औरत होना आसान नहीं
औरत होना आसान नहीं
"मां तुम समझती क्यों नहीं....... किस चीज की कमी है तुम्हें जो इस उम्र में तुम.........!"
"बेटा कमी किसी भी चीज की नहीं है बस अपनी खुशी के लिए......... अपने खोए हुए आत्मविश्वास को जगाने के लिए मैं नौकरी करना चाहती हूं।" बेटे अयान की बात बीच में काटते हुए सुगंधा जी ने कहा
"अगर ऐसा ही है तो.... तो तुम हमारा बिजनेस संभालने में मेरी मदद करो ना........! आत्मविश्वास तो उसे भी आ सकता है.....?" अपनी मां की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए अयान ने कहा।
"वो बात नहीं है बेटा........ मैं अगर तुम्हारे साथ काम करूंगी ना तो मैं बिजनेस की मालकिन के तौर पर काम करुंगी........ जहां कोई मेरी गलतियों को सुधारने वाला नहीं होगा लेकिन अगर मैं नौकरी करती हूं तो पल पल मेरी गलतियों को सुधारा जाएगा। तभी तो मैं निखर कर सोना बन पाऊंगी ना.....!"
"लेकिन मां तुम समझती क्यों नहीं...... इट्स नॉट देट ईजी और ऊपर से दुनिया क्या कहेगी कि 48 साल की उम्र में शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन घराने की बहू सबसे बड़े बिजनेसमैन की मां 15, 20 हजार की नौकरी कर रही है प्लीज हमारे बारे में तो सोचो.....! इतना स्वार्थी मत बनो.....!" सुगंधा जी के फैसले को बदलने के लिए समाज और दुनिया के नाम की दुहाई देते हुए अयान ने अपनी आखिरी कोशिश की...... साथ ही साथ नाराजगी जाहिर करते हुए अपने कमरे में जाने लगा। लेकिन सुगंधा जी ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिठा लिया।
"बेटा आज तक तुम्हारे इस खानदान के...... दुनिया के...... समाज के बारे में ही सोचा है और आज अगर मैंने अपने बारे में सोचा तो मैं स्वार्थी हो गई......! वाह बेटा जब तक एक नारी सब के बारे में सोचती है तब तक वह अच्छी होती है लेकिन जहां उसने अपने बारे में सोचा उसी समय उसे स्वार्थी करार कर दिया जाता है फिर चाहे वह मायका हो या ससुराल पति हो पुत्र हो पिता हो या भाई हर कोई चाहता है कि वह अपने घर की स्त्री को समाज और दुनिया की नजरों में अच्छा साबित करने के लिए बंदिशों में बांध लें।"
"मां मैंने ऐसा भी नहीं कहा........ और आप जानती हैं कि........ ना ही मैं इस तरीके की सोच रखता हूं। मैं तो केवल आपकी उम्र की वजह से कह रहा था कि इस उम्र में आप कहां इन सब चक्करो में पड़ेंगी। शादी से पहले जब आपने कुछ समय नौकरी की थी उसमें और आज में बहुत फर्क है।"
"अच्छा बेटा तो अब तुम मुझे समझाओगे.......? पहली बात तो है ये है कि उम्र तो सिर्फ एक नंबर होता है इंसान जो करना चाहे वह कर सकता है और वह भी जिस उम्र में करना चाहे कर सकता है जरूरत होती है तो सिर्फ इच्छाशक्ति की और कुछ नया करने के जज्बे की। और हां मैं जानती हूं कि आज से 25 साल पहले जब मैं नौकरी करती थी उसमें और आज के समय में बहुत फर्क है। तो बेटा जी इन 25 सालों में मैंने नौकरी नहीं की लेकिन हां अपने घर में बिज़नस होते हुए जरूर देखा है इसलिए जानती हूं कि आज के समय में काम करने का तरीका क्या है और इस तरीके से उसे मैनेज किया जाता है..... मां हूं तुम्हारी....!" सख्त लेकिन शांत लहजे से सुगंधा जी अपनी बात कह रही थी तो अब अयान के चेहरे के भाव भी धीरे-धीरे बदल रहे थे।
