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Rajeev Rawat

Tragedy

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Rajeev Rawat

Tragedy

खिलवाड़ - - लघु कहानी

खिलवाड़ - - लघु कहानी

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सारे अस्पताल में हड़कंप मच गया था, अभी अभी अस्पताल के डायरेक्टर डाक्टर अनुभव की पत्नी को एंबुलेंस से लाया गया था। वह अपने भाई की शादी में गयी हुईं थीं और वहां पर उन्हें कोराना हो गया। घर पर आइसोलेट किया गया तथा दवा दी गयी किंतु आक्सीजन लेबल कम हो गया, लंगस में इन्फेक्शन हो जाने से यहां लाना पड़ा। 

डाक्टर अनुभव मजबूरी बस नहीं जा पाये थे क्योंकि बहुत सालों बाद डाक्टरों की भाषा में कमाने का सीजन आया था और ऐसे मौके को भला कौन छोड़ना चाहता है। 

कोराना की वीभत्स नजरें मानवों को डस रहीं थीं और इसी का फायदा कुछ डाक्टरों और अस्पतालों द्वारा उठाया जा रहा था। यह डाक्टर अनुभव का अस्पताल बिकने की कगार पर आ गया था किंतु अचानक आयी कोराना महामारी ने आय के स्रोत खोल दिये थे।

खाली पड़े अस्पताल को कोविड अस्पताल घोषित करवा दिया था। सारा अस्पताल भर गया था। 

  जांच में घपले शुरू हो गये, निगेटिव और पोजिटिव का खेल तेजी से चलने लगा। साधारण आदमी या तो कोराना से मर रहा था या उसके ईलाज के खर्चे से। आक्सीजन की आवश्यकता हो या न हो लेकिन बिल बढ़ाने के लिए लगाई जा रही थी, रेमडेसिवर इंजेक्शन की आवश्यकता न होने पर लगवाये जा रहे थे।

डाक्टर अनुभव जैसे सभी डाक्टर देखते देखते रूपयों से खेल रहे थे। अब नया खेल अस्पताल में शुरू हो गया। देखा देखी रेमडेसिवर इंजेक्शन की कालाबाजारी होने लगी। रू2000 से 6000 में बिकने वाला पचास पचास हजार में बिकने लगा तो डाक्टर अनुभव का लालची मुंह सुरसा की तरह फैल गया। सभी मरीजों से रेमडेसिवर इंजेक्शन मंगवाये जाने लगे तथा जिनको आवश्यकता भी नहीं थी, उनको कोई भी इंजेक्शन लगा कर रेमडेसिवर लगाया बताया जाने लगा और वह ओरिजल इंजेक्शन फिर अपने ही एंजेटों से मुंह मांगी कीमत पर बिकवाया जाने लगा।

अब डाक्टर अनुभव के मुंह में खून लग गया था, अब गुप्त रूप से रेमडेसिवर के खाली शीशी में पुनः डिस्टिल वाटर या ग्लुकोज या कोई विटामिन मिला कर भर दिया जाने लगा और अनाप-शनाप दामों में बिकवा दिया जाता। जिनको सच में आवश्यकता होती उनको ओरिजल लगाया जाता और बाकी को नकली। इस की पहचान के लिए नकली वाले में एक रेड बिंदु बहुत छोटी बना दी जाती। यह बात बस कुछ खास लोगों ही पता थी और रूपयों की बंदरबांट हो जाती।

 डाक्टर अनुभव अपनी पत्नी की हालत देखकर टेंशन में थे। उनको उनके केबिन में आराम करने दिया और सारे डाक्टरों की टीम मिसेज अनुभव के इलाज में लग गयी थी। आक्सीजन लगा दिया गया था और रेमडेसिवर का इंजेक्शन भी लगाने के लिए स्टोर से मंगाकर लगा दिया गया। 

थोड़ी देर डाक्टर अनुभव ने आकर स्थिति देखी और उन्हें ट्रीटमेंट के बारे में बताया गया कि रेमडेसिवर इंजेक्शन भी स्टोर से मंगा कर लगा दिया गया। कुछ देर बाद अचानक रिएक्शन होने लगा और हार्ट अटैक आया। तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया न जा सका। डाक्टर अनुभव ने वहां रखे रेमडेसिवर इंजेक्शन की शीशी देखी तो सर पकड़ कर बैठ गये। दुर्भाग्य बस पुरानी सिस्टर छुट्टी पर थी और नई को इस गोरखधंधे का पता नहीं था। 

अमानवीय लिखे गये इतिहास का अंत ऐसा दारूण ही होता है। जो कलम दूसरों की तकदीर लिख रही थी, वहीं विधाता उसी कलम से उनकी तक़दीर भी लिख रहा था। सच कहते हैं उसकी लाठी में आवाज नहीं होती, दूसरों के लिए खोदे गड्ढे में स्वयं गिर जाते हैं। 


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