लोग क्या कहेंगे

लोग क्या कहेंगे

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क्यों री तीन दिन से कहाँ गायब थी तू, बता कर नहीं जा सकती थी। कामवाली पुनिया के घर मे घुसते ही मैंने बिना उसकी ओर देखे प्रश्न दाग दिया।"मालकिन "उसकी मरियल सी आवाज सुनते ही मैं पलटी, उसकी ओर देखा तो माथे पर पट्टी, हाथ मे चोट के निशान, मैं घबरा गई अब ये क्या हो गया तुझे। "मालकिन मेरे आदमी ने मुझे रात बहुत पीटा "

पर क्यों- मेरे पूछने पर वह रोने लगी और टूटी हुई आवाज में कराहते हुए बताया "मैं तो सो रही थी मालकिन उसने रात दारू पीकर मुझे अचानक पीटना शुरू कर दिया। बहुत ज्यादा चोट लगी है, पड़ोसी लोग ले जाकर अस्पताल दवाई पट्टी कराए हैं।"

"तू क्यों इतना मार खाती है रे " मैंने उसके सामने चाय और पोहा की प्लेट रखते हुए कहा, मुझे उस पर बहुत दया आने लगी।

"क्या बताऊँ मालकिन, एक तो कुछ काम भी नही करता, घर मे दारू पीकर पड़ा रहता है, ऊपर से गाली- गलौच, मेरा तो मन होता है एकाध दिन सोते में ही उसका पत्थर से सर कुचल कर मार डालूँ।"

"तू तो उसके लिए तीज का उपवास भी रहती है ना रे, उस समय भी छुट्टी लेती है काम से।और फिर उसी को जान से मारने की बात, ज्यादा परेशानी हो तो अलग कमरा ले कर रह ले कहीं " मैंने कहा।

-"क्या करूँ आप ही बताओ जीना हराम कर रखा है मेरा, जबरदस्ती के निभाना पड़ रहा है, मेरी ज़िंदगी मे दुख ही दुख है, साथ रहना मज़बूरी है अलग होऊँगी तो लोग क्या कहेंगे।"

वो बोलती जा रही थी और मैं सोच रही थी कि लोगों के डर से, साथ जीना मज़बूरी हो गई है उसकी।

आखिर कब तक, यह अत्याचार वह सहेगी, कभी तो उसकी भी सहनशक्ति जवाब देगी।


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