कमाई
कमाई
आज भी हरखू जब काम पर जा रहा था तो झुनिया उसको बड़ी आशा की नजर से देख रही थी मानो पूछ रही थी कि आज उसे काम तो मिल जाएगा न. हरखू उसकी तरफ देख आंखों के इशारे से आश्वस्त कर बच्चों के पास गया. मुनिया और चिंटू दोनों सो रहे थे.हरखू उनकी पीठ पर हल्के हाथों से थपथपाने लगा .बच्चे इस इस बात से अनजान गहरी नींद नींद में सो रहे थे .हरखू मन ही मन कुछ सोचता हुआ घर से बाहर निकल गया .उसके जाने के बाद झुनिया सोचने लगी कहीं आज भी उसे काम ना मिला तो कल की तरह है एक वक्त का खाना ही मिल पाएगा. अपने आप को तो वह किसी भी परिस्थिति में ढाल सकती थी, पर दोनों बच्चों का क्या करें. चिंटू तो सो कर उठते हैं दूध मांगने लगता है और मुनिया को स्कूल भेजना है ,तो उसे भी टिफिन बना कर देना है .इसी चिंता में झुनिया अतीत में खोने लगी. उसे याद आया वह समय जब हरखू के माता पिता उसकी शादी का प्रस्ताव लेकर उसके घर आए थे. उसने जब हरखू को देखा तो वह किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था. उसे लगा मेरे सपनों का राजकुमार तो यही है. हरखू के माता-पिता ने बताया कि वह ज्यादा पढ़ाई न कर सका क्योंकि घर की जिम्मेदारी संभालनी थी .जब काम धंधे की बात आई तो उसके पिता ने बताया की हरखू घरों में रंगाई पुताई का काम करता है. मैंने सोचा कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता बस काम में ईमानदारी होनी चाहिए. यह सोच कर उसने शादी के लिए हां कर दी. शादी के बाद कुछ दिन तक तो बहुत अच्छा चला पर अचानक एक दिन हरखू के पिता को हार्ट अटैक आया और उनका देहांत हो गया. इसके ठीक एक वर्ष बाद उसकी मां भी चल बसी. इन दो घटनाओं से हरखू जैसे टूट गया. अकेले में बैठा शून्य की तरफ देखता रहता . झुनियाने बहुत समझाया .अपने बच्चों का वास्ता दिया और काम पर जाने की सलाह दी .आखिरकार हरखू मान गया और काम की तलाश शुरू कर दी पर उसे काम मिलने में बहुत दिक्कत आने लगी क्योंकि उसने कई लोगों के काम करने से मना कर दिया था .अब लोग यह सोचने लगे थे कि वह कभी काम नहीं करेगा इसलिए धीरे-धीरे काम मिलना बंद हो गया था .घर में पैसों की कमी के कारण दुनिया को घर चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था. उसकी स्थिति को देखकर उसकी माँ उसकी मदद करना चाहती थी पर दुनिया को यह पसंद न था. उसने सोचा लोगों के घरों में काम करके कुछ पैसे मिल जाएंगे जिससे उसका गुजारा हो जाएगा .जैसे तैसे करके उसे एक घर में काम मिल गया. चिंटू बहुत छोटा था उसे घर में अकेले छोड़ना मुश्किल था .वह चिंटू को लेकर काम पर गयी तो पहले दिन है मेम साहब ने कहा "तुम्हारा बेटा बहुत शोर करता है इसे कल से मत लाना .इसके शोर की वजह से मैं सो नहीं पाती हूँ ."
झुनिया सोचने लगी यह बड़े घर के लोग कितने छोटे दिल वाले होते हैं .इनके घर में इनके अपने बच्चों के शोर से इन्हें कोई दिक्कत नहीं होती और मेरे बच्चे इन्हें काटने दौड़ते हैं.खैर जैसे तैसे दिन गुजर रहे थे कि एक दिन हरखू शाम में लौटा तो उसके हाथ में मिठाई का डब्बा और मेरे लिए गजरा था. मैं देखते ही समझ गई कि उसे काम मिल गया है .उसने खुश होकर बताया कि एक बड़े बंगले में उसे रंगाई पुताई का काम मिल गया है .आमदनी अच्छी होगी. मैंने ईश्वर का शुक्रिया अदा किया. एक महीने तक काम चलता रहा और पैसे आते रहे पर बरसात का मौसम आते ही हरखू को काममिलना बंद हो गया .इस बार की बरसात तो जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी. उसके गृहस्ती पर यह बरसात ग्रहण बन गई थी. हर रोज हरखू काम की तलाश में निकलता पर बरसात की वजह से घर वापस आ जाता .आकाश में काले बादल आते हैं तो मन में आशंका के बादल मंडराने लगते .अब तो यह बादल बड़े डरावने लगने लगे थे. अपने इसी सोच में डूबती उतरती झुनिया बेटी को स्कूल जाने के लिए उठाने लगी और किचन में पड़े उन खाली डब्बे को देखने लगी. क्या आज उसमें कुछ भर पाएगी काश आज हरखू की कमाई...
