Sanjay Kumar Jain Pathik

Tragedy Inspirational Others

4.7  

Sanjay Kumar Jain Pathik

Tragedy Inspirational Others

लव मेर्रिज वाली बहु

लव मेर्रिज वाली बहु

7 mins
324


आई सी यू स्टोरीज -2

लव मैरिज वाली बहू : बहू या बेटी


मैं स्ट्रोक ICU के बेड संख्या 2172 पर हूँ। ICU में कुल 8 बेड हैं। 4 नर्सें, एक उनकी टीम लीडर और एक ड्यूटी डॉक्टर। आज 7 नवंबर 2018 है , दीपावली की रात्रि। मुझे 5 को ब्रेन स्ट्रोक आया था, धनतेरस के दिन। तब से यहीं हूँ। मध्य रात्रि का समय हो चला है, मुझे स्ट्रोक के बाद के सर दर्द के कारण नींद नहीं आ रही है। लगातार नसों के द्वारा नियंत्रित मात्रा में फेंटालिन दी जा रही है पर दर्द बढ़ता देखकर अभी डॉक्टर फ़राज़ दावा की मात्रा बढ़वा कर गई हैं। शायद कुछ देर में आराम हो, तो नींद आ जाये। ICU में सन्नाटा छाया हुआ है। बोलेगा भी कौन। मेरे अलावा बाकी 6 मरीज तो होश में ही नहीं हैं। 2 तो वेंटिलेटर पर ही हैं। नर्सें चुपचाप अपने काम में लगी हैं। किसी का मोनिटर और किसी का डायपर चेक करते हुए। मेरे ठीक सामने का बेड 2171 अभी खाली है। एकाएक एक फ़ोन से सन्नाटा टूटता है। टी एल सिस्टर निशा आवाज लगाती है-लड़कियों पेशेंट आ रहा है, प्रीति 71 बेड रेडी करो। गेट खुलता है। इमरजेंसी स्टाफ और डॉक्टरों का झुंड एक स्ट्रेचर पर वृद्ध महिला को लिए हुए आता है जो शायद अभी बेहोश है। कुछ देर को गहमा गहमी हो जाती है। मैं चुपचाप डॉक्टरों, नर्सों और मरीज के साथ आई महिला की बातें सुन रहा हूँ। शायद मरीज के परिवार के और लोगों को ICU होने के कारण बाहर ही रोक दिया गया है। कुछ देर बाद इस सलवार सूट वाली सुंदर सुबकती हुई महिला को भी बाहर जाकर पेशेंट अटेंडेंट लॉबी में सोफे पर बैठना होगा, जहां मेरी प्यारी पत्नी सीमा बैठी रहती है। 24 घंटे में सिर्फ एक बार परिजन शाम 5.30 पर पेशेंट से मिल सकते हैं। उसके अलावा जब डॉक्टर सूरी राउंड पर आते हैं, उनसे मिलने के बहाने या मुझे खाना खाने में मदद के बहाने, सीमा किसी तरह एकाध मिनट मेरे पास पहुँच ही जाती है। वह सुंदर महिला रुंधे हुए गले से कह रही है-मम्मी दीवाली की पूजा कर रही थीं। एकाएक सिर में दर्द उठा और बेहोश हो गईं। बार बार होश में आती हैं और फिर बेहोश हो जाती हैं। बहकी बहकी बातें करती हैं। फिर चिल्लाती हैं मुझे दिख नहीं रहा। फिर बेहोश हो जाती हैं। बोलते बोलते लगा कि वह जो शायद उस मरीजा की बेटी थी, खुद ही बेहोश हो कर गिर पड़ेगी। साइज में सबसे छोटी 5 फिट की मगर मजबूत सिस्टर रोमा डॉक्टर फराज़ा के साथ मिलकर उसे संभालती है और कुर्सी पर बैठाकर जबरदस्ती एक रियल जूस उसके मुंह में लगा देती है। डॉक्टर उसे प्यार से समझा रही हैं। देखिये, आपकी मम्मी एकदम ठीक हो जाएंगी। ब्रेन स्ट्रोक में दिमाग पर असर होना और आंखों की रोशनी जाना अक्सर होता है पर इनका इलाज संभव है। समय जरूर लगेगा पर हिम्मत रखो। देखो आपकी मां तो लगातार बेहोश नहीं हैं। इन पेशेंट को देखो। कोई 3 माह से बेहोश है कोई 4 माह से। पता नहीं कब होश आएगा या नहीं आएगा, ये तो इन सबसे बहुत बेटर हैं। समझदार थीं डॉक्टर। मेरी तरफ उसे देखने नहीं दिया। पता नहीं किस किस की दुआएं और आशीर्वाद थे मेरे साथ, जो ब्रेन स्ट्रोक को झेल कर  पूरे होशो हवास में हूँ। धीरे धीरे हाउस कीपिंग वाली लड़की का हाथ पकड़ कर वह बाहर चली गई, धीरे से सिस्टर को रिक्वेस्ट करते हुए-मैं बाहर ही हूँ, बुला लीजियेगा। मेरा मन हुआ कि इस भद्र कन्या को बोलूं- पहले अपनी हेल्थ तो संभाल बेटा, तब तो माता को संभालेगी। पता नहीं इसके परिवार में और कौन है, कोई पुरुष है या नहीं , इसका ध्यान कौन रखेगा। ऐसे कई सवाल मस्तिष्क में तैर रहे थे पर इस बीच नींद की दवा nitrest के असर से मेरी पलकें बोझिल होने लगीं और एकाएक मैं निद्रा के आगोश में चला गया। 2 घंटे बाद ही शोरगुल से फिर नींद टूट गई। देखा तो माहौल बदला नज़र आया। उस बेड 71 वाली वृद्धा को होश आ गया था और उसके आक्रामक रुख से नर्सें उसे संभाल नहीं पा रहीं थीं। कभी वह अपनी ग्लूकोस की नली निकलना चाहती थी, कभी पेशाब की, कभी कपड़े उतार कर फेंकना चाहती थी और कभी बिस्तर से कूदने को तैयार थी। जब उनका हाथ किसी ने पकड़ना चाहा तो वे एकाएक हिंसक हो उठीं। नर्सों के आगे नहीं चली तो फिर एकाएक चिल्लाने लगीं। विशाल, विवेक मेरे बेटे को बुला दो, मेरा सर फट जाएगा, मेरी आँखें, विशाल। इनके बच्चों में किसी को बुला दो, जब डॉक्टर ने बोला तो मुझे लगा फिर मुझे वो सुंदर लड़की दर्शन देगी, और हुआ भी वही। वह आई और माँ के सर पर हाथ फेरने लगी। मां ने फिर पूछा -विशाल। मां विशाल और बाबा घर सोने गए हैं, मैं स्वस्तिका, तुम्हारी बेटी। मां दर्द सहन करो थोड़ा सा। आपने 2 बेटे पैदा किये ना। बहुत दर्द हुआ होगा तब तो। अभी तो उससे कम है ना।

