कोरोना और सोशल मीडिया
कोरोना और सोशल मीडिया
" अनुज ,तुम्हे अभी काम पर जाने की कोई ज़रुरत नहीं है। हम जैसे तैसे मैनेज कर लेंगे। मेरे ऑपरेशन के लिए जो पैसे बचाये हैं ;जरूरत पड़ी तो उनसे काम चला लेंगे। तुम जब तक सही सलामत लौटकर घर नहीं आ जाते मेरी तो जान तुम में ही अटकी रहती है। " राशि ने लॉक डाउन के दौरान भी फ़ूड डिलीवरी करने वाले अपने पति को कहा।
"नहीं राशि ,एक तो लॉक डाउन ख़त्म होते ही तुम्हारा ऑपरेशन करना जरूरी है। तुम्हारी रोज़ रोज़ की तकलीफ मुझसे देखी नहीं जाती। दूसरा कुछ लोग जो अपने घरों से दूर लॉक डाउन में फंस गए हैं ,जिनके पास खुद से खाना बनाने का कोई साधन भी नहीं है ,उन लोगों को इस फ़ूड डिलीवरी के ज़रिये ही खाना मिल रहा है। अगर मैं अभी काम पर न जाऊं तो मुझे कंपनी वाले नौकरी से निकाल भी सकते हैं। छुट्टियां भी सब पहले ही ले चुका हूँ। वैसे भी मैं पूरी सावधानी बरत ही रहा हूँ। तुम चिंता मत करो। " अनुज ने राशि को समझाया।
सब कुछ ठीकठाक चल रहा था। तब ही एक दिन अनुज को हुई हलकी सी खांसी - जुकाम ने अनुज और राशि दोनों गहरी चिंता में डाल दिया। अनुज अपने साथ साथ राशि को भी ढांढस बंधा रहा था, " अरे यार , वाइरल इन्फेक्शन हो गया होगा। वैसे भी हर खांसी - जुकाम कोरोना नहीं होता है। "
राशि बार - बार अनुज पर टेस्ट के लिए दबाव बनाने लगी। तब सरकारी आदेश भी आ गए कि जो लोग जरूरी वस्तुएं और सेवाओं की आपूर्ति में लगे हैं ,उनकी हर ७ दिन में जांच होगी। अनुज के भी सैंपल लिए गए। रिपोर्ट अगले दिन मिली। अनुज और राशि को जिसका डर था वही हुआ। अनुज कोरोना पॉजिटिव था।
राशि की रिपोर्ट्स नेगेटिव आई। अनुज को आइसोलेशन में रख दिया गया और राशि को सेल्फ क़्वारण्टीन में। मीडिया ने यह न्यूज़ प्रसारित कर दी कि फ़ूड डिलीवरी लड़के ने खाने के साथ साथ घरों में कोरोना भी परोस दिया। सोशल मीडिया पर भी डिलीवरी बॉय को लेकर कई तरीके की बातें होने लगी।मानो अनुज को पता था कि पॉजिटिव है और उसने जानबूझकर इस बात को छुपाया।अनुज तो केवल अपनी नौकरी कर रहा था ताकि उसका घर चल सके और उसकी नौकरी बची रहे। लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया ने उसे खलनायक और शिकारी बना दिया जबकि वह तो खुद पीड़ित और शिकार था।
