क्या तुम मुझे पढ़ाओगी बहुरानी
क्या तुम मुझे पढ़ाओगी बहुरानी
"अरे पंखुड़ी..... ये क्या....... तुमने ये चीज़ वाले सैंडविच क्यों बनाये।" किचन स्लेब पर चीज़ का पैकेट देखकर सास देवकी जी ने कहा।
"मम्मी वो..... राजीव को खाना था ना तो इसीलिए ......!" पंखुड़ी ने सकुचाते हुए कहा।
"तो पहले मेरे लिए ब्रेड सेक लेती....... उसके बाद तुम्हें जो बनाना है खाना है जाकर खाओ मुझे क्या....! लेकिन फिलहाल तो तवा अशुद्ध कर दिया ना।" देवकी जी ने गुस्से में कहा।
"लेकिन मां ये नॉनवेज थोड़ी ना होता है वह तो वेजिटेरियन होता है....... यह तो दुध से ही बनता है। मैंने आपको बताया था ना खाने की किसी भी चीज पर लाल और हरे निशान के बारे में तो फिर देखिए इस पर हरा निशान ही है...... और लिखा हुआ भी है।"पंखुड़ी ने देवकी जी को समझने की कोशिश की।
"मुझे नहीं पता तुम्हारे ये लाल पीले रंगों के बारे में मुझे तो इतना पता है कि मेरी दोस्त ने बोला था कि यह नॉनवेज में हीं आता है और यह पढ़ना लिखना मुझे नहीं आता है तुम ही पढ़ो और तुम ही जाकर समझो........ मेरा खाना तो वैसे भी रह गया मैं तो दूध रोटी खा लूंगी........ नहीं चाहिए मुझे तुम्हारे इस तवे पर सेकी हुई ब्रेड।" इतना कहकर देवकी जी किचन से बाहर चली गई और पंखुड़ी बिना किसी गलती के भी गुनहगार बन कर रह गई। मन ही मन सोचने लगी कि कुछ लोग दूसरे को उल्टी-सीधी पट्टी क्यों पढ़ाते हैं जब चीज वेजिटेरियन है तो फिर क्यों उसे नॉनवेजिटेरियन बता कर खाने से रोकते हैं लेकिन खैर अगर मम्मी जी पढ़ी लिखी होती तो इन सारी चीजों को समझ सकती कि पैकेट पर क्या लिखा हुआ है निशान का मतलब क्या होता है और भी वो सारी बातें जो पढ़ा लिखा ना होने के कारण वह समझ नहीं पाती।
वहीं दूसरी तरफ देवकी जी कमरे में जाकर पति शरद कुमार जी के आगे अपना गुस्सा निकालने लगी। "ना जाने क्यों आपको शौक लगा था बेटो को पढ़ाने का...... बाहर भेजने का...... अब देखो पढ़ी लिखी बहुएं आई है और मेरे सर पर नाच रही है। ना जाने कौन से लाल पीले निशान दिखा कर मुझे समझा रहीं है कि ये वेज होता है और यह नॉनवेज होता है अरे भाई हमने भी दुनिया देखी है हमें भी पता चलता है कि कौन सी चीज किस तरीके से बनती है क्या होती है लेकिन नहीं इनको तो खाली अपना किताबी ज्ञान ही समझ में आता है .......... आप सुन भी रहे हो मैं क्या कह रही हूं।" इतना कहकर देवकी जी शरद जी से रूठ कर दूसरी तरफ मुंह करके बैठ गई वहीं शरद जी सारी बातें सुन कर भी अंजान बने हुए बैठे थे। क्योंकि वह जानते थे कि उनकी बहू पढ़ी-लिखी होने के साथ-साथ समझदार भी है। हर चीज को जांच परख कर समझ कर ही उपयोग करती हैं लेकिन यह बात देवकी जी समझना नहीं चाहती और जब कोई समझना ही नहीं चाहता तो आप उसे कितना भी कुछ भी समझा लो सब कुछ व्यर्थ है। और उनके हिसाब से उनकी पढ़ी लिखी बहू किसी काम की नहीं है। खैर अपनी नाराज पत्नी देवकी जी को मनाने का प्रयास किए बिना ही शरद जी सो गए वैसे आज उनकी भी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी और इसीलिए भी फालतू किसी झमेले में नहीं पड़ना चाहते थे।
आधी रात को अचानक शरद जी को की तबीयत खराब हो गई एसिडिटी की वजह से डकारे आ रही थी जी मचल रहा था, और पेट भी दर्द कर रहा था। जब उन्होंने देवकी जी को उठाया तो देवकी जी बिना देर किए फटाफट उन्हें पुदीन हरा लाकर दिया लेकिन उससे शरद जी को फायदा नहीं हुआ।
"सुनिए मेरे पास ना एसिडिटी की एक गोली पड़ी है मैं वह आपको दे देती हूं फटाफट फायदा हो जाएगा 2 मिनट रुकिए।"
"हां अब तो दर्द बढ़ रहा है घरेलू इलाज से कुछ नहीं होगा। ऐसा करो दवाई दे ही दो पर दवाई सही तो है ना....?
"अरे कैसी बातें कर रहे हैं आप...... मैं क्या आपको खराब दवाई दूंगी...? मैं खुद भी दो चार बार यह दवाई ले चुकी हूं अभी ढूंढ कर देती हूं मेरी साइड वाले ड्रावर में ही पड़ी है।" इतना कहकर देवकी जी ने फटाफट एक गोली निकाल कर शरद जी को दे दी। शरद जी ने दवाई ली और सोने का प्रयास करने लगे थोड़ी देर बाद उन्हें पेट दर्द कुछ कम लगा लेकिन हाथ पैर मानो सुन्न हो रहे थे जैसे शरीर में जान ना हो। सुबह के 5:00 बजे तक तो न दर्द उनके शरीर पर दाने दाने निकल आए। अब तक उन्हें लग रहा था कि शायद वह मिट भी होगी लेकिन जब एक बार वह मिट आना शुरू हुई तो रुकने का नाम नहीं ले रही थी सुबह के 7:00 बजे तक तो उनकी हालत बहुत खराब हो गई। फटाफट अस्पताल लेकर जाया गया इमरजेंसी में भर्ती करवाने पर पता चला की कोई गलत दवाई या एक्सपायरी दवाई ले लेने की वजह से उनकी यह हालत हुई है रिकवरी में कम से कम 8 दिन लगेंगे लेकिन समय पर अस्पताल पहुंचने के कारण किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं था। घर आकर बेटे राजीव ने मां देवकी जी से दवाई के बारे में पूछा। तब उन्होंने बताया कि रात को उन्होंने यह दवाई शरद जी को दी थी चेक करने पर पता चला कि दवाई 6 महीने पहले एक्सपायर हो चुकी थी। राजीव अब यह समझ चुके थे की मां की लापरवाही के कारण ही यह सब कुछ हुआ है।
"मां यह देखो तुमने एक्सपायरी दवा यानि की तारीख निकली हुई दवाई पापा को दी है और उसी वजह से इतना सब कुछ हुआ है यह तो शुक्र है कि हम उन्हें समय पर अस्पताल ले गए वरना कुछ भी हो सकता था आखिर आप इतनी लापरवाह कैसे हो सकते हैं हम बच्चों को पाल पोस कर अपने बड़ा कर दिया और इस उम्र में इतनी बड़ी गलती....!"
"रुको शेखर गलती मां की नहीं है गलती है हमारी उस समाज की जिसने लड़कियों को पढ़ने का हक नहीं दिया था। आज अगर मां पढ़ी-लिखी होती तो वह तारीख भी चेक करती और दवाई का नाम भी पड़ती लेकिन अफसोस कि उनके पढ़े-लिखे ना होने के कारण इतनी बड़ी समस्या हो गई क्योंकि मैं जानती हूं की मां पापा जी की सेहत को लेकर कोई लापरवाही नहीं कर सकती। लेकिन जब उन्हें यह बात पता ही नहीं है कि एक्सपायरी डेट चेक नहीं करने या नाम नहीं पढ़ने गलत दवाई दे देने से किस हद तक नुकसान हो सकता है तो फिर इन सारी बातों का ध्यान कैसे देती इन छोटी-छोटी बातों की जानकारी तब आती है जब हम पढ़ते हैं समझते हैं।"
"बात तो तुम्हारी भी सही है पंखुड़ी अगर मां पढ़ पाती तो शायद ऐसी गलती कभी नहीं होती। वह तो पापा को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोच भी नहीं सकती और यह बात भी बिल्कुल सही है कि एक पढ़ा लिखा इंसान हर चीज को देखकर पढ़कर समझकर ही कोई निर्णय लेता है जबकि एक अनपढ़ इंसान केवल सुनी सुनाई बातों में ही विश्वास कर लेता है जैसे कि मां यह तो जानती है कि रात को नाखून नहीं काटे जाते हैं लेकिन कभी उन्होंने इसके पीछे की सच्चाई को नहीं जानना चाहा जबकि बात बहुत छोटी है पुराने जमाने में लाइट नहीं होती थी इसीलिए लोग दिन में ही नाखून काटते थे ताकि गलती से भी कैची लग ना जाए लेकिन धीरे-धीरे इसे अंधविश्वास का नाम दे दिया गया कि रात को नाखून नहीं काटे जाते हैं लेकिन पढ़े-लिखे लोग इस बात को समझते हैं और भी ऐसे न जाने कितने