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rekha karri

Romance

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rekha karri

Romance

लम्हे ज़िंदगी के

लम्हे ज़िंदगी के

7 mins
230

        

अलका और विकास की दो संतान हैं । श्लोका और मानव । श्लोका ने कम्प्यूटर साइंस में मास्टर्स किया था और वह एक बड़ी सी कंपनी में काम कर रही थी । मानव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और वह भी नौकरी करने लगा । सबसे पहले अलका श्लोका के हाथ पीले कर देना चाहती थी क्योंकि उसे पढ़ाई के बाद नौकरी करते हुए भी एक साल हो गया था । वह सुंदर सुशील थी । जल्दी ही उसे अमेरिका में ही नौकरी करने वाले अभिषेक के परिवार वालों ने पसंद कर लिया । उसकी शादी बहुत ही धूमधाम से संपन्न हो गई । हर माता-पिता के समान अलका और विकास भी अपनी बेटी श्लोका की शादी एक अच्छे घर में करने के बाद खुश थे । उनके मन को एक तसल्ली थी कि अपनी प्यारी बिटिया को उन्होंने एक अच्छे इंसान के हाथ में सौंपा है । बिटिया की शादी के बाद उन्होंने ने सोचा कि एक ज़िम्मेदारी को हमने अच्छे से निपटा दिया है । अब बेटा ही है उसके बारे में बाद में सोच लेते हैं । श्लोका का विवाह होते ही मानव के लिए रिश्ते आने लगे । मानव थोड़ा समय चाहता था इसलिए किसी भी परिवार के सदस्यों से उन्होंने बात नहीं छेडी। अलका ने मानव से पूछा तेरी नज़र में कोई लड़की है क्या बता दे बाद में फिर नहीं कहना पहले पूछा नहीं ? मानव ज़ोर से हँसते हुए कहता है ....वाह माँ अपनी बेटी के लिए तो खुद रिश्ता लाई और मुझसे कहती है कोई है क्या ? ऐसा कुछ नहीं है आपको ही मेरे लिए भी लड़की को चुनना पड़ेगा । अलका बेफिक्र हो गई । एकदिन शाम को पाँच बजे ही विकास और मानव एक साथ घर आ गए । अलका ने कहा "क्या बात है ,आज सूरज कहाँ से उगा जो दोनों बाप बेटे एक साथ वह भी शाम को ही घर आ गए ।" उन्होंने कहा -"चाय बना ला !सब बैठ कर बातें करते हैं ।"चाय बनाते हुए ही अलका का दिल कह रहा था कुछ तो बात है । चाय पीते - पीते विकास ने कहा -"इसने मुझे फ़ोन किया था कि वह मेरे ऑफिस आकर मुझसे बात करना चाहता है !अगर मैं व्यस्त न हूँ तो ..मैंने इसे बुला लिया । उसने मुझे बताया कि वह एक लड़की को चाहने लगा है ।जो मुंबई में रहती है और उसकी ही कंपनी में काम करती है । दोनों विवाह करना चाहते हैं । वहाँ तक ठीक है .....आगे वे लोग बिहार से हैं । ख़ैर..., उनके परिवार में दो लड़कियाँ और एक लड़का है पिता फ़ौज में थे । यही उनके घर की बड़ी बेटी है"  

विकास ने उनके पिता से बात की और उनके जवाब का इंतज़ार करने लगे । विकास के माता-पिता भी थे । जब विकास ने उन्हें बताया तो उन्होंने ने भी कोई आपत्ति नहीं बताया क्योंकि आजकल के बच्चे हैं उनका हमें साथ देना ही पड़ता है । कुछ दिन बाद पता चला कि उस बच्ची जिसका नाम अदिति था ,उसके माता-पिता अपने ही बिरादरी में उसका ब्याह कराना चाहते हैं । इसलिए बेटी को बिना बताए जल्दी -जल्दी वे लोग रिश्ते ढूँढने लगे । अदिति की माँ ने अपने पति से कहा आप अच्छा सा रिश्ता ला दीजिए मैं इसे मना लूँगी । अदिति और मानव की बातचीत चल ही रही थी ।उन्होंने ने अपने साथ श्लोका और अभिषेक को भी मिला लिया और सबने मिलकर तय किया कि अदिति अपने घर में बिना बताए मानव के पास आ जाएगी । विकास को भी जब यह बात पता चली तो उन्होंने मानव से कहा —"यह ग़लत बात है लड़की अकेले कैसे आएगी ।तुम मुंबई जाओ और उसे अपने साथ लाओ ।" विकास को डर भी था कि अगर उन्होंने पुलिस कम्प्लेन लिखवाई तो मानव को एयरपोर्ट में ही अरेस्ट कर सकते हैं ।विकास की पहुँच बहुत ज़्यादा थी ।वे एक बहुत बड़े ऑर्गनाइज़ेशन के लीडर थे । ऑल इंडिया में उनका नाम था । उन्होंने अपनी सिफ़ारिश से सब कुछ सँभाल लिया था । मानव अदिति को लेकर जैसे ही एयरपोर्ट से आया ,विकास दोनों को पुलिस कमिश्नर के ऑफिस में ले गए ।वहाँ अदिति से पूछताछ किया गया कि वह अपनी मर्ज़ी से मानव के साथ आई है । फिर मानव ने उसे अपने दोस्त के यहाँ छोड़कर आया । 

