लॉक डाउन का सामना
लॉक डाउन का सामना
सुबह -सुबह दादी को बेहद घबराए हुए देखकर पूछ बैठी, क्या हुआ दादी? दादी लगभग रोते हुए बोली, अरे बाप रे बाप अब हम नहीं बचेंगे।
मतलब,अचानक क्या हो गया आपको? मैंने पूछा ।
देख न निगोड़ी ‘कोरोना ‘महामारी बन कर पूरी दुनिया को खा रही है, पेपर में लिखा है बुजुर्ग लोगों को यह आसानी से जकड़ ले रही है सब बूढ़े लोग को ही यह छूत की बीमारी लग रही है और कोई दवा भी नहीं निकली है अब तक। बिना इलाज के सब मर रहे हैं।अभी तो तुम्हारी शादी देखनी थी। एक बार हरिद्वार जाकर गंगा नहाना था...
दादी की लम्बी लिस्ट ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी जिसे उन्हें पूरी करनी थी, इसलिए शायद चिंतित थी।
सब को जान प्यारी होती है। यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है, मनुष्य जब तक ज़िन्दा रहता है खुश और स्वस्थ रहना चाहता है। बीमारी, दुख ,चिंता या कोई अनहोनी न हो जाए , सदैव चिंतित रहता है।दादी भी रात दिन कोरोना जैसी संक्रामक महामारी की ख़बर सुन सुन कर घबरा गई थी।
मैंने दादी को सांत्वना देना चाहा -नहीं, दादी आपके पास तो कोरोना वायरस फटक भी नहीं सकता, आप इतना साफ़ सफ़ाई रखती हैं।पौष्टिक खाना खाती हैं और आप कहीं बाहर भी नहीं आती जाती। मम्मी,पापा,भैया सब लोग कहीं बाहर नहीं निकल रहे। बार -बार हाथ धो रहे हैं।बस साफ़ सफ़ाई ,दूरी बनाए रखना है, दादी, और आपको तो अगर कोई सफ़ाई प्रतियोगिता होगी तो उसमे फ़र्स्ट प्राइज़ मिल जाएगा ।आप इतनी सफ़ाई पसंद जो हो ,हा हा ...हँसते हुए मैंने दादी को सामान्य करना चाहा। जिसमें मैं कामयाब हुई। दादी अपनी बड़ाई सुन ख़ुश हो कर अपनी पुरानी नसीहतों, घरेलू नुस्ख़ों की पोटली फिर से खोलने ही वाली थी कि मैंने कहा चलिए दादी रामायण पढ़ कर सुनाइए ।आजकल लॉक डाउन में समय निकालकर हम सब दादी के मधुर लयबद्ध स्वर में रामायण सुनने का आनंद ले रहे हैं ।मम्मी मुस्कुराते हुए मुझे दूर से थम्स अप कर रही थी क्योंकि दादी का ध्यान भटकाने में कामयाब जो हो गई थी। पापा को भी डाँट पड़ गई दादी से तू क्या “मोबाइल में घुसा रहता है चल बैठ यहाँ और सुन...।”
सच में कोरोना वायरस इतना ख़तरनाक है। जिससे मज़बूत मानसिकता वाले व्यक्ति भी घबरा जा रहे हैं।कम से कम लॉक डाउन के वजह से पूरा परिवार विपरीत परिस्थिति से मिलकर सामना करने में मददगार साबित हो रहा है ।