क्रोध का दुष्परिणाम
क्रोध का दुष्परिणाम
एक बार की बात है ,एक धनी बाप का बेटा ,जीप से काॅलेज जा रहा था ।उसके साथ चार अन्य छात्र जो उसके कथित दोस्त थे वे भी उसी में सवार थे ।आगे जाकर कुछ लड़कियों का समूह रास्ते में खड़ा मिला ।जीप ने हार्न दिया तो उस समूह की कुछ लड़कियाँ हट गईं ।लेकिन दो लड़कियाँ अभी हट ही रही थीं कि धनी बाप के बेटे ने कमेन्ट किया ।
" क्या सड़क तुम्हारे बाप की है ,जो रास्ता छोड़कर खड़े नहीं हो सकते या आने पर तुरंत रास्ता नहीं छोड़ सकते ,पता नहीं कि 'हम आ रहे हैं? " एक लड़की ने जवाब दिया ," इतना अमीरजादा है तो खुद की अपनी प्राइवेट सड़क क्यों नहीं बना लेते ,बना लो अपनी खुद की सड़क और उस पर जब मन करे तब बेधड़क, बेरोकटोक आओ जाओ।" इतना कहकर वह वहीं जीप के सामने खड़ी हो गई।
बात शायद अमीरजादे के पिल्ले को चुभ गई। अमीरजादे ने क्रोध में जवाब देते हुए कहा " हट जा नहीं तो जीप चढ़ा दूँगा ।बात बढ़ गई- लड़की भी अब अड़ गई। वह बोली इतना हिम्मत बढ़ गई है तो "चढ़ा कर बता"।
अमीरजादे का गुस्सा सातवें आसमान पर था ,उसे कुछ नहीं सूझा ,बस जीप चढ़ा दी ।और साहसी लड़की ने मौके पर ही दम तोड़ दिया ,लेकिन दात देनी पड़ेगी उसकी साहस और हिम्मत की ,की उसने अपना स्वाभिमान कभी मरने नहीं दिया ।
पुलिस केस बन गया ।उस अमीरजादे के साथ, जीप में बैठे अन्य छात्र भी पकड़ लिए गए और चारों की जिंदगी एक सिर- फीरे के कारण बर्बाद हो गई।