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Keyurika gangwar

Abstract Tragedy Inspirational

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Keyurika gangwar

Abstract Tragedy Inspirational

कृष्ण 2

कृष्ण 2

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 अब इसका वध नहीं करेंगे, यह पुत्री है, पुत्र नहीं। "यशोदा ने प्रेम से पुत्री को गले लगाकर कहा। हाँ देवकी ऐसा ही होना चाहिए।" कि इतने में वह पुत्री जोर-जोर से रोने लगी। द्वारपालों की आँख खुल गई। अतिशीघ्रता से कारागार में जाकर देखा कि देवकी गोद में बालक लिये बैठी है, देखते ही उसी शीघ्रता से कंस को सूचित कर आया। कंस तुरंत आया उसने बालक को देवकी की गोद से छीन लिया। देवकी तड़पी-कंस के पैर पकड़ बोली -" भैया अनर्थ न करो, यह तो पुत्री है आकाशवाणी ने आपका वध पुत्र के हाथों बताया था। आप इसे छोड़ दे मेरे सभी पुत्रों का तो आपने वध कर दिया। इसे मेरे जीवन का आधार रहने दीजिये। " कंस ने एक न सुनी पैर छुड़ा, पुत्री को प्रस्तर पर पटकना चाहा कि वह कन्या हाथ से छूट आकाश की ओर पहुँची और अट्टहास करते हुए बोली -" रे मूर्ख तू मुझे मारने चला है। " तेरा वध करने वाला इस धरती पर आ चुका है। " यह कह कन्या विलुप्त हो गई। कंस धराशायी वहीं बैठ गया। प्रतिदिन वह विचार करता किस भाँति वासुदेव पुत्र का पता लगाया जाये।


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