कमला काकी
कमला काकी
" अरे कमला काकी तुम यहां कैसे ?" चेताली हैरानी से बोली।
" हां बहुरिया मुझे पता लगा तुम्हारी काम वाली काम छोड़ गई तो सोचा पूछ लूं कि मैं वापिस से आ जाऊं !" कमला काकी बोली।
" पर काकी आप इस उम्र में फिर से काम करने आई हैं सब ठीक तो है ना ?" चेताली बोली।
" हां बहुरिया !" ये कहकर कमला काकी जमीन पर बैठ गई उनकी आंखों में आंसू थे जो चेताली से छिपे नहीं।
" काकी आप रो रही हो ?" चेताली हैरानी से बोली।
" नहीं बहुरिया वो क्या है ना की बाहर धूल उड़ रही शायद कोई तिनका गिर गया हो....आप मुझे काम बता दीजिए फिर मुझे घर भी जल्दी जाना है !" कमला काकी उठते हुए बोली।
" रुको कमला काकी बैठो वापिस और मुझे बताओ बात क्या है आखिर ?" चेताली कमला काकी को वापिस बैठती हुई खुद भी जमीन पर ही बैठ गई।
कमला काकी चेताली के यहां कई साल से नौकरी करती थी जब चेताली दुल्हन बन इस घर में आई उससे पहले से उम्र में काफी बड़ी होने के कारण चेताली के पति, देवर ननद सब उन्हें काकी बोलते थे चेताली भी काकी ही बोलने लगी। काकी एक किस्म से घर की सदस्य ही थी चेताली की सास की विश्वासपात्र थी वो उनकी मृत्यु के बाद भी काकी चेताली के यहां काम करती रही। कमला काकी अपने परिवार के बारे में ज्यादा नहीं बताती थी पर हां इतना पता था उनका बस एक बेटा है पति की मृत्यु बेटे के बचपन में ही हो गई थी। आज से चार साल पहले कमला काकी ने ये कहकर नौकरी छोड़ दी थी कि उनके बेटे को दूसरे शहर अच्छी नौकरी मिल गई और वो अपने बेटे बहु पोते पोती के साथ वही जा रही हैं। चेताली को ये सुनकर काकी के जाने का दुख तो हुआ था पर उनके बेटे की तरक्की देख खुशी भी हुई थी कि चलो काकी को अब घर घर काम नहीं करना पड़ेगा। पर आज ऐसा क्या हुआ जो काकी को वापिस उसी शहर में और अपने उसी काम पर लौटना पड़ा।
" वो बहुरिया...!" काकी कुछ बोलते हुए सकपका रही थी।
" बोलो काकी मैं तो आपकी बहुरिया हूं फिर मुझसे कैसा संकोच !" चेताली आत्मीयता से बोली।
" बहुरिया जब हम उस शहर गए बहुत ही खुश थे हमारे बेटे को इतनी अच्छी नौकरी मिली थी ...पर उस शहर ने तो हमारा सब कुछ छीन लिया ...शुरू में सब अच्छा रहा फिर हमारा बेटा शराब का आदि हो गया ...रोज पीकर आता बहु पर हाथ भी उठा देता ...बच्चे भी सहमे रहते फिर एक दिन ....!" काकी इतना बोल सुबक पड़ी।
" क्या एक दिन काकी क्या हुआ था ?" चेताली अधीरता से बोली।
" एक दिन वो बहुत पीकर आया और बहु को मारने लगा मैं बीच में आई तो उसने मुझे कमरे से बाहर निकाल कमरा बंद कर दिया और बहु को बहुत मारा ...अगले दिन हम उठे तो हमारी दुनिया उजड़ चुकी थी बहु अपने कमरे में पंखे से लटकी थी ...सारे मोहल्ले को हमारे घर के झगड़ों का पता था तो पुलिस हमारे बेटे को पकड़ कर ले गई ...बहु ने आत्महत्या की थी पर उसे उकसाने के जुल्म में बेटे को सजा हो गई हमने भी अपने बेटे के खिलाफ गवाही दी थी!" काकी फफकते हुए बोली।
" क्या...!!" चेताली हैरान रह गई।
" और नहीं तो क्या हमारी मासूम बहु ने इतना बड़ा कदम उसके कारण ही तो उठाया उसे सजा तो मिलनी चाहिए थी ना ...बस उसे सजा दिला अपने पोते पोती को ले हम वापिस यहीं आ गए क्योंकि वहां उनके बाप के कारनामे उन्हें जीने ना देते। " कमला काकी बोली।
" काकी सलाम है आपको आपने वो कर दिखाया जो किसी साधारण मां करने की सोच भी नहीं सकती ...अब आप कहां रहती हैं ?" चेताली उस असाधारण मां के आगे नतमस्तक थी।
" अभी अपनी बहन की खोली पर हूं जैसे ही पैसे का बंदोबस्त होता है किराए की खोली लूंगी !" काकी आंसू पोंछते बोली।
" काकी आप पीछे वाली कोठरी में आ जाओ यहां आप अपने पोते पोती की देखभाल भी कर पाओगी और काम भी !" चेताली ने कुछ सोचते हुए कहा।
" बहुत बहुत आभार बहुरिया !" काकी ने हाथ जोड़ दिए।
" नहीं नहीं काकी मैं भी तो आपकी बहुरिया हूं ना ...जाओ आप बच्चों को ले आओ फिर कल से काम शुरू करना !" चेताली ने कहा ।
कमला काकी उठकर चल दी चेताली उन्हें देखते हुए सोचने लगी की सच में कुछ लोगों के लिए जिंदगी किसी जंग से कम नहीं है बेचारी काकी ने अपने बेटे को मेहनत करके अपने दम पर पाला अब बेटे के बच्चों को पालने के लिए भी खुद ही मेहनत करनी पड़ रही है वो भी इस उम्र में।