वाह क्या तर्क है, एक नर्स ने दूसरी को आंख मारी। तारीफ से खुश होकर स्वस्तिका ने मां का सर दबाते हुए आगे बोलना शुरू किया, ये नर्सें भी छोटी छोटी बेटियां हैं , मेरे जैसी। जो आपके इलाज के लिए जरूरी है वही कर रही हैं , करने दो।

लेकिन तभी सुनामी फट पड़ी। तेरे जैसी हैं ना, तभी तो दुश्मन हैं मेरी। जैसे तूने मेरे बेटे विशाल को उल्लू बना कर फांस लिया, वैसे ही ये मुझे उल्लू बना कर मार डालना चाहती हैं। फिर उनका हाथ उठा, उस बहू नुमा बेटी को मारने के लिए पर इंजेक्शन का असर फिर उन्हें अकस्मात बेहोशी में ले गया। कई सवालों के जवाब एक साथ मिल गए। यह बेटी नहीं, लव मैरिज वाली बहू है। दूसरे बेटे विवेक की अरेंज्ड मैरिज अगले हफ्ते है। सुबह 9 बजे तक और कोई परिवार का सदस्य नहीं आया। शायद श्रीमती सुतपा के सिवा सबको विश्वास था कि बहू स्वस्तिका से बेहतर उनका ध्यान कोई नहीं रख सकता। इसलिये न तो दोनों बेटे घर से आये, न उनके पिता यानी मरीजा के पति, न होने वाली छोटी बहू , न उसके घरवाले। स्वस्तिका बार बार घर फ़ोन मिला रही है, पर कोई उठा नहीं रहा। शायद सब सो रहे हैं। ठंड भी तो कितनी है, कोहरा भी है। पर ये सब स्वस्तिका के लिए नहीं है, बहू जो है, वो भी भारतीय बहू, चाहे लव मैरिज वाली ही सही, चाहे CA ही सही, बिना कुछ खाये पीये रात भर ICU लॉबी में सोफे की एक सीट पर ठिठुरते हुए जागने के बाद भी अपने आपको भूलकर, अपने आफिस की फ़ोन कॉल्स को इग्नोर करते हुए सास की चिंता में जुटी हुई। नर्सों और डॉक्टरों की शिफ्ट भी चेंज हो चुकी है। नारियल सी कड़क , बड़े बड़े तुनक मिजाजों को ठीक करने की स्पेशलिस्ट टीम लीडर संगीता नायर ड्यूटी पर आ चुकी है, मगर श्रीमती सुतपा उसके भी कंट्रोल में नहीं आ रहीं। स्वस्तिका किसी तरह ICU के गार्ड से बचकर अंदर घुस आती है। नर्स संगीता रोकती है तो बस इतना पूछती है-मम्मी कैसी हैं। संगीता पूरे फॉर्म में है। अच्छा, ये आपकी मम्मी हैं। प्रणाम, नमस्कार। आप आ ही गई हैं तो जरा नाश्ता खिला दीजिये अपने पेशेंट को, हमसे तो हो नही रहा। स्वस्तिका को मौका मिला, सासू मां के पास आने का। दलिया की कटोरी से एक चम्मच लिया और उनके मुंह तक ले गई। खाने के बाद सुतपा बोली- कौन।

आपकी बेटी मां।

कौन सोनिया। सास के मोह से होने वाली देवरानी का नाम निकला।

नहीं मां, सोनिया तो नहीं आई। मैं स्वस्तिका।

एकाएक सुतपा ने मुंह में भरा हुआ दलिया उसी के मुंह पर थूक दिया। इससे पहले की सिस्टर दौड़ कर आती, वह फिर चिल्लाने लगी। विशाल, विवेक। मेरे बेटे को बुला दो।

स्वस्तिका ऐसे बोली जैसे कुछ नहीं हुआ। मां अभी विशाल घर से नहीं आये। कुछ खा लो।

तेरे हाथ से नहीं खाऊँगी। जहर खिला देगी मुझे। एक बार फिर थूक दिया बुढ़िया ने। आखिर आंसू बह चले। सिस्टर संगीता के अनुभव ने तुरंत उसे अपनी बांहों में समेट लिया और चुप कराने लगी। एक मिनट में ही स्वस्तिका ने अपने को संभाला और पति को फ़ोन मिलाया। सुनो जल्दी आ जाओ न। मां कह रही हैं, आपके हाथ से ही खाएंगी। कितना प्यार करती हैं न आपको। बस जल्दी से आ जाओ।

एक हाथ से आंसू पोंछते हुए और एक हाथ से बैग संभालते हुए वह आज की बहू ICU से निकल गई, बोलते हुए। सिस्टर मैं यहीं बाहर बैठी हूँ। डॉक्टर आएंगे तो बुला लेना।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy