सहाना
सहाना
सहाना गाँव की गलियां सकरी, चौड़ी, कच्ची, पक्की जैसी होती है इन्हीं गलियों में बहुत से मुस्लिम परिवार रहते है। क ई साल तक मैंने देखा सामने पूरब की ओर जाने वाली मुस्लिम बाहुल पतली गलियों में विकलांग बच्चों की संख्या अधिक है। कोई पैर से बेकार है, कोई हाथ से तो कोई मानसिक रूप से हल्का, ज्यादा विक्षिप्त बच्चे हैं। पर अब यह संख्या घटकर न्यून हो गई है। शायद शिक्षा की वजह से लोग टीकाकरण करवाने लगे। ऐसे ही एक मुस्लिम परिवार में दो भाई बहन पूर्णतया विक्षिप्त थे, जो राह चलते लोगों पर पत्थर उठाकर मारने लगते। इधर से उधर घूमते रहते। लड़की को लोग सहाना कहते, कहते हैं जिसके भी सिर पर वह हाथ रख देती उसका सिर दर्द खत्म हो जाता। सहाना दिन भर इधर -उधर घूमती रहती। किसी भी दुकान पर जाकर पैसे माँग लेती। कभी कोई देता तो कभी कोई भगा देता। स्पष्ट बोल भी नहीं पाती। दो-दो तीन -तीन शब्द ही बोलती। बच्चे बहुत परेशान करते तो हाथ में पत्थर लेकर मारने लगती। इन सबके बीच सबसे दुखदायी बात यह रही कि क ई बार लोगों ने उसके पागलपन का फायदा उठाया। उसका शारीरिक शोषण किया। बहुत बार एवोर्सन करवाया गया। बाबजूद इसके, मैंने उसकी गोद में बच्चा देखा। जिसे वह भैया -भैया कहकर अपने सीने से लिपटाये रखती। कभी कहती" भैया भूखा है, रो रहा। " बहुत से लोग दया से उसे कुछ न कुछ दे देते। समय बीतता गया साहना और उसका भाई दोनों अधेड़ हो चले और किसी बीमारी के तहत वह चल बसा। अब साहना बाजी जहाँ भी किसी से मिलती तो यही शब्द निकलते " भैया गया। " जो जानते थे उन्हें पता था कि यह अपने भाई की बात कर रही है। जो नहीं जानते तो जानकार लोग समझा देते कि इसका भाई अब नहीं रहा। बेटे का क्या हुआ पता नहीं। दिन गुजरते रहे और साहना के बालों में सफेदी आ गई। वह ऐसे ही कुछ अपने भाई के दुख में, तो कुछ अपनी सुध में घूमती रहती। एक दिन अचानक पता चला कि पास के गाँव के तालाब में साहना की लाश मिली। पुलिस ने गाँव को घेर लिया। पैतृक गाँव में भी क ई दिनों तक पुलिस जानकारी के लिए घूमती रही। पर पैरवी कौन करता? जानकारी मिली उस दिन भी उसके साथ रेप हुआ, उसने विरोध किया होगा पर बच न सकी। किस दुनिया में जी रहे हैं हम जिसकी रक्षा करने का दायित्व था हमारा उसे ही हमने अपनी हवस का शिकार बनाया।