उदाहरण भरे पड़े हैं जिससे हमें पता चलता है कि एक पढ़ा लिखा इंसान और एक बिना पढ़े हुए इंसान के बीच कितना अंतर होता है। देवकी जी आज अपने बेटे बहू के बीच की बातें सुनकर यह समझ चुकी थी कि वाकई पढ़ाई लिखाई का हमारे जीवन में बहुत महत्व है आज उनकी छोटी सी गलती के कारण क्या से क्या हो जाने वाला था। खैर ईश्वर जो करते हैं अच्छे के लिए ही करते हैं आज मुझे यह बात समझ में आ गई की पढ़ाई लिखाई हमारे जीवन में कितना महत्व रखती है और यह पढ़ी लिखी बहू बहुत काम की है जबकि आज तक यही लगता था कि पढ़ी लिखी बहू के पास केवल किताबी ज्ञान है इन्हें किसी चीज की समझ नहीं है पर आज मैं मानती हूं कि मुझे तो केवल दुनियादारी का ज्ञान है लेकिन इन्हें दुनियादारी के साथ-साथ किताबों का ज्ञान भी है समझदारी भी है। खैर देर आए दुरुस्त आए अब मैं भी पढ़ लूंगी वह कहते हैं ना प्रोढ शिक्षा वाले स्कूल होते हैं जहां पर बड़ी उम्र के लोगों को पढ़ाया जाता है बस वही जाकर मैं भी पढ़ लूंगी।
"बच्चों मैं मानती हूं कि मेरे पढ़ा लिखा ना होने के कारण मुझसे एक बहुत बड़ी गलती हो गई लेकिन उसी गलती के चलते मुझे यह भी समझ में आ गया कि पढ़ाई लिखाई हमारे जीवन में बहुत महत्व रखती है बस इसीलिए एक छोटा सा निर्णय लिया है कि अब मैं भी पढ़ुगी प्रौढ़ शिक्षा केंद्र जाऊंगी और अपनी बच्चों की तरह समझदार हो जाऊंगी। लेकिन हां पहले तुम्हारे पापा को ठीक हो कर घर आ जाने दो उनके बिना मेरा मन नहीं लगता।"
हां मां तुम प्रोढ शिक्षा केंद्र भी जाना और पढ़ाई लिखाई भी करना...... रही बात पापा की तो वह भी जल्दी ही ठीक हो जाएंगे। ईश्वर की असीम कृपा है हमारे ऊपर जो आई हुई विपत्ति टल गई और तुम्हें जीने के लिए एक नया मकसद दे गई।"। बेटे की बात सुनकर देवकी जी की आंखें भर आई।
"अरे मां यह क्या........ आंसू नहीं बहाते आपने तो एक बहुत अच्छा फैसला लिया है लेकिन एक बात बताइए आप अगर पढ़ने जाएंगे तो मेरे बच्चों को कौन संभालेगा चलिए ठीक है मैं मैनेज कर लूंगी लेकिन हां आपको ट्यूशन मुझसे लेनी पड़ेगी। पंखुड़ी ने देवकी जी को छेड़ते हुए कहा
"अच्छा बेटा अब तुम मुझे पढ़ाओगी........? चलो कोई बात नहीं मैं तुमसे ही पढ़ूंगी ज्ञान चाहे जहां से भी मिले समेट लेना चाहिए। कुछ तुम मुझसे सीखोगी कुछ मैं तुमसे यही तो जीवन चक्र है। चलो भाई अब हॉस्पिटल भी जाना है बेचारा तुम्हारा लाडला देवा सुबह से हॉस्पिटल है उसे भी तो घर आकर थोड़ी देर आराम करने दो।" इतना कहकर देवकी जी ने अपने आंसू पूछते हुए चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी।
दोस्तों शिक्षा जीवन की वह चाबी है जो हमारे जीवन के हर ताले को खोल सकती है हर जगह पर हमें शिक्षा की जरूरत होती है फिर चाहे आप घर पर रहकर कोई काम कर रहे हो कोई घरेलू काम कर रहे हो या बाहर का कोई काम कर रहे हो हर जगह शिक्षा आपकी सच्चे साथी के रूप में आपका साथ निभाती है इसीलिए हम सभी को शिक्षित होना बहुत जरूरी है। यह मत सोचिए कि घर पर रहने वाली महिलाओं को शिक्षा की क्या आवश्यकता है मैं तो कहती हूं उन्हें तो शिक्षा की और भी ज्यादा आवश्यकता है क्योंकि वह घर पर रहकर आने वाली पीढ़ी का निर्माण कर रही है जब वह शिक्षित होंगे तभी तो आने वाली पीढ़ी को सही शिक्षा दे पाएंगी।
