कत्ल भाग : २ दूसरी लाश
कत्ल भाग : २ दूसरी लाश
मॉडल टाउन
लड़की की फाँसी के फंदे से झूलती लाश को नीचे उतारा गया और पंचनामा कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। फोरेंसिक वाले अपने काम में जुटे थे और इंस्पेक्टर धर्मा मोबाईल फोन पर किसी पर गुर्रा रहा था। उसी वक्त अजीत वहाँ पँहुचा और बोला, "मैंने पता लगा लिया है लड़की का नाम बरखा है और यह लड़की मदर डॉटर नाम के मल्टीनेशनल कॉल सेंटर की हेड थी।"
व्योमकेश बख्शी कुछ देर सोचता रहा और बोला, " अजीत यहाँ हत्यारा एक ब्रेन गेम खेल रहा है........उसने लड़की को फाँसी के फंदे पर इस तरह लटकाया कि यह एक आत्महत्या के केश लगे, लेकिन अंदर से बंद कमरे में लाश बिना किसी फर्नीचर की मदद से फ़र्श से पाँच फ़ीट ऊँचा लटका कर खुला चैलेन्ज दिया कि पुलिस सिद्ध करें कि हत्या या आत्महत्या जो भी हुई किस तरह हुई?"
"व्योमकेश बाबु ये विल सिटी है उत्तर की अपराधों की रानी, यहाँ ये सब आम है, लेकिन हम अपराधियों से एक कदम चलते है, देखिये आज शाम तक इस कत्ल का हत्यारा सलाखों के पीछे होगा, आपने कलकत्ता में रहकर सत्यान्वेषी के रूप में बहुत नाम कमाया है, लेकिन विल सिटी में हम प्राइवेट जासूसों को अपने काम में टाँग नहीं अड़ाने देते है, उन्हें मैं उनकी टाँगो के जेल में ठूस देते है। उम्मीद है आप मेरे बात का मतलब समझ गए हो, अब तक आपने जो अक्ल दौड़ाई उसपर अब रोक लगा कर यहाँ से चलते फिरते नजर आओ।"
"आओ अजीत अब हमारे करने के लिए यहाँ कुछ बचा नहीं है, लेकिन धर्मा सर मुझे लगता है मुझे रोकने के स्थान पर आप उस कातिल के पीछे लगे क्योंकि मुझे लगता है यह कत्ल मात्र एक शुरुआत है लगता है अभी बहुत कुछ होना बाकी है........." व्योमकेश बख्शी अपनी बात पूरी भी न कर सका था कि इंस्पेक्टर धर्मा के मोबाइल की घंटी बजी।
"क्या कह रहे हो........पुलिस लॉक अप में.........मैं अभी आता हूँ......." कहते हुए इंस्पेक्टर धर्मा अपनी गाड़ी में बैठ कर तेजी से घटना स्थल से चला गया।
"आओ इसके पीछे चलो, जरूर कुछ हुआ है जिससे इंस्पेक्टर धर्मा आनन-फानन में यहाँ से चला गया।" कहते हुए व्योमकेश अजीत के साथ अपनी कार बैंटली कॉन्टिनेंटल की तरफ बढ़ गया।
सिविल लाइंस थाना
जिस समय व्योमकेश बक्शी सिविल लाइंस थाना पहुँचा तब तक इंस्पेक्टर धर्मा थाने के अंदर जा चुका था। थाने के बाहर पत्रकारों और टीवी मिडिया वाले इकट्ठा होने शुरू हो चुके थे।
तभी पुलिस कमिश्नर की कार वहाँ आकर रुकी और पुलिस कमिश्नर जगत सिंह अपनी पीक कैप को ठीक करते अपनी कार से नीचे उतरा और उसकी निगाह बैंटली कॉन्टिनेंटल से उतरते व्योमकेश बक्शी और अजीत पर पड़ी और उसके मूँह से अनायास ही निकल पड़ा, "वाह रईसजादे चार करोड़ की कार में बैठकर निकल पड़े सत्य का अन्वेषण करने...... तुम कोलकाता में जिन अपराधियों से भिड़े हो वो सब कुछ एथिक रखते थे, मानते थे लेकिन यहाँ पाँच रूपये के कत्ल कर देने वालो की कमी नहीं है; तुम्हारी इस गाड़ी के लिए तो तुम्हारी चार करोड़ बार हत्या हो सकती है.....क्यों घुसना चाहते हो जुर्म के इस दलदल में? ऐसा न हो कि दो दिन बाद मुझे तुम दोनों की लाशो का पंचनामा कर पोस्टमॉर्टम कराना पड़े।"
"कमिश्नर साब अब आप भी यहीं है और हम भी.....देखते है विल सिटी की जुर्म की दुनिया को भी। क्या हुआ थाने में?" व्योमकेश बक्शी पुलिस कमिश्नर जगत सिंह की और गौर से देखते हुए बोला।
