Sanjay Kumar Jain Pathik

Drama Inspirational

4.5  

Sanjay Kumar Jain Pathik

Drama Inspirational

कोरोना स्टोरीज ऑक्सीजन सिलेंडर

कोरोना स्टोरीज ऑक्सीजन सिलेंडर

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कोरोना स्टोरीज भाग 3


ऑक्सीजन सिलेंडर किसे चाहिये

सुनो जी TV देख रहे हो। कितने लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं। पत्नी ने मुझे कोंचा। हाँ, हॉस्पिटल भी कुछ नही कर पा रहे।  

वो देखो TV पर ये आदमी बोल रहा है कि उसने 50000 में खाली सिलेंडर खरीदा फिर 5000 में भरवाया लेकिन उसका मरीज फिर भी नहीं बच पाया।

वास्तव में घर बैठकर दिन भर ऐसी दर्दनाक खबरें, मिर्च मसाला छिड़कते हुए TV एंकर ,एक दूसरे पर आरोप लगाते मंत्री और संतरी, ज्ञान बांटते कुछ बाबा, इसके अलावा करें भी तो क्या। TV देखो, खाओ और सो जाओ, सुबह शाम छत पर थोड़ा सा चहल कदमी कर लो। किसी मित्र को फ़ोन घुमाओ और पूछो ठीक तो है तू। भले मां बाप को गाँव में फ़ोन करने की हिम्मत न पड़े। कहीं आने को तैयार न हो जाये । समय बुरा है। अरे जब समय अच्छा था तभी कौन सा फ़ोन कर लेते थे मां बाप को।

देखो कौन आया। मास्क लगाकर जाना। और दूर से। निकला तो देखा बिग बास्केट की डिलीवरी। अनाज, साबुन, तेल, सब्जी, फल, ब्रेड सब कुछ ऑनलाइन आ जाता है और सस्ता भी। दूर से खड़े हो कर समान की  गिनती करने के बाद जैसे ही अंदर आया कि पत्नी किसी से फ़ोन पर बात करते करते बोली ये आ गए। तू उन्हें रोक के रखना। मैं अभी पूछ के बताती हूँ। मेरे कान खड़े हुए । शायद कोई गंभीर बात है। क्या हुआ मैडमजी। क्या पूछना है। अरे मेरी सहेली के हसबैंड हैं न। अरे गुप्ता जी। उनकी एक नेता के भाई से बात हुई है। वही नेता जी जो समाजसेवा में मरीजों के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करा रहे हैं। 20000 रुपये में एक सिलेंडर हमें दिलवा सकते हैं। मेरी सहेली तो दो ले रही है। ईश्वर न करे अगर हमारे यहां किसी को कोरोना हो जाय तो काम आएगा। जल्दी करो। पैसे एडवांस भिजवाने पड़ेंगे।  

एडवांस कहाँ से लाऊं मैडम जी, सैलरी तो मिली नहीं। हमें नहीं चाहिए ये फालतू खर्च। मेरे इतना बोलते ही बीवी फट पड़ी।

अरे तुम तो आदमी ही फालतू हो। गाड़ के रक्खे रहो अपने पैसे। मैं देती हूँ अपने पास से। चिंकू बेटा ये ले 20000 रुपये और गुप्ता अंकल के साथ चला जा नेताजी के भाई के पास। सिलेंडर साथ ही ले आना। चिंकू निकल तो गया क्योंकि उसे भी पता था कि मम्मी से बहस करने से कोई फायदा नहीं है।

दो घंटे बाद चिंकू घर में घुसा। पत्नीजी बोली आ गया बेटा। सिलेंडर कहाँ है, ऑक्सीजन वाला। अभी नहीं दिया क्या उन्होंने।

दिया था। चिंकू धीरे धीरे बोला।

दिया था। तो कहां गया। किसी ने लूट लिया क्या मेरे बेटे से। क्या जमाना आ गया है। पत्नी गुस्से से बोली।

नहीं मम्मी, लूट तो हम रहे थे, किसी और का हक। वो जिनके मरीज दम तोड़ रहे हैं बिना ऑक्सीजन उनका। मेरे सामने वो नेताजी समाज सेवा के नाम पर प्लांट से फ्री ऑक्सिजन लेकर ब्लैक में हमारे जैसे लोगों को बेच रहे थे और जरूरतमंद गरीबों को भगा रहे थे।

फिर तूने क्या किया? इस बार पूछने वाला मैं था।

मैंने सिलेंडर तो लिया और डिक्की में रख लिया। वापस आते हुए मैंने हॉस्पिटल के बाहर किसी को रोते हुए देखा। वो अंकल अपने बेटे के लिए कहीं से ऑक्सीजन का इंतज़ाम नहीं कर पाए और रो रहे थे कि ऑक्सीजन के बिना मेरा बेटा दम तोड़ देगा। मैंने सिलेंडर उन्हें देकर एक जान बचा ली।

बीबी के चेहरे पर मिश्रित से भाव थे। पर बेटे हमारे 20000 रुपये।  उनका खाली सिलेंडर मैंने ले लिया मम्मी। बाद में भरवा लेंगे जब ऑक्सीजन मिलने लगेगी। नहीं तो किसी और को दे देंगे, जिसे जरूरत होगी ऑक्सीजन की।

मुझे लगा कि चाहे 20000 रुपये फंस गए लेकिन मेरा बेटा अब वास्तव में बड़ा हो गया है।


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