कर मुहम्मद साहब को दे दिया, और बुर्राक पर रखे बक्से से रामायण निकाल कर पूरी मजलिस को बुलंद आवाज़ में सुनाने लगें।


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