STORYMIRROR

minni mishra

Inspirational

4  

minni mishra

Inspirational

खास दोस्त

खास दोस्त

3 mins
477

“हाय रवि।“

 “तुम. ..? यहाँ..?” 

“हाँ, दू...र से ही तुम दिख गये।काफी दिनों बाद मिले हो, चलो इसी सामने वाले रेस्टुरेंट में बैठकर बातें करते हैं। ” अपने कार का दरवाजा और शीशा लाॅक कर मैं रवि के साथ रेस्टुरेंट में घुस गई। 

“ बताओ, क्या...पिओगे ?” 

“जो पिलाओगी.” 

“ मुझे सब पता है, तुम जैसे चंदन का टीका लगाने वाले और लंबी शिखा रखने वाले व्यक्ति ... चाय-कॉफ़ी के अतिरिक्त कुछ पी ही नहीं सकता है !”

 “अरे..यार! कसम से.. जो पिलाओगी, आज पी लूँगा।" ब्लैक जींस और गुलाबी टी शर्ट में ! उफ्फ्फ.. ! तुम सचमुच बहुत स्मार्ट लग रही हो।” रवि ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया। 

“अरे वाह...! शादी होते ही इतना परिवर्तन ! अब तुम अच्छा मजाक कर लेते हो ! चलो, फिर मैं अपनी पसंद की बियर मंगवाती हूँ।”

 "जरूर ।" उसने मुस्कुराकर कहा । 

कुछ तो बात है... जिस ‘शराब’ शब्द के नाम से रवि को इतनी घृणा थी, आज, अचानक से...?! मैंने उसके मन को टटोