कसमें-वादे
कसमें-वादे
"मैं तुमसे शादी को तैयार हूँ। हम साथ रह सकते हैं लेकिन एक दोस्त की तरह। अगर तुम्हें कोई भी प्रॉब्लम है तो तुम मना कर सकती हो"-रोहित ने प्रिया से कहा।
"मुझे कोई इशू नहीं है"-प्रिया ने ख़ुशी से उछल कर रोहित को गले लगा लिया।प्रिया को खुद पर भरोसा था कि अपने प्यार व लगाव से वो रोहित को अपना बना लेगी और ये दोस्ती रिश्ते में बदल जायेगी। प्रिया रोहित के साथ अपने खुशहाल परिवार का ख़्वाब न जाने कब से देख रही थी।
आपसी रजामंदी और परिवार की अनुमति से प्रिया और रोहित की शादी हो गयी। खिलखिलाती,उन्मुक्त,खुशियों से भरी प्रिया रोहित को काफी पसंद करती थी और आज उसकी पत्नी बन बहुत खुश थी। अभी थोड़ा ही समय बीता था किसी को किये कसमें-वादे व साथ बिताये लम्हों को हर पल जीते हुए रोहित ने प्रिया के अरमानों को रौंद दिया था। वो प्रिया के साथ होकर भी अपनी पिछली रंगीन दुनिया में ही खोया रहता था।
प्रिया अपनी कोशिशों के बावज़ूद भी रोहित के दिल में अपनी जगह नहीं बना पा रही थी। उसके सपने बिखर गए थे।प्रिया एक ऐसे पौधे के समान थी जिसे मिटटी,खाद,पानी सब मिल रहा था लेकिन बीज में ताकत न होने से वह पनप नहीं पा रहा था। प्रिया का उल्लास,खिखिलाना सब अचानक से गायब हो गया और वो एकदम चुप सी हो गयी थी। रंगों व जीवन से भरपूर पौधा मुरझा गया था।
रोहित के कहे लफ्ज़ दीमक की तरह उसे खा रहे थे कि -"प्रिया मैं अपना परिवार तुम्हारे साथ आगे नहीं बढ़ा सकता क्यों कि मैंने किसी से वादा किया था कि -मैं उससे शादी भले ही न कर सका हूँ पर अपना परिवार भी किसी और के साथ नहीं बनाऊँगा। इसीलिए मैंने तुम्हें कहा था कि हम सिर्फ अच्छे दोस्त की तरह साथ रह सकते हैं "।
प्रिया का रोहित का पहला प्यार होने का गुमान चकनाचूर हो गया था। उसे भली प्रकार समझ आ गया था कि रोहित ने प्रिया से माँ बनने का हक छीन लिया है।
रोहित को उसकी अपनी ही रंगीन दुनिया में गुम देख वह सोचती कि- ये कैसे वादे होते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से उसके जीने की वजह ही छीन लेता है। सामने से मिलते प्यार को नजरअंदाज कर अपनी ही दुनिया में रह कर सच्चे प्यार का अपमान करता है।अपने प्यार को न पाने का बदला ये दो प्रेमी अपने जीवनसाथी व इस समाज से इस तरह के वादों के साथ लेने की कोशिश करते हैं। ऐसे न जाने कितने ही पति-पत्नी हैं जो इस तरह दोस्ती की जिंदगी जी रहे हैं।
जहाँ पत्नी लाख कोशिशों के बावजूद पति के दिल में उसकी प्रेमिका का स्थान नहीं ले पाती या पति पत्नी से वो सम्मान नहीं प्राप्त कर पाता जिसका वह हकदार होता है। इन तथाकथित प्रेमियों के इस प्रेम-प्यार का खामियाज़ा जीवन में आये दूसरे व्यक्ति को भरना पड़ता है। दोनों में से कोई एक, दूसरे को उपेक्षित कर उस से जीने की सारी उम्मीदें व वजहें छीन लेता है तथा पिछले इश्क़ को तरज़ीह दे कर अपने साथ जुड़ी न जाने कितनी जिन्दगियाँ दांव पर लगा देता है और प्यार के फूटते नए अंकुरों को अपने पुराने इश्क़ और वादों की भेंट चढ़ा देता है।
प्रिया का सम्मान व स्वाभिमान उसके दिल के आगे घुटने टेक चुका था। अपने दिल से मजबूर और रोहित के प्रति अथाह प्रेम के कारण वह इस बेजान पति-पत्नी बनाम दोस्ती के रिश्ते को जी रही थी।