क्या कभी मिलना होगा? भाग -3
क्या कभी मिलना होगा? भाग -3
ऐसे ही समय बीता रहा,स्कूल की पढ़ाई खत्म होने आई। ज़ोया और ज़्यादा उसके बारें में सोचने लगी ।ज़ोया लेकिन अब उससे खुलकर बात करती थी और उससे लोगों के बोलने पर ध्यान नहीं देती थी।ऐसे ही दोनों का कॉलेज का समय पास आया तब दोनों एक दूसरे से मिली भी नहीं काफी समय से । ज़ोया और प्रेम दोनों ही अपनी कॉलेज के दाख़िला के पहै कर रहे थे।जोया का दाख़िला विदेश में हुआ और प्रेम का अपने घर के पास ही। ज़ोया ने अब उम्मीद छोड़ दी थी कि कभी प्रेम का उससे मिलना होगा। परंतु क़ुदरत कुछ और ही चाहता था जब जोया पढाई करके वापस आयी उसकी और प्रेम की नौकरी एक ही ऑफिस में लग गयी।धीरे धीरे उन दोनों की दोस्ती काफी बेहतर हो गयी और धीरे प्रेम को जोया से प्यार होगाय। फिर एक दिन उसने ऑफिस के बाद ज़ोया को एक कैफ़े बुलाया। ज़ोया को प्रेम ने परपोज़ कर दिया सबके सामने और ज़ोया तोड़ी देर तक विशवास ही नहीं कर पायी कि येह हुआ कैसे। ज़ोया मन में इतनी ख़ुशी हुई उसकी ख़ुशी के आंसू आ गए । वह दोनों 5 साल तक रिलेशनशिप में रहे और वक़्त पर जोया ने प्रेम को शादी का पूछ लिया।
प्रेम से बोली अपने माँ बाप को बता देते है हमारे प्यार के बारें मेँ।प्रेम यवह सब सुनकर बहुत खुशी से उछल पड़ा । दोनों के माँ बाप ने मिलकर बात की ओर बोले कि प्यार दोनों में ही मना करने का सवाल नहीं उठत। दोनों घरो ने शादी तय करली। लड़के के पापा ने बोला की हमारी प्यारी रानी आ रही है।ऐसे ही दोनों खुश रहे और एक दुसरे ध्यान रखते.। प्रेम के माँ बाप कभी ज़ोया को डांटने का मौका नै ऑनर दिए। बच्ची समझकर प्यार किआ था प्रेम के माँ बाप ने जोया से ।
काफी लोगों को उन् दोनों की शादी का विशवास नही होता ।पर सच्चा प्यार जीत गया।

