Priyanka Gupta

Drama Inspirational Children

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Priyanka Gupta

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कोरा कागज़

कोरा कागज़

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स्स्स्स साला और २-४ माँ -बहिन की गालियाँ देते हुए रोहन ने फ़ोन काट दिया था। रोहण के मुँह से गालियाँ सुनकर आरती के कान खड़े हो गए थे।

"रोहन, आपको कितनी बार समझाया है कि हमारा बेटा आर्यन अब बड़ा हो रहा है। वह भी गाली देकर बात करना सीखेगा। ",आरती ने रोहन से कहा। 

रोहन को शुरू से ही गालियाँ देकर बात करने की आदत थी। शादी के बाद आरती ने जब रोहन को बात -बात में गाली देते हुए सुना तो उसे बड़ा अजीब सा लगा। अजीब से भी ज्यादा उसे बुरा लगा। शुरू -शुरू में तो उसने इसकी उपेक्षा की, लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद उसने रोहन को समझाने की कोशिश की, उसने रोहन से कहा, " रोहन, देखिये आप इतने शिक्षित है, इतनी अच्छी नौकरी में हैं। तो आपकी भाषा भी उसी अनुरूप होनी चाहिए। "

"क्यों ? क्या हुआ ?",रोहन ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा। 

"रोहन, आप सभी औरतों का इतना सम्मान करते हैं। औरतों के सम्मान की खातिर, गालियों का उपयोग मत कीजिये। ",आरती ने प्यार से कहा। 

"अरे यार, तुम भी, सभी तो ऐसे बात करते हैं। ",रोहन ने कहा। 

"रोहन, आपके साथ तो औरतें भी ऑफिस में काम करती हैं। आपको पता है माँ -बहिन की गालियों का उपयोग भी कार्यस्थल पर शोषण के अंतर्गत आता है। आपके साथ काम करने वाली कोई भी औरत आपकी शिकायत कर सकती है। ",आरती ने समझाते हुए कहा। 

"तुम सही कह रही हो। अपनी आदत सुधारने की कोशिश करूँगा। ",रोहन ने कहा। 

रोहन को आरती की बात सही लगी थी। वैसे भी रोहन एक संवेदनशील पुरुष था, उसे अभी तक कभी किसी ने यह एहसास ही नहीं दिलाया था कि माँ -बहिन की गालियों को भाषा का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। 

और आरती की कार्यस्थल पर शोषण वाली बात से रोहन को डर भी लगा था। उसके बाद से ही रोहन कोशिश कर रहा था। वक़्त के साथ रोहन और आरती २ से ३ हो गए थे। उनका बेटा आर्यन लगभग २ वर्ष का हो चला था। रोहन अभी तक अपनी आदत पूरी तरीके से नहीं बदल पाया था;इसलिए आज फिर आरती ने उसे टोका था। 

"यार, कोशिश तो कर रहा हूँ न। तुम जब देखो, तब यही कहती रहती हो। अब कभी से यह शब्द निकल जाता है तो, इतना बुरा मानने की क्या जरूरत है।",रोहन ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा। 

"रोहन, बच्चे अपने मम्मी -पापा की फोटोकॉपी होते हैं। हम जो भी करते हैं, बच्चे हु ब हू उसकी नक़ल करते हैं। तुम्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिये .",आरती ने फिर से समझाने की कोशिश की जब अपने बच्चे की बात होती है तो, कोई भी माँ जल्दी से हार नहीं मानना चाहती, ऐसा कुछ आरती के साथ था। आरती समझ रही थी कि रोहन नाराज़ हो रहा है, फिर भी वह कोशिश करना नहीं छोड़ रही थी। 

"अरे यार, ग़लती से निकल गया आगे से ध्यान रखूँगा, तुम तो पीछे ही पड़ जाती हो। ",ऐसा कहकर रोहन घर से निकल गया था।

