लोन
लोन
एक पर्चा अनिमेष के हाँथ में थमाते हुए ,आभा उससे बोली "यदि हमारी कम आमदनी के कारण अथर्व का एडमिशन अच्छे कॉलेज में नही हो पा रहा है तो हम उसकी पढ़ाई के लिये, एजुकेशन लोन ले लेते हैं जिससे उसकी आगे की पढ़ाई निर्बाध रूप से चलती रहे।" उसकी बात सुन अनिमेष ने सोचा की,ये लोन शब्द आखिर कब उसका पीछा छोड़ेगा।अनायास ही उसे याद आया ,की कैसे उसके पिता ने भी।उसकी पढ़ाई के लिए, ओर फिर बहन की शादी के लिए लोन लिया था।और उसके बाद दिन ब दिन उनकी पेशानी पर चिंता की लकीरें ओर गहराती चली गई।नई नई साड़ियां खरीदने की शौकीन उसकी माँ ने,लोन के बाद अपना हर त्यौहार मायके से आई साड़ी में ही मनाया।जिसकी कसक उनके चहरे पर सेकड़ो बार, उन सभी ने महसूस की।ओर उस लोन को पाटने की आपाधापी में उसके मातापिता की खुशहाल जिंदगी के, कितने ही साल तंगहाली में निकल गए।मन मे आए इस ख़्याल से ,अनिमेष लोन के पर्चे को मेज पर रख। एक कुर्सी पर आंखे बंद किये टिक गया।और आभा बड़ी खामोशी से उसके चहरे के भाव पढ़ने लगी।