क्या संभव है तुम्हारे लिए भूल जाना मुझको अगले कई जन्मों तक
क्या संभव है तुम्हारे लिए भूल जाना मुझको अगले कई जन्मों तक
पहले इक शाम भी गुुुुजारा नहीं कभी!
अबकी बिन तेरे दिवाली गुजार दिया मैंने !
हाँ सच माँ!! पहले जब तुम हुआ करती थी शायद ही कोई शाम बीती हो तुुुुमसे बात किये बगैर, पर देखो तो जब से तुम गई हो ना कोई बातचीत ना हालचाल फिर भी दिन तो गुजर ही रहे हैं न? पर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि हम याद नहीं करते अब तुमको, पर हां भूलने की नाकाम कोशिश जरूर करते हैं प्रतिदिन!
रीति-रिवाजों की बात पर याद आती हो तुम,
चाची लोगो के पैर छुने में तुम याद आती हो,
बड़ी माँ के बिमारी में तुम याद आती हो,
तुम्हारी पुरानी साड़ी में भाभी या पत्नी को देखने पे याद आती हो,
बाबूजी को घर में अकेले बैठा देख याद आती हो तुम,
कैसे बताऊं तुमको माँ की तुम कब याद नहींं आती हो ?
बहनो के यहां शादी-विवाह में जाना या न्योता पहुंचाना हो सब भइया को याद रहता है पर फिर भी अति- व्यस्तताओं के दौरान भी तुम्हारी याद का आना लगातार जारी रहता है माँ।
कितना कम वक्त था न तुम्हारे पास भी कि हम तुम्हे समझते उसके पहले ही रिश्ता तोड़ लिया तुमने ?
लाख नाराज होने के बावजूद भी मुझे फोन करने में कभी नागा नहीं किया तुमने! पर ऐसा क्या था उस दिन में कि हमसे मुंह मोड़ फिर कभी हमारी तरफ रूख किया ही नहीं तुमने?
विश्वास है!! नि:संदेह तुम्हें स्वर्ग ही मिला होगा पर सच बताना माँ क्या बैकुंठ के वो सारे सुख फीके नहीं लगते मेरे बिना तुम्हें ?
देवताओं की उस विलक्षण नगरी में मेरी कमी का बोध नहीं होता तुम्हें ?
कौन है जो तुम्हारे जीवन में मेरी रिक्तता को भर रहा है वहां और कौन है जो तुमको मेरी याद तक नहीं आने देता?
क्या संभव है तुम्हारे लिए भूल जाना मुझको अगले कई जन्मों तक माँ? क्या है ये संभव?
मालूम है तुुुझको, हां इतनी सदाकत नहीं है मुझमें,
याद भी ना करूं तुझे,ऐसी भी आदत नहीं है मुझमें।
तड़पती तो होगी मेरे खातिर तू भी जरूर, क्योंकि ?
भूला सके जो मुझको,इतनी भी ताकत नहीं है तुझमें।