Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Drama

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Drama

क्रोध की समाप्ति

क्रोध की समाप्ति

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एक गाँव शिवाड़ में राजू नाम का लड़का अपने माता-पिता के साथ रहता था।बचपन से ही उसे गुस्सा बहुत आता था।दिनोंदिन उसका गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था।उसके माता-पिता उसके लिये बहुत चिंतित थे।वह कभी-कभी गुस्से में अपनी होमवर्क की कॉपी फाड़ देता तो कभी अपने ही खिलोने तोड़ देता था।हालांकि वह पढ़ाई में बहुत होशियार था।इस वजह से उसे सब माफ़ कर देते थे।कुछ समय बाद उसकी शादी हो गई।उसके बाल-बच्चे भी हो गये।समय गुजरने के साथ उसका गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था।वह गुस्से में अपने कहीं फ़ोन तोड़ चुका था।उसके गुस्से की वजह से उसकी पत्नी व बच्चे भी नज़दीक जाने से डरने लगे थे।एकदिन राजू के पापा को उनके पुराने दोस्त राहुल सक्सेना मिले जो वर्तमान में कलेक्टर है,राजू के पापा ने उन्हें राजू के गुस्से की बीमारी के बारे में बताया।कलेक्टर राहुल जी ने उसे रविवार के दिन अपने पास भेजने की कहा।राहुल जी को मनोविज्ञान के साथ अध्यात्म का अच्छा ज्ञान था।राजू के पापा इस बात को जानते थे।उन्हें विश्वास था,राजू का गुस्सा उनसे मिलने के बाद ख़त्म हो जायेगा।आख़िरकार रविवार आ गया।राजू कलेक्टर साहब के बंगले पर पहुंचा।कलेक्टर साहब ने गर्मजोशी के साथ उसका स्वागत किया।कलेक्टर साहब ने पत्नी को पानी पिलाने के लिये आवाज लगाई।पत्नी गुस्से में बोली आज रविवार है,आप ही उठकर पी लो।कलेक्टर साहब ने गुस्सा नही किया।उठकर पानी लाये व राजू को पानी पिलाया।खुद चाय बनाकर लाये व राजू को चाय पिलाई।राजू कलेक्टर साहब को देखकर बहुत हैरान था।पूरे जिले के मालिक फिऱ भी उन्हें कोई घमंड नही था।राजू ने आख़िर पूंछ ही लिया।कलेक्टर अंकल,क्या आपको गुस्सा नही आता है?आपकी पत्नी पानी नही लाई, चाय नही बनाई।आपको उस पर गुस्सा क्यो नही आया।कलेक्टर साहब हंसकर बोले गुस्सा किस बात का,वो भी पूरे घर का काम कर थक जाती है।अपना काम करने में कैसी शर्म।अपनी इच्छा की पूर्ति नही होने पर हमें गुस्सा आता है।गुस्से में आदमी का विवेक खो जाता है।उसे पता नही रहता है।वह क्या बोल रहा है।वह क्या कर रहा है।गुस्से का जन्म न हो इसका एक ही उपाय है अपनी आवश्यकताओ को कम करो।अपनी इच्छाओं व कर्तव्य में तालमेल करो।फिर देखना चमत्कार क्रोध रूपी दानव क्षण भर में ख़त्म हो जायेगा।श्री कृष्ण ने गीता में कहा है आदमी की इच्छा पूर्ति नही होती है तो उसे क्रोध आता है।उसका कोई विचार होता है,उसकी पूर्ति नही होने पर भी उससे क्रोध आता है।अब राजू समझ चुका था।क्रोध में वह एक दानव बन जाता था।उसे अपनी गलतियों का बड़ा पछतावा हुआ।घर पर आकर उसने दृढ़-संकल्प लिया वह अब गुस्सा नही करेगा।अपनी आवश्यकताओं को कम करेगा व परिस्थितियों के अनुसार ढलेगा।अब उसके पापा,ममी,पत्नी,बच्चे सब खुश थे क्योंकि राजू अब दानव से एक अच्छा इंसान बन चुका था।


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