क्रांति एक आस
क्रांति एक आस


बाल सुधार गृह के प्रबंधक ने अपने अधीनस्थों को अवगत कराया कि कल उच्च अधिकारियों तथा नामचीन मंत्री द्वारा आश्रम का निरीक्षण किया जाना है । अतः सभी बच्चें आश्रम में उपस्थित रहें तथा साफ सुथरे प्रेस कपड़ों के साथ उन्हें तैयार रखना और हाँ! ध्यान रखना कोई भी बच्चा मुँह न खोलने पाए । अगर सब कुछ ठीक रहा तो हमारे सुधार गृह के लिए सरकार की तरफ से उच्च अनुदान की राशि स्वीकृत हो सकती है । दो वर्ष पूर्व सड़क हादसे में माँ-बाप को खो चुके आठ वर्षीय मयंक तथा खूबसूरत दस वर्षीय सुनैना को इसी सुधार गृह ने पनाह दी। पनाह के बदले, मयंक गृह के दूसरे लड़कों के साथ बाल मजदूरी करता तथा लड़कियों के प्रति आश्रम की विशेष कृपा दृष्टि तथा नेह सभी के समझ से परे था। निरीक्षण के दौरान सभी बच्चों को हिदायत दी गई कि वे कतार में खड़े हो कर महानुभावों के हाथों में फूल देकर तथा मुस्कुरा कर महामहिम निरीक्षण मंडल का स्वागत करें। इस प्रक्रिया में सुनैना द्वारा फूलों से स्वागत किए जाने पर, उन महानुभावों द्वारा कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए बोलना क्यों न सुधार के साथ-साथ इसका उद्धार भी हो जाए और आश्रम के प्रबंधक द्वारा सहमति में सिर हिलाना, बाहर गेट पर लगे सूचनापट्ट बाल सुधार गृह के सुधार को एक क्रांति की आस में चिढ़ा रहा था।