तेरा मेरा साथ रहें
तेरा मेरा साथ रहें
"उनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।" बस यही तो थे ताई जी के आखिरी शब्द उसके बाद तो वह मौन हो गई थी। ना कुछ कहती थी ना कुछ समझती थी या यूं कहूं कि कुछ समझना चाहती ही नहीं थी। अपने होश खो बैठी थी और इस हालत में केवल 2 दिन ही रह पाई वो ताऊजी के बिना और तीसरे दिन वह भी चली गई। हमें यूं ही रोता बिलखता छोड़कर। अभी तो हम ताऊजी कि जाने के गम से ही उभर नहीं पाए थे और ताई जी ने भी हमारा साथ छोड़ दिया केवल 2 दिन का ही फर्क था दोनों के जाने में आखिर प्यार है इतना गहरा था उनका एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे।
मम्मी बता रही थी कि "किसी कारणवश ताऊ जी की शादी हो नहीं रही थी और उनके छोटे भाई यानी कि मेरे पापा और मम्मी की शादी पहले हो गई। तब मम्मी ही अपनी जान पहचान से लड़की ढूंढ कर ताई जी को इस घर में ब्याह कर लाई थी। और ताऊ जी वह तो अपनी नम्रता पर जान छिड़कते थे। बहुत प्यार करते थे। वह तो ताई जी को एक पल भी आंखों से ओझल नहीं होने देते थे। अगर उनके घर आने पर ताई जी ना देखें तो हड़बड़ा जाते थे मानो उनके शरीर में प्राण ही ना हो तड़प उठते थे ताई जी को देखने के लिए। संयुक्त परिवार था मान मर्यादा का भी ख्याल रखना होता था मगर फिर भी एक झलक पाकर संतुष्ट हो जाते थे।"
"ताऊ जी जहां भी जाते थे कोशिश यही करते थे कि अपने साथ ताई जी को जरूर ले जाए। समय के साथ साथ यह प्यार और बढ़ता चला गया लेकिन अब बच्चे छोटे थे और घर में बुजुर्ग भी थे इसलिए ताऊ जी थोड़ा मर्यादित ही रहते थे। लेकिन ताई जी उनके प्यार ओ समझती थी इसलिए मौका देख कर प्यार के कुछ पल उनके साथ बिता लेती थी। धीरे-धीरे बच्चे बड़े हुए और बुजुर्ग इस दुनिया से रुखसत हो गए ऐसे में ताई जी पूरी निपुणता से घर संभालती थी और ताऊ जी घर परिवार खेत सभी का ध्यान रखते थे। ताऊ जी की एक आदत थी वह आते समय ताई जी के लिए गजरा जरूर लेकर आते थे और अपने हाथों से ताई जी को गजरा लगाते भी थे। मम्मी को तो यह बात शुरू से ही पता थीं लेकिन हम तो बच्चे थे। हमें भी काफी समय बाद यह बात पता चली।
धीरे-धीरे हम बच्चे बड़े हुए, संयुक्त परिवार था तो बड़ों का सानिध्य, प्यार, अनुशासन, सब कुछ मिला धीरे-धीरे हम सभी अपने परिवार में व्यस्त हो गए। ताई जी के दोनों बेटे शहरमें रहने चले गए। दीदी और मेरी शादी हो गई मेरे दोनों भाई भी बड़ी कंपनियों में बड़े-बड़े पदों पर काम करने लगे। जिसके चलते मम्मी पापा भी वहीं आ गए वही उनके साथ रहने लगे। अब उस हवेलीनुमा मकान में ताऊ जी और ताई जी अकेले रह गए। लेकिन वह दोनों अकेले कहां थे उन्हें तो एक दूसरे का साथ था। शादी के समय जो प्यार था आज भी वह कायम था या यूं कहें कि बड़ ही गया था। क्योंकि इस उम्र में वह दोनों ही एक दूसरे का साथ निभा रहे थे घर का काम और बाजार का काम दोनों मिलकर साथ में करते थे समय भी व्यतीत हो जाता था, काम भी हो जाता था और साथ भी बना रहता था। ताऊ जी इलायची वाली चाय पीते थे ताई जी चाय बनाती तब तक ताऊ जी घर की डस्टिंग करते थे। फिर दोनों साथ में चाय पीते और बातें करते करते दोपहर के खाने की तैयारी कर लेते फिर ताई जी खाना बनाती और ताऊ जी वहीं बैठकर उनसे बातें करते थे। फिर 9:00 बजे तक नहा धोकर मंदिर चले जाते वापस आकर खाना खाते और आराम करते। फिर शाम की चाय साथ में पी कर बाजार के छोटे-मोटे काम निपटाने चले जाते। वापस आकर फिर से वही खाना बनाना खाना और ढेर सारी बातें करना और हां बाजार से आते हुए ताऊ जी कभी भी गजरा लेकर आना नहीं बोलते थे।
एक दिन अचानक शाम को बाजार में ताऊ जी की तबीयत बिगड़ गई। गांव के लोग उन्हें वहां के सरकारी हॉस्पिटल में लेकर गए जहां पर ताई जी को पता चला कि उन्हें हृदयाघात हुआ है ताई जी ने फटाफट दोनों बेटों और दोनों भतीजे को फोन करके बुला लिया हम दोनों बहने भी पहुंच गए। आखिर ऐसे समय पर बच्चे ही तो अपने मां बाप का सहारा बनते हैं। लेकिन होनी को कौन टाल सकता था दूसरे दिन दोपहर 1:00 बजे ताऊ जी ने अंतिम सांस ली। ताई जी वहीं पर शून्य हो गई ना कुछ कहती थी ना कुछ समझती थी क्या हो रहा है उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। ऐसे में हम बच्चों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें संभाला था क्योंकि मम्मी अंतिम संस्कार के काम में व्यस्त थी। तब मैंने ताई जी से कहा था की आप "हिम्मत रखो ताई जी...... सब ठीक हो जाएगा....... हम हैं ना।" और ताई जी ने सिर्फ इतना ही कहा था कि "उनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।" बस इतना कहकर वह फिर से मौन हो गई और ताऊ जी की तीये ही बैठक से पहले ही वह भी चली गई हम सभी को छोड़कर। सही कहा था ताई जी ने उनकी जिंदगी में ताऊ जी की जो जगह थी वह कोई नहीं ले सकता था उनकी कमी कोई भी पूरी नहीं कर सकता था।
अंतिम विदाई के समय मैंने गजरा मंगवा कर ताई जी के बालों में सजा दिया था। वही कचरा जो हर रोज ताऊजी लाया करते थे ताई जी के लिए माना कि ताऊ जी नहीं थे लेकिन उनके प्यार की यह निशानी आज हम बच्चों की तरफ से उन्हें हमारी अंतिम भेंट थी। बस इसी प्रार्थना के साथ कि ताऊ जी और ताई जी जहां भी हो हमेशा साथ हो उनका साथ हमेशा बना रहे।
