लोककथा
लोककथा
भारतवर्ष में अनेक लोक कथाएं प्रचलित है। उन्हीं में से एक किंवदंती है इलोजी की। यह राजस्थान में बहुत प्रचलित लोककथा है।
हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में ये घोषणा कर रखी थी कि विष्णु की पूजा करने वाले या फिर उनका नाम लेने वाले को कठोर दंड दिया जाएगा, क्योंकि भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्कयश्यप के बड़े भाई हिरण्याक्ष का वध कर दिया था। हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु और अन्य देवताओं की आराधना पर भी रोक लगा रखी थी।
हिरण्यकश्यप का पुत्र, प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था। जब हिरण्यकश्यप को इस बारे में पता चला तो उसने प्रहलाद को समझाने की बहुत कोशिश की, अनेक दंड भी दिए परन्तु प्रहलाद नहीं माना।
माना जाता है कि प्रहलाद से परेशान होकर हिरण्यकश्यप अपनी बहन होलिका के पास मदद के लिए गया।
होलिका अग्नि की भक्त थी और उसे अग्नि देव से वर प्राप्त था की उसे अग्नि से कोई हानि नहीं पहुंचेगी। हिरण्यकश्यप ने कहा कि वह प्रहलाद को गोद में लेकर जलती हुई चिता में बैठ जाए, ताकि प्रहलाद अग्नि में जलकर भस्म हो जाए।
उस समय होलिका के विवाह की तैयारियां चल रही थी। पूर्णिमा के दिन 'ईलोजी' से होलिका का विवाह होने वाला होता था। होलिका ने अनुरोध किया कि वह अपने विवाह के बाद प्रहलाद को लेकर अग्नि स्नान कर लेगी, लेकिन हिरण्यकश्यप नहीं माना। होलिका ने हिरण्यकश्यप की जिद के आगे हार मान ली।
उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी। शाम के समय होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि पर बैठ गई। उस समय वरदान स्वरुप मिली ओढ़नी होलिका से हट कर प्रहलाद पर आ गई और प्रहलाद पर अग्नि का कोई असर नहीं हुआ। वहीं ओढ़नी के बिना होलिका जल कर राख हो गई।
इलोजी इस घटनाक्रम से अनजान घोड़ी पर सवार हो बारात लेकर पहुंचे। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि होलिका की मृत्यु हो चुकी है, उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। उन्हें इस बात से सदमा लग गया और उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। वे वहां की गलियों में मस्ताने की भांति यहां-वहां घूमने लगे। इलोजी की इस दशा पर बहुत-से लोग दुखी हुए, कुछ उनका उपहास उड़ाने लगे।कोई इलोजी पर पानी डालने लगे तो कोई गुलाल।
माना जाता है फाल्गुन पूर्णिमा के दिन इलोजी की याद में लोग मस्तानों सा व्यवहार और हुड़दंग करते है। एक-दूसरे पर पानी और रंग डालते है। होलिका के विवाह के रीति रिवाज दस दिन पूर्व से शुरू हो गए थे इसलिए होली से दस दिन पूर्व (होली के डंडे में) तक कोई शुभ काम भी नहीं होता।
कुछ स्थानों पर इलोजी को विवाह के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।