अब चट मँगनी पट ब्याह के समान जल्दी से विकास ने मंदिर में शादी का इंतज़ाम किया और सिर्फ़ सौ पचास लोगों के बीच विधि विधान से शादी संपन्न कराकर लड़की को घर ले लाए । अब भी शंका थी कि कुछ भी हो सकता है । दूसरे ही दिन रजिस्टर ऑफिस में विवाह को रजिस्टर कराकर अदिति के पिता को भेज दिया गया । विकास ने अदिति के पिता से बात किया और कहा देखिए जो हो गया सो हो गया है । बच्ची को बिना ब्याहे मैं अपने घर नहीं ला सकता था । मुझे भी सबको जवाब देना पड़ता है ।इसलिए मैंने अपने थोड़े से रिश्तेदारों और दोस्तों के सामने विधि विधान उसे अपने घर की बहू बनाकर घर लेकर आया हूँ । पंद्रह बीस दिनों में मैं यहाँ रिसेप्शन भी दे रहा हूँ ।आप लोग आए तो हमें अच्छा लगेगा ।

रिसेप्शन के दिन उनका इंतज़ार किया गया ।परंतु वे नहीं आ पाए । उनकी भी अपनी कुछ मजबूरियाँ रही होंगी । 

विकास ने जब अपने माता-पिता को बताया उन्होंने एक ही बात कही तुम्हारे बेटे पर विश्वास करके उस बच्ची ने अपने घर बार को छोड़ दिया और आ गई अब तुम लोगों की ज़िम्मेदारी है कि उसे तुम्हारे घर में इतना प्यार मिले कि उसकी आँखों से कभी आँसू न आए । सच ही कितना है उनका बड़प्पन और लड़कियों के प्रति आदर के भाव हैं कि उन्हें नत मस्तक होकर अलका ने प्रणाम किया । दोनों हाथों को फैलाकर अदिति को घर वालों ने अपने दिल में समा लिया था । अदिति ने भी अपने आचार व्यवहार से सब का दिल जीत लिया था । जब भी अलका उसे देखती सोचती कि शायद मैं भी मानव के लिए इतनी अच्छी लड़की नहीं ला सकती थी 

अब विकास अदिति के माता-पिता से भी मिलना चाहते थे ।वे अपने किसी मीटिंग के सिलसिले में मुंबई पहुँचे वहाँ के ऑफिस वालों ने कहा - सर !आप अपने समधी जी को यहीं बुला लीजिए बहुत सारे लोग मीटिंग में आए हैं तो उन पर धाक भी जमेगी । अदिति के पापा आए और विकास से मिलकर उन्हें अपने घर लेकर गए साथ में विकास के कुछ सहउद्योगी भी गए थे ।अदिति की माँ ,भाई - बहन से मिलकर आने के बाद विकास ने समझ लिया कि वे बुरे नहीं हैं । जितना लोग सोचते हैं । असल में हम लोगों के मन में बिहार के लोगों के प्रति एक भावना थी कि वहाँ की लड़कियाँ अगर दूसरे जाति के लड़कों से ब्याह करती हैं तो वे जहां कहीं भी हो ढूँढ कर मार दिया जाता है । वैसे भी जैसे ही मानव ने अदिति के बारे में बताया था ,विकास ने पूरी छानबीन कर ली थी और पता लगा लिया था कि गाँव में उनकी बहुत इज़्ज़त है और वे बहुत ही अच्छे हैं । अदिति के घर जाकर उनसे मिलकर रहा सहा कसर भी पूरा हो गया । घर आकर उन्होंने ने तय कर लिया कि दोनों को एकबार मुंबई भेजेंगे पर कुछ रिश्तेदारों और कई दोस्तों ने सलाह दी कि मत भेजो मालूम नहीं वे कैसे रियाक्ट करेंगे पर विकास को विश्वास था क़ि वे बहुत ही अच्छे हैं । मानव और अदिति मुंबई पहुँचे । अदिति की माँ और बहन को मानव बहुत पसंद आ गया क्योंकि मानव छह फ़ीट लंबा था , गोरा रंग था और घुंघराले बाल थे ।पढ़ा लिखा नौकरी करने वाला अकेला लड़का ...बहन अमेरिका में रहती थी तो लड़कियों के माता-पिता को इससे अच्छा लड़का चिराग़ पकड़कर ढूँढने पर भी नहीं मिल सकता था । अदिति के घर वाले ख़ुश हो गए और आपसी संबंधों में सुधार हो गया । अदिति वापस अपने ससुराल आ गई और उसे भी एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई । अलका भी स्कूल में टीचर थी ।इस तरह हँसते गाते दिन गुज़रने लगे तभी अदिति ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया । अक्षत अब पहली कक्षा में पढ़ता है । अदिति ने भी नौकरी छोड़ दिया और अक्षत की देखभाल में लग गई । यह सब होकर भी दस साल हो गए पर जब सोचने बैठें तो लगता है कल की ही बात है । इन दस सालों में मानव अदिति ने सुंदर सा एक फ़्लैट भी ख़रीद लिया और अपने व्यवहार से लोगों के दिलों में ऐसी जगह बना ली कि सबने बीती बातों को भुला भी दिया और आज किसी को याद भी नहीं है कि दस साल पहले ऐसा कुछ हुआ था ।इसलिए कहते हैं “अंत भला तो सब भला “!!!!!


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