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Ruchika Khatri

Inspirational

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Ruchika Khatri

Inspirational

प्रतिस्पर्धा

प्रतिस्पर्धा

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"क्यों ऐसा भी क्या उठाकर ले आए दामाद जी....?" लता जी ने बेटी नमिता से फोन‌ फर बात करते हुए कहा।

"अरे मां लॉंग कुर्ती है..... और तुम तो जानती हो ना वो मुझे पसंद नही आती। फिर भी उठाकर ले आए.... कह रहे हैं घर मे पहन‌ लेना।"

"ना ना रहने दे...... वापस कर दे..... जब पसंद ही नही तो घर पर भी क्यों पहनना। अरे‌ सुन फोन में बैटरी कम है तो चार्ज करके बात करती हूं।" बैटरी कम होने की वजह से मम्मीजी ने बात अधूरी छोड़ कर फोन रख दिया और मेरी तरफ मूडी।

"नमिता ने तुझे फोटो भेजा है कुर्ती का..... जरा दिखाना तो। कह रही थी दामाद जी लेकर आए है छुटकी के जन्मदिन पर नमिता के लिए। लेकिन बिल्कुल बेकार कुर्ती है ना‌ रंग रुप है, ना फिटिंग उसपर लोंग भी है। भला आजकल कौन पहनता है लंबे कुर्ते.....? दामाद जी को बिल्कुल भी समझ नहीं है कपड़े की..... बस जो मिलता है उठाकर ले आते है। राहुल तो ऐसा नहीं करता..... वो तो तुम्हारे लिए एक से एक कपड़े लेकर आता है........ ना जाने मेरी बेटी को ही ऐसा पति क्यों मिला है। फैशन की तो समझ ही नहीं है।""

"पर मम्मीजी..... मैंने कुर्ती देखी है इतना भी बुरी नहीं है और वैसे आपका जानकारी के लिए बता दूं कि इस समय लंबे कुर्ते का फैशन है और जीजाजी मिरांगी नाम के बहुत बड़ी शोरूम से कुर्ती लेकर आए तो चार पांच हजार से की कम की नहीं होगी।" मैने शालीनता से अपनी बात रखी।

अभी हमारी बात चल ही रही थी कि दीदी का फिर से फोन आया पता चला कि इस बात को लेकर दीदी जीजाजी में लड़ाई हो गई है। बस फिर क्या था लड़ाई के बाद जीजाजी घर से बाहर निकल गये और दीदी ने यहां फोन करके अपनी सारी भड़ास निकालनी शुरू कर दी। जब दीदी का मन भर गया तो उन्होंने फोन रख दिया और अब मम्मी जी शुरू हो गई अपने दामाद को उल्टा सीधा कहने। हमेशा यही तो होता है दीदी यहां भड़ास निकालती है और फिर मम्मी जी हर लहजे से अपने बेटे की तारीफ करते हुए जीजा जी की कमियां मुझे गिनाती हैं और साथ ही यह भी बताती है कि मैं कितनी सुखी हूं और दीदी कितनी दुःखी। तभी मम्मी जी की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी।

"हें बहू..... बता राहुल ने कभी किया है ऐसा। अरे कोई नही लडता ऐसी जरा-जरा सी बात पर.... बस ये एक हमारा ही दामाद ऐसा है।"

"नही मम्मी जी राहुल कभी नही लडते पर राहुल यूं चार चार हजार वाली कुर्ती भी नही लाते मेरे लिए। अगर लाते भी है तो खुद ही अपनी पसंद की लाते हर बार जीजाजी की तरह राहुल मुझे दुकान पर नही लेकर जाते पसंद करवाकर शोपिंग नही कराते। और अगर ले आते है तो मैं उनकी पसंद का मान रखतीं हूं।"

"तुम कहना क्या चाहती हो कि मेरी बेटी की गलती है।" मम्मीजी ने मुझे घूरते हुए कहा।

"मम्मीजी, कह तो मैं वही रही हूं जो आप समझ रही है। जितनी गलती जीजाजी की है उतनी दीदी की भी है। क्योंकि लड़ाई हमेशा दो लोगों के बीच होती है अकेले तो जीजाजी भी लड नहीं सकते ना.......! और जब बात निकली ही है तो एक बात बताइए..... आप दीदी जीजाजी के बीच की हर बात में हम पति-पत्नी को क्यों ले आती है....? अगर जीजाजी राहुल जैसे नही है तो तो दीदी भी तो मेरे जैसे नही है ना.....! लेकिन आप हर बार यही साबित करती है राहुल मुझे ज्यादा खुश रखते हैं जीजाजी दीदी को खुश नहीं रखते।"

पिछले दिनों दीदी ने अपनी पसंद का डायमंड सेट लिया था क्या मुझे मिला डायमंड सेट.......? दीदी हर महीने पिक्चर देखने जाती है लेकिन मैं पिछले 4 साल से नहीं गई हूं। तब तो आपने यह नहीं कहा कि जीजाजी दीदी को खुश रखते हैं। दीदी हर हफ्ते होटल में खाना खाने जाते हैं जबकि हम केवल किसी के बर्थडे या एनिवर्सरी पर। दीदी हर महीने पार्लर में जाकर मेकओवर करवाती है लेकिन मैं तो आइब्रो के लिए भी तरस जाती हूं क्योंकि पीछे से बच्चों को कौन संभलेगा लेकिन दीदी के सास उनके बच्चों को संभाल लेंती है। मम्मी जी मैं आपको अपनी परेशानियां और दीदी खुशियां नहीं गिनवा रही हूं मैं सिर्फ यह कहना चाहती हूं कि सुख और दुख सबके अपने अपने होते हैं सबकी अपनी परेशानियां और समस्या होती है लेकिन कौन किस तरीके से डील करता है, कौन डिडोरा पीटता है और कौन चुपचाप एडजेस्ट कर लेता है बात सिर्फ इतनी सी है।"

"मैं जिस अवस्था में हूं बहुत खुश हूं। अच्छा लगता है जब राहुल अपनी पसंद की ड्रेस लेकर आते हैं....... अच्छा लगता है जब मैं 500 की ड्रेस में भी खुश हो जाती हूं राहुल कख चेहरा खिल जाता है........ क्योंकि अगर 5000 की ड्रेस मांगुगी तो उन्हें भी 10 बार सोचना पड़ेगा। यूट्यूब पर 10 वीडियो देखकर उनके लिए बेस्ट रेसिपी बनाना, राहुल का तारीफ करना, यह मुझे महंगे रेस्टोरेंट के डिनर से भी ज्यादा खुशी देता है। गुस्सा करना उनको भी आता है लड़ते हम भी हैं लेकिन बात को बड़ा कर हंगामा नहीं करते। एक कहता है तो दूसरा सुनता है।"

"एडजस्टमेंट सभी को करना पड़ता है। मैं भी एडजस्ट कर रही हूं और शायद राहुल भी मेरे साथ एडजस्ट कर रहे हैं लेकिन यह सब किसी को दिखाई नहीं देता है दिखाई देता है तो केवल हमारे बीच की खुशियां। मम्मी जी आप क्यों बार-बार मेरी खुशियों से प्रतिस्पर्धा करती है दीदी की खुशियों की। एक बार मेरी परेशानी व समस्याओं से भी तो प्रतिस्पर्धा करके देखिए तब आपको एहसास होगा कि कौन कितना खुश है और कौन हर बात में खुशियों के पल ढूंढता है। मैं यह नहीं कहती कि मैं राहुल के साथ खुश नहीं हूं। हम दोनों साथ हैं, हम दोनों के बीच प्रेम है, एक दूसरे की इज्जत करते हैं मेरे लिए यही सबसे बड़ी खुशी है। और हाथ जोड़कर आपसे विनती करती हूं कि दीदी और जीजाजी का रिश्ता अलग है और हम पति-पत्नी का रिश्ता लग है इसलिए मेहरबानी करके इस रिश्ते को तुलना के तराजू में ना तोले और ना ही खुशियों और समस्याओं में प्रतिस्पर्धा वाली भावना रखिए। क्योंकि हम सब अलग है सबकी सोच अलग है...... व्यवहार अलग है...... रहन-सहन अलग है। ना मैं दीदी के जैसी हूं और ना ही जीजाजी राहुल के जैसे इसीलिए हमारा रिश्ता भी उनके जैसा नहीं हो सकता कृपा करके इस बात को समझिए।"अपनी बात कह कर मैं चुपचाप अंदर चली आई नहीं जानती कि मम्मी जी को कुछ समझ आया भी होगा या नहीं लेकिन तभी मम्मी जी की आवाज़ आई। वह फोन पर दीदी से बात कर रही थी।

"नमिता अगर दामाद जी ड्रेस लेकर आए है तो अच्छा ही है ना..... तुझे इधर-उधर शोरुम में भटकने की जरूरत ही नहीं पड़ी और वैसे भी बहू कह रही थी कि आजकल लंबे कुर्ते फिर से फैशन में हो गए हैं अब गुस्सा छोड़ दे और यही ड्रेस पहन ले अब एमरजैंसी में तुझे कहां अच्छी ड्रेस मिलेगी और यह जरा जरा सी बात पर तू लड़ाई मत किया कर थोड़ी शांति रखना सीख। बहू को देख कैसे एडजस्ट कर लेती है। कोई बात मान ले और कोई बात मनवा ले थोड़ा तू झुक जाया कर थोड़ा दामाद जी झुक जाएंगे। जरा जरा सी बात पर घर में लड़ाई झगड़ा होना सही नहीं है बढ़ते बच्चों पर इन सब बातों का असर होता है.......... और परिवार में प्रेम, शांति, आपसी समझ, एक दूसरे के प्रति इज्जत होना बहुत जरूरी है समझी...….. जा मना ले दामाद जी को फिर छुटकी के जन्मदिन की तैयारियां भी तो करनी है।"

मम्मी जी की बातें सुनकर दिल को तसल्ली मिली कि शायद प्रतिस्पर्धा की यह भावना आज खत्म हुई और साथ ही साथ दीदी को भी कुछ सीखने को मिला। उम्मीद करती हूं कि आगे से दीदी और जीजाजी में छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़े ना हो।

दोस्तों आपके क्या विचार है....? क्या बेटे और दामाद के बीच वाकई में इस तरीके की प्रतिस्पर्धा करना सही है। अपने विचार जरूर साझा कीजिए।



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