कृष्ण 7
कृष्ण 7
कृष्ण 7 जब सुदामा अत्यंत दयनीय दशा में पहुँच गये। तब अपने पत्नी के कहने पर कृष्ण स मिलने पहुँचे। जाते समय उनकी पत्नी ने तीन मुट्ठी चावल मित्र को भेंट हेतु दिये। कहा जाता है - जब यह कृष्ण से मिलने पहुँचे तब इन्हें फटेहाल देखकर कृष्ण से मिलने से रोक दिया। लेकिन तब तक सूचना मंत्री कृष्ण तक सूचना पहुँचा देता है कि एक भिखारी सा दिखने वाला व्यक्ति आया, जो आपने आपको आपका मित्र कहरहा है और अपना नाम सुदामा कहता है। जैसे ही कृष्ण ने सुदामा नाम सुना वे सिंहासन छोड़कर तुरंत सुदामा से मिलने दौड़ पड़े। उनको इतना व्याकुल देख लोग आश्चर्यचकित रह गये। सुदामा से मिलते ही उन्होंने तुरंत उन्हें गले से लगा लिया और ससम्मान अपने भवन ले आये। श्री कृष्ण ने उन्हें अपने आसन पर स्थान दिया और उनके स्नान, भोजन, रहने का प्रबंध किया। कृष्ण भव्य वैभव को देखकर सुदामा अपने साथ लाये चावल की भेंट कृष्ण को दे न सके। परंतु वार्तालाप के समय सुदामा को कुछ छिपाते देखा तो उनसे वह चावल की पोटली छीन ली और बड़े प्रेम से उन चावलों को खाने लगे। एक -एक मुट्ठी में उन्होंने ने एक -एक लोक सुदामा को दे दिया जैसे ही तीसरी मुट्ठी खाई कि रूकमणि ने रोक लिया कहने लगी"नाथ अपनी प्रिय भाभी की भेंट हमें भी खिलाओं, अकेले -अकेले ही खायेंगे क्या? इस प्रकार रूकमणि ने कृष्ण को बैकुंठ धाम देने से रोक लिया।
