खूनी चाय
खूनी चाय
दीपक ऑफिस से आज यूं ही तफरी के मूड में निरंजन के साथ एक रेस्टोरेंट में आ गया था। सामने नज़र पड़ते ही अचानक वो चौंका एक स्त्री थी लंबी चोटीवाली, उसकी पीठ ही दिख रही थी। वो किसी के गले लगी हुई थी। युवक का चेहरा वो साफ देख पाया। उसने उसे कभी पहले नही देखा था ।सुषमा?? उसकी पत्नी???
कोई शक नही था। ह्रदय की धड़कने बढ़ी जा रही थी , वो जल्दी से निरंजन का हाथ पकड़ कर बाहर आया "निरंजन तुम चलो घर पर बहुत जरूरी काम है, चाय फिर कभी----"
निरंजन हैरानी से उसे देख रहा था , उसके मुंह पर हवाइयां उड़ रही थी। "सब ठीक तो है?"?, "हाँ" दीपक ने जवाब दिया और लंबे लंबे कदम रखता और फिर लगभग भागता हुआ ही घर पहुंचा ।
वो सुषमा के आने से पहले ही घर पहुंच जाना चाहता था। 6 बजे थेअभी सुषमा के आने में आधा घंटा था।बहुत दिनों से निर्विकार सी रहने वाली सुषमा आजकल बेवजह ही खुश रहने लगी थी और जाने क्यों उसे सुषमा पर शक होने लग गया था।
उससे कुछ पूछने के बजाय क्रोध उसके दिमाग पर हावी होने लगा।वो सुषमा के लिए चाय तैयार करके ( उसमे एक विष की पुड़िया डाल चुका था) चाय का गिलास मेज पर रख, घड़ी की ओर नजर डाल वो सुषमा का इंतज़ार कर रहा था।तभी राहुल उसके बेटा क्रिकेट का बैट लिए कमरे में दाखिल हुआ।
"अरे वाह! चाय भी तैयार है?" दीपक जब तक उसको रोकता वो चाय के दो बड़े बड़े घूंट ले चुका था। दीपक उठा और उसने राहुल के चाय पकड़े वाले हाथ पर कस कर मारा चाय का ग्लास जमीन पर गिर कर टूट चुका था।
"पापा क्या हुआ?" और ये कहते कहते राहुल धड़ाम से जमीन पर गिरा।
दीपक उसकी ओर लपका, "राहुल-----"
राहुल की गर्दन एक ओर लटक चुकी थी, तभी बाहर से सुषमा की आवाज़ आई "दीपक देखो मैं किसको लेकर आई हूँ मेरे मामा का लड़का, -------"
आगे की बात उसके मुंह मे रह गई, वो चिल्लाती हुई राहुल की ओर भागी, दीपक बेहोश हो चुका था।
सुनील की सहायता से अस्पताल पहुंची सुषमा बिलख कर रो पड़ी जब पता चला राहुल अब नही रहा। उफ्फ-----दीपक को होश आया चुका था। सुषमा ने हौले से उसके कंधे पर हाथ रखा, "कौन हो तुम?" चिल्लाकर उसने पूछा, डर उसकी आँखों मे साफ दिख रहा था।
शायद इस दुर्घटना से मानसिक संतुलन खो बैठा था। तभी सुनील ने चाय का ग्लास लिए कमरे में प्रवेश किया। जीजा चाय पी लो और दीपक ग्लास की ओर उंगली उठा कर बेतहाशा चिल्ला रहा था "खून! खून-----"