क्रैकर्स (प्रांप्ट १३)
क्रैकर्स (प्रांप्ट १३)
"बेटा मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि तुम इस मोटू-पतलू के कॉमिक्स में क्यों उलझे हुए हो?"
"मॉम यह वक्त की जरूरत है......"
"वक्त की जरूरत, वाह जरा हम भी तो समझे कि पढ़ाई-लिखाई को ताक पर रखकर तुम इस बेकार की कॉमिक्स में अपना समय बर्बाद करने पर क्यों लगे हुए हो?"
"डैड मुझे सिर्फ एक हफ्ते का टाइम दीजिए, या तो आपको मेरे इस कॉमिक्स पढ़ने पर गर्व होगा या फिर मैं जिंदगी में किसी भी कॉमिक्स को हाथ नहीं लगाऊँगा।"
"मुश्किल से अभी १२ साल का हुआ है और बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है......चल दिया तुझे एक सप्ताह का टाइम, लेकिन अगर उसके बाद तेरे हाथ में कोई कॉमिक्स देखी तो तेरे लिए अच्छा नहीं होगा।"
"ठीक है मॉम......थैंक्स।"
एक हफ्ते बाद
"क्या आप मिस्टर देवदत्त है?"
"जी हाँ, कहिये मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?"
"क्या प्रियांशु आपका बेटा है?"
"हाँ वो मेरा ही बेटा है......आप उसके बारे में क्यों पूछ रहे है?"
"मिस्टर देवदत्त मैं बच्चों की ह्यूमर मैगज़ीन 'क्रैकर्स' का रिप्रेजेंटेटिव हूँ। हमने कुछ दिन पहले अपनी मैगज़ीन के लिए यंग एडिटर चुनने के लिए एक कॉन्टेस्ट कराया था और कुछ शॉर्टलिस्टेड बच्चों को कुछ कॉमिक्स पढ़कर उनपर बेस्ड एडिटोरियल और बच्चो को पुनः मैगज़ीन्स और बुक्स की तरफ आकर्षित करने के लिए आर्टिकल लिखने को कहा था। प्रियांशु का एडिटोरियल और आर्टिकल हमारी एडिटोरियल टीम को बहुत अच्छा लगा और एडिटोरियल टीम ने उसे मैगज़ीन का यंग एडिटर चुनने का निर्णय लिया है लेकिन यदि आप सहमति देंगे तब। यदि आप अनुमति नहीं देते है तो हम अन्य चुने गए बच्चे के पेरेंट्स से बात करेंगे।"
"लेकिन इस सब से उसे क्या लाभ होगा? इस सबसे उसकी पढ़ाई का नुकसान भी होगा........"
"मिस्टर देवदत्त यह यंग एडिटर का पद उसकी स्कूली पढ़ाई में बिलकुल भी बाधक नहीं होगा, वो घर बैठे-बैठे मैगज़ीन के लिए काम कर सकता है। भारत का हर स्कूल हमारी चिलड्रेन मैगज़ीन 'क्रैकर्स' का मेंटोर है हर स्कूल बच्चों को टीवी मोबाइल से दूर किताबों और आउटडोर गेम्स की तरफ ले जाना चाहता है ताकि उनका सुचारु रूप से बौद्धिक विकास हो सके, और इस महान कार्य में आपका बेटा बहुत मददगार होगा।"
"अच्छा यह बात है तो मेरी सहमति है।"
"धन्यवाद मिस्टर देवदत्त हमें पूरी उम्मीद है आपका बेटा आपको एक दिन गौरवान्वित महसूस कराएगा।"
"जी मैं तो अभी से ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ।"