रोहन की इस आदत को लेकर आरती जब -तब उसे आर्यन का हवाला देकर टोक देती थी।कभी रोहन अपनी बुरी आदत को स्वीकार कर लेता और कभी नाराज़ होता।

इसी बीच एक दिन रोहन ने अपने बॉस को उनकी पत्नी के साथ डिनर पर आमंत्रित किया।ऑफिस में अप्रैज़ल होने वाला था;रोहन अपनी मेहनत के लिए वैसे तो बॉस की गुड बुक में ही था। फिर भी, वह बॉस को पूरी तरीके से इम्प्रेस करना चाहता था, इसलिए उसने यह डिनर का प्रोग्राम बनाया था। 

आरती ने डिनर की अच्छे से तैयारी की।उसने सोफों के कुशन कवर से लेकर, ड्राइंग रूम के परदे तक बदले।पूरा घर और हर चीज़ झाड़ -पोंछकर अच्छे से व्यवस्थित किया। उसने डिनर के लिए दही क़बाब, आलू टिक्की, मटर मशरुम, दाल मखनी, बैंगन का भुर्ता, मलाई कोफ्ता, लच्छा परांठा, वेज पुलाव और गाज़र का हलवा बनाया। 

बॉस अपनी पत्नी के साथ समय पर आ गए।आरती और रोहन ने बॉस और उनकी पत्नी का स्वागत किया।जब सभी लोग आराम से बैठ गए, तब आरती ने दोनों स्टार्टर दही कबाब और आलू टिक्की तथा मिक्स फ्रूट जूस सर्व किया। बॉस और उनकी पत्नी ने आरती के बनाये स्टार्टर की बहुत तारीफ़ की और बॉस की पत्नी न पूछा, "आपने स्टार्टर जिस रेस्टोरेंट से मँगवाये हैं, उसका ज़रा नाम नोट करवा देना। "

तभी रोहन ने उन्हें बताया कि, " मैडम, स्टार्टर ही नहीं;आज का पूरा डिनर आरती ने खुद ही बनाया है।",अपनी बात ख़त्म ख़त्म करते हुए रोहन ने प्रशंसा भरी नज़रों से आरती की तरफ देखा। 

स्टार्टर के बाद आरती ने डाइनिंग टेबल पर डिनर सर्व किया।आरती ने आर्यन के लिए हाई चेयर भी लगवाई।आरती हमेशा आर्यन को अपने साथ ही डाइनिंग टेबल पर बिठाकर लंच और डिनर करवाती थी। सभी लोग बातें करते हुए स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ़ लेने लगे। बॉस और उनकी पत्नी दोनों ही आरती की तारीफों के पुल बाँधे जा रहे थे। 

तब ही आर्यन अपनी प्लेट में सर्व किया हुआ वेज पुलाव फैलाने लगा, आरती आर्यन को समझाने लगी तो, आर्यन ने सारा पुलाव फैला दिया और आरती को एक माँ -बहिन वाली गाली दे दी।आर्यन के मुँह से गाली सुनते ही, वहाँ कुछ सेकण्ड के लिए सन्नाटा छा गया था।रोहन को तो काटो खून नहीं;आरती की आँखों में गुस्सा और लाचारी दोनों ही थी। 

"बच्चों का दिमाग़ तो कोरे कागज़ के समान होता है;जो घर में देखते और सुनते हैं, वहीँ उनके दिमाग में छप जाता है।",बॉस की पत्नी ने सिर्फ इतना ही कहा। उसके बाद जल्द से जल्द बॉस और उनकी पत्नी ने अपना डिनर ख़त्म किया और आरती तथा रोहन से विदा ली। 

"उम्मीद है, आज तुम्हारी गाली देने की बुरी आदत से तुम्हारे अप्रैज़ल पर कोई बुरा असर न पड़े।",आरती ने रोहन से कहा। 

"आरती, तुमने सही कहा था। अब आगे से पूरा ध्यान रखूंगा, कोई गाली नहीं।",रोहन ने अपने दोनों कान पकड़ते हुए कहा।


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