क्या कभी मिलना होगा? भाग -2
क्या कभी मिलना होगा? भाग -2
फिर समय बीतता गया । फिर वह अक्सर हर पल उसे याद करती रहती उसका पढाई में भी मन कम लगता घर पर भी उसी के बारें में सोचती रहती। वह बात करने मैं पहले शरमाती नहीं थी। एक और कारण था कि वह जानती थी कि पहले से प्रेम किसी और से प्यार करता है।वह उसका दिल नहीं दुखाना चाहती थी।उसने सोच लिए था कि वह उसका कभी नहीं हो सकता और दसवीं कक्षा का परीक्षा पास आ गयी थी और उसने पढाई पर ध्यान दिए।उसने देखा की दसवीं कक्षा की परीक्षा के बाद वह अलग हो जायेंगे और यह सोचते हुए उसने समय निकाला. क्यूंकि उसके बाद प्रेम को साइंस स्ट्रीम में जाना था और जोया कॉमर्स स्ट्रीम में जा रही थी. तोह जॉय को लगा की अब वो अलग रहेंगे तो उससे उसकी याद काम आएगी। ज
ब ग्यारवीं कक्षा की पढ़ाई शुरू हुई। जोया को अच्छा लगने लगा उसे टोढ़ी याद आती तो आती ही थी तो वह लंच ब्रेक के समय उसे देखने चली जाती और उसको मन से अछा लगता।परन्तु क़ुदरत लय कुछ ऐसा जो उसने कभी नहीं सोचा था।उसे वह चीज़ देखनी को मिली जिसपर विश्वास करना मुश्किल था ।की प्रेम ने अब अपना घर शिफ्ट कर लिया था।वह दोनों साथ में बस में जाते साथ में घर आते.ज़ोया ने फिर भी अपना सच प्रेम को नहीं बताया ज़ोया उसके लिए कुछ न कुछ खाने के लिए लेकर जाती। और वह दोनों बहोत बातें और मस्ती करते.ज़ोया ने एक और सच भी छुपाए रखा कि वह जो सिर्फ ज़ोया और उसकी ख़ास दोस्त को पता थी वह प्रेम का घर बिलकुल उसके घर के सामने है।
बाकि की कहानी अगले भाग में।

