Gulafshan Neyaz

Abstract

5.0  

Gulafshan Neyaz

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लड़की और शिक्षा

लड़की और शिक्षा

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आज कल भी कुछ लोगों की सोच देखकर मुझे शर्म आती है।कुछ लोग अब भी यही सोचते हैं।क्या होगा लड़की को पढ़ा लिखा कर? क्या करेगी पढ़ लिखकर आखिर तो किचन में ही जाएगी, बच्चा ही पालेगी ।

मुझे समझ में नहीं आता ये रसोई और पढा़ई का रिश्ता दोनों साथ साथ कैसे हो गया? क्या पढ़ी लिखी लड़कियां खाना नहीं बनातीं? क्या वो बच्चा पैदा नहीं करती?पढ़ाई से हमारी अंतर आत्मा का विकास होता है।आज भी मेंने अपने गाँव में एक रिश्ते को टूटते हुए देखा ! वजह लड़की का लड़का से जायदा पढा़ होना। लड़की जायदा पढ़ी है।लड़का कम पढा़ है।लड़का और सास ससुर की इज्जत नहीं करेगी ,खाना नहीं बनाएगी।ये तर्क मुझे समझ में ही नहीं आया।अगर लड़की पढी़ होगी तो वो अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देगी।लड़की की शिक्षा को लेकर इतने सवाल मेरी समझ से बाहर है ! आज औरत चांद तक पहुंच गई पर उसे धरती पर ही सम्मान नहीं मिला।सच तो ये भी है मैंने औरत को ही औरत पर तंज कसते हुए देखा।पढा़ई अपनी जगह है रसोई अपनी जगह है।जैसे मर्द चाहे पढा़ हो या जाहिल, उसे कमाना ही पड़ता है ।उसी तरह स्त्री पढी़ हो या जाहिल उसे रसोई में जाना ही पड़ता है ।ये उसका अपने परिवार से प्यार है।पर कुछ लोग औरत या लड़की को बस रसोई तक ही देखना पसंद करते हैं ।उसकी भी कोई जिन्दगी है, उसका भी कोई अरमान है।मत कुचलना उन अरमान को अपने मर्द रूपी पांव तले।



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