कंपनी रूल
कंपनी रूल
"आओ दिव्या आओ, ये सारी डिटेल्स आज ही कंपनी हेडक्वॉर्टर्स को जानी है।" हरीश ने डाटा का एक पुलिंदा उसके केबिन में आयी उसकी अधीनस्थ दिव्या को देते हुए कहा।
"ठीक है सर मैं ये डिटेल्स अपने कंप्यूटर से भेज देती हूँ ।" कहते हुए दिव्या ने कागजों का पुलिंदा हरीश के हाथों से लेना चाहा।
"अरे नहीं मुझे कुछ इंस्ट्रक्शंस भी देने होंगे, यही बैठो और यही से मेरे कंप्यूटर से भेज दो। और फिर ऑफ़िस बंद हो चुका है यहाँ हम दोनों के आलावा कोई और है भी नहीं।" —हरीश ने दिव्या के भरे-पूरे शरीर को अपनी आँखों से निहारते हुए कहा।
"ठीक है सर..." —कहते हुए दिव्या हरीश के ऑफिस के कंप्यूटर के सामने बैठ गयी और पुलिंदे के डाटा को कंपनी की साइट पर फीड करने लगी।
"इस वैलेंटाइन पर क्या कर रही हो? —हरीश थोड़ा अनौपचारिक होते हुए बोला।
"कुछ नहीं सर..." —दिव्या अपने काम में व्यस्त रहते बोली।
"कमाल है, कोई बॉय फ्रेंड नहीं है क्या?" —हरीश आश्चर्य के साथ बोला।
"है न सर, मेरे पति..." —दिव्या संक्षिप्त सा जवाब देकर अपने काम में व्यस्त हो गयी।
"अरे मैं पति की नहीं बॉय फ्रेंड की बात कर रहा हूँ। —हरीश सकपका कर बोला।
"मेरे लिए मेरे पति सब कुछ है ।" —दिव्या ने पुनः अपने आपको व्यस्त दर्शाते हुए कहा।
"दिव्या तुम्हें पता है तुम्हारा प्रमोशन क्यों नहीं हो पा रहा है?" —हरीश अपनी कुर्सी से उठते हुए बोला।
"एक मिनट सर, ऑफिस का नेट स्लो है जरा मैं अपने मोबाइल का हॉटस्पॉट ऑन कर लूँ।" —कहते हुए दिव्या अपने फोन की स्क्रीन के साथ व्यस्त हो गयी और अपने पति विशाल को फोन लगा दिया।
"कर लो ऑन।" —कहते हुए हरीश उसके फोन की ओर देखने लगा और पुनः बोला— "दिव्या तुम्हारा प्रमोशन ड्यू है और तुम्हें जरा भी परवाह नहीं है।"
"सर मैंने चेक किया था हेड ऑफ़िस में, मेरी सी. आर. और दूसरी फोर्मलिटीज़ पूरी है।" —दिव्या डाटा फीडिंग का कार्य जारी रखते हुए बोली।
"बिलकुल सही, लेकिन प्रमोशन अभी तक क्यों नहीं हुआ?" —हरीश उसके पीछे आकर खड़ा होते हुए बोला।
"मुझे पता नहीं सर..." —दिव्या अपने पीछे उसकी उपस्थिति से असहज होते हुए बोली।
"पता करो ना..., अलका से पूछो, यू. एस. ए, ब्रांच की हेड मोहिनी से पूछो ।" —हरीश उसके कंधे पर अपने हाथ रखते हुए बोला।
"मुझे पता है सर, उन्हें भी आप ऑफ़िस ऑवर के बाद ऐसे ही रोक लेते थे, उनकी ऑफ़िस ऑवर के बाद की वो पर्फोर्मंस ज्यादा अच्छी रही होगी तभी प्रमोशन पा गयी वो।" —दिव्या ने हरीश के हाथ अपने कंधे से हटाते हुए कहा।
"तो समझदार बनो ऑफ़िस ऑवर के बाद की वो पर्फोर्मंस अच्छी करो।" —हरीश नाराज़ होते हुए बोला।
"वो कैसे सर?" —दिव्या डाटा फीडिंग बंद करते हुए बोली।
"इतनी नादान तो नहीं हो..., सिंपल सा रूल है बॉस को खुश करो, प्रमोशन पाओ।" —हरीश उसकी आँखों में देखते हुए बोला।
"नहीं तो...?" —दिव्या ने पूछा ।
"तो कम्पनी से छुट्टी, कम्पनी रूल।" —हरीश चिढ़ता हुआ बोला।
"सर आपने प्रमोशन के लिए क्या किया था?" —दिव्या ने पूछा।
"अपनी सेल परफॉर्मन्स से कम्पनी को फायदा पहुँचाया था, मुझसे अपनी तुलना कर रही हो?" —हरीश तमक कर बोला।
"आपकी सेल परफॉर्मन्स को तो बहुत पहले कवर कर चुकी हूँ सर अब तो ये ऑफ़िस ऑवर के बाद वाली परफॉर्मन्स ही बची है।" —दिव्या शांत रहते हुए बोली।
"एग्ज़क्टली, देख क्या रही हो, परफॉर्म करो प्रमोशन पाओ।" —हरीश दिव्या की आँखों में झांकते हुए बोला।
"सर एक परफॉर्मन्स अभी बची है आपकी, हमारे बीच का ये सब वार्तालाप मैंने अपने पति को भेज दिया है, वो किसी भी टाइम पुलिस लेकर आते होंगे, अब आपको अरेस्ट होना है और कोर्ट के सामने अपनी अच्छी परफॉर्मन्स दिखानी है की किस प्रकार अपनी अधीनस्थ का यौन शोषण करते है आप?" —दिव्या उठते हुए बोली।
उसी समय उसका पति विशाल पुलिस के जत्थे का साथ हरीश के केबिन में आ पहुँचा।