"देखे बिना तुम मानोगे नहीं........आओ थाने के अंदर........" कहते हुए पुलिस कमिश्नर जगत सिंह थाने की तरफ बढ़ गया।
थाने के अंदर पुलिस वालो की भीड़ जुटी हुई थी, कमिश्नर को देख कर सबने सैलूट किया और कमिश्नर को रास्ता दिया और कमिश्नर के साथ चलते व्योमकेश बख्शी और अजीत को रोकने का प्रयास किया, लेकिन कमिश्नर के इशारे पर उन्होंने व्योमकेश बख्शी और अजीत को उनके साथ आने दिया।
वो सीधे लॉक अप की तरफ पहुँचे लॉक अप के बाहर मोटा सा ताला लगा था, लॉक अप के अंदर पुलिस की वर्दी पहने और सब इंस्पैक्टर के दो स्टार लगाए हुए एक मोटी थुलथुल महिला फाँसी से झूल रही थी। उसकी आँखें बता रही थी कि वो मृत हो चुकी थी। लाश के पैर लॉक अप के फर्श से ठीक पाँच फीट ऊपर झूल रहे थे और लॉक अप में ऐसा कोई फर्नीचर नहीं था जिसकी मदद से फाँसी ली जा सके।
"ये क्या हुआ धर्मा और तुम्हारे थाने में ही क्यों हुआ?" पुलिस कमिश्नर जगत सिंह नाराजगी के साथ बोला।
"सर यह सब इंस्पेक्टर सरिता है और आज लॉक अप इसकी ही देख-रेख में था, इसने क्यों और कैसे आत्महत्या कर ली समझ से बाहर है? जब मैं मॉडल टाउन में लड़की की झूलती लाश की तफतीश करने गया था तब यह बिलकुल नार्मल थी, न जाने कैसे और क्यों जान दे दी इसने?" इंस्पेक्टर धर्मा सकपकाते हुए बोला।
"इसने लॉक अप को लॉक करके आत्महत्या की है....?" पुलिस कमिश्नर जगत सिंह नाराजगी के साथ बोला।
"सर........" इंस्पेक्टर धर्मा हकलाते हुए बोला।
"हर हत्या को आत्महत्या सिद्ध करने वाले मूर्ख तुम अभी से सस्पेंड हो, इंस्पेक्टर महिपाल तुम अभी से थाने के इंचार्ज हो, तत्काल चार्ज लो और इन आत्महत्या या हत्याओं की तप्तीश पर लग जाओ....... फ़िलहाल मैं थाने के सी सी टीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग देखना चाहता हूँ।" पुलिस कमिश्नर जगत सिंह पुलिस हेड क्वार्टर से आये इंस्पेक्टर महिपाल से बोला।
"जी सर......." इंस्पेक्टर महिपाल सैल्यूट करते हुआ बोला।
"आओ तुम दोनों भी आओ........" पुलिस कमिश्नर जगत सिंह व्योमकेश बख्शी और अजीत की और देखते हुए बोला।
कम्प्यूटर रूम में लॉक अप के सामने की फुटेज देखी गई। लॉक अप में कोई बंद नहीं था इसलिए पूरे दो घंटे लॉक अप के सामने शांति रही एक आध बार लॉक अप के सामने से कोई पुलिस वाला गुजरा लेकिन वो महिला सब इंस्पेक्टर कभी लॉक अप की तरफ नहीं आई।
"क्या कहते हो व्योमकेश बाबू?" पुलिस कमिश्नर जगत सिंह व्योमकेश बख्शी और अजीत की और देखते हुए बोला।
"लॉक अप सामने की वीडियो फुटेज लूप वीडियो है......" व्योमकेश बख्शी चिंता के साथ बोला।
"तुम्हारा मतलब है थाने के ही किसी आदमी का किया धरा है ये?" पुलिस कमिश्नर जगत सिंह व्योमकेश बख्शी की और देखते हुए बोला।
"कहना मुश्किल है क्योंकि ये काम तो कोई हैकर दूर बैठ कर भी कर सकता है, लेकिन सब इंस्पेक्टर सरिता की हत्या यहीं थाने में ही हुई है और उसे थाने के ही किसी आदमी की मदद से लॉक में फाँसी के फन्दे से लटकाया गया है।" व्योमकेश बख्शी बोला।
"यह चिंता का विषय है........" पुलिस कमिश्नर जगत सिंह व्योमकेश बख्शी की और देखते हुए बोला।
तभी व्योमकेश बख्शी के मोबइल की व्हाट्सप्प टोन बजी, व्योमकेश बख्शी ने मैसेज देखा। मैसेज देखते ही उसकी आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गई।
(क्रमशः)
