Deepa Dingolia

Inspirational

5.0  

Deepa Dingolia

Inspirational

इशारा

इशारा

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मेज पर पड़ा ऑफर लेटर मेघा को मुंह चिढ़ा रहा था। सीनियर डायरेक्टर की ऑफर थी मल्टी नेशनल कंपनी में। पर ये खबर सुनकर सिर्फ उसकी माँ और बहन ही खुश होंगी। कैसे मैं ये बात अपने पति रोहन को बताऊँ ? पापा भी बहुत नाराज़ हो जाएंगे। पर कैसे मैं इस नौकरी के लिए मना कर दूँ ? सोच सोच कर सर फटा जा रहा था मेघा का। 


लेटर दिखानी तो पड़ेगी ही रोहन को और पापा को बताना भी पड़ेगा। शाम को रोहन को साथ लेकर मेघा अपने घर पहुंची और सबको अपनी जॉब की लेटर व नौकरी के बारे में बताया। लेटर देखते ही माँ की आँखों में आँसू आ गए। वो मेघा की काबलियत को जानती थीं।

 सुनते ही पापा बिफर गए और रोहन को सख़्ती से मना किया कि -"मेघा नौकरी नहीं करेगी। तुम इसकी ढंग से देखभाल नहीं कर रहे क्या ? जो इसे नौकरी की सूझी है।"

"इतनी होनहार और काबिल है मेघा। आप दोनों इसे इजाज़त क्यूँ नहीं दे देते नौकरी की ? आखिर रोहन का हाथ ही बँटायेगी ये"-माँ ने धीमे से कहा। 

"नहीं ऐसा नहीं हो सकता "-पापा ने सख़्ती से कहते हुए रोहन को घूरा। 

रोहन बिना कुछ कहे मेघा का हाथ पकड़ गाड़ी में बैठ घर आ गया। मेघा को भी सोने को कह कमरे में जा कर सो गया। 

रोहन ने कुछ भी नहीं कहा इस लेटर को देख कर। इसका मतलब रोहन की तरफ से शायद हाँ ही हो। ये सब सोचते हुए मन को तसल्ली देते हुए मेघा भी सो गयी। 

सुबह सैर से वापिस आ नाश्ता कर रोहन ऑफ़िस के लिए निकलने लगा तो मेघा ने जॉब के लिए पूछा। रोहन बिना कुछ कहे चला गया।

किचन का काम निबटा कर नम आँखों से मेघा कमरे में गयी तो टेबल पर ऑफर लेटर के ऊपर एक छोटी सी बोतल में बंद तड़पती हुई तितली दिखी। 

मेघा को रोहन का जवाब बखूबी मिल गया और मेघा फूट -फूट कर रो पड़ी। 



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