"बेटा जानते हो एक औरत होना इतना आसान नहीं होता अपने सपने पूरे करने के लिए हमें लड़ना पड़ता है और हर बार हमें परंपरा, समाज, रिश्ते नाते, दुनिया क्या कहेगी यह सब कुछ कह कर हमारे अपनों के द्वारा ही पीछे धकेला जाता है। जब छोटी थी ना तो मेरी दादी कहती थी "ज्यादा जोर से मत हंसो लड़की हो....... ऐसे कपड़े मत पहनो लड़की हो...... ज्यादा दूर अकेले मत जाना...... लड़की हो।" जब थोड़ी बड़ी हुई तो मां कहती थी "घर का काम सीख लो वही काम आएगा" लेकिन फिर भी समय बदला और मां ने मुझे पापा के मना करने के बावजूद भी पढ़ाई पूरी करवाई हालांकि पापा के खिलाफ थे। तब मां ने एक नया ही राग अलापना शुरू कर दिया कि अगर बेटी पढ़ी लिखी होगी नौकरी पेशा होगी तो अच्छा लड़का मिलेगा। यहां पर भी मेरी पढ़ाई इसीलिए पूरी हुई ताकि एक अच्छा लड़का मिल जाए और हुआ भी यही तुम्हारे पापा के रूप में मुझे सच में एक सच्चा जीवन साथी मिला था। लेकिन बड़े घराने की बहू बनने की वजह से फिर से मैं परंपराओं रीति-रिवाजों और लोग क्या कहेंगे की वजह से घर की चारदीवारी में कैद हो गई। ना कहीं आना जाना...... ना अपने से कम स्तर वाले लोगों से मिलना....... हमेशा शान शौकत से रहना........ अब ऐसे में नौकरी करना....... अपनी पहचान बनाना यह सब कुछ तो सपना बनकर ही रह गया था। इसी बीच तुम मेरे जीवन में तुम आए। अपने अंश को पाकर मेरे साथ साथ पूरा परिवार बहुत खुश था पर जानते हो मेरे मन के किसी कोने में एक बेटी की चाहत थी सोचा था कि जब बेटी पैदा होगी तो उसे इस तरह घुटने नहीं दूंगी खुला आसमान दूंगी....... लेकिन तुम्हारी डिलीवरी की बाद पता चला कि अब मैं कभी मां नहीं बन सकती थी। बस........ फिर तुम्हें ही अपना संसार मानकर मैं खुश हो गई क्योंकि और कोई चारा भी नहीं था मेरे पास। उसके बाद तो इस घर को संभालने सवारने में पूरा जीवन कब निकल गया पता ही नहीं चला। तुम तुम्हारी पढ़ाई लिखाई भी पूरी हो गई और तुम इस लायक भी हो गए कि हमारा सारा बिजनेस संभाल सको लेकिन इन 25 सालों में हर रात मैंने अपने सपने को धुंधला होते देखा...... अपनी अलग पहचान बनाने का सपना......... कुछ कर गुजरने का सपना। जानते हो धीरे-धीरे करके मैं तो अपने इस सपने को भूल ही चुकी थी इस घर में रच बस गई थी फिर लगा कि अब जो हो ही नहीं सकता बार-बार उसी सपने के लिए क्यों आंसू बहाऊ....? लेकिन पिछले साल जब तुम्हारे पापा हमें छोड़ कर चले गए तो मैं अकेली पड़ गई थी। तुम तो हमेशा अपने काम में बिजी रहते थे मैं क्या करती बस इसीलिए एक बार फिर से उम्मीद जगाई अपने आपको तैयार किया........ फिर से अपना सपना पूरा करने के लिए कोशिश शुरू की और आज तुम्हारे सामने तैयार खड़ी हूं एक नई उड़ान भरने के लिए। हां बेटा पिछले 6 महीने से मैं यही सब सीख रही हूं ना कि आज के दौर में किस तरीके से काम किया जाता है कैसे मैनेज किया जाता है ऑफिस में........ तो फिर क्यों एक बार फिर मैं इस दुनिया और समाज के नाम से अपने सपने को पूरा करने से पीछे हट जाऊं.......?"
"नहीं मां तुम पीछे नहीं हटोगी और ना ही अब मैं तुम्हें हटने दूंगा......! तुम्हारा यह बेटा हमेशा तुम्हारे साथ है। मुझे नहीं मालूम था मां कि एक औरत की जिंदगी इतनी मुश्किलों से भरी हुई होती है जहां एक छोटा सा सपना पूरा करने के लिए भी उसे न जाने कितने लोगों से परमिशन लेनी पड़ती है कितना कुछ मैनेज करना पड़ता है लेकिन अब बस अब तुम्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं है तुम अपनी उड़ान भरने के लिए तैयार हो और तुम्हारे बेटा तुम्हारा साथ देने के लिए...........! लव यू मां हमारे लिए इतना सब कुछ करने के लिए।" सुगंधा जी को गले लगाते हुए अयान ने कहा।
