खुशबू
खुशबू
"सोनी जरा वो स्प्रे का डब्बा तो देना........." निशा ने आवाज लगाई।
निशा की काम वाली बाई अक्सर अपनी चार साल की बच्ची को भी साथ ले आती है जब तक वो साफ सफाई करती सोनी चुप-चाप एक जगह बैठी रहती; कभी निशा या उस की मम्मी कुछ मांग लेती तो वो तुरंत उठा के देती और ऐसे आशा भरी निगाह से देखती जैसे बहुत अच्छा काम किया अब उसकी तारीफ होनी चाहिए।
"क्या मम्मी आप भी!! चिमनी चला लिया करो, भूल क्यों जाती हो अब देखो पराठे की महक पूरे घर मे फैल गई है........." निशा कमरे में स्प्रे करते हुए अपनी माँ पर गुस्सा कर रही थी।
"दीदी ये क्या कर रही हो?" सोनी ने सवाल कर दिया।
"खुशबू कर रही हवा में, तुम को अच्छी लगी?" निशा ने पूछा।
"नही........" सोनी ने दो टूक बोल दिया।
"अरे नही लगी, तो किस की खुशबू तुम को पसंद है?" निशा बोली।
"मुझे रोटी-पराठे की खुशबू ही पसंद है।" सोनी मासूमियत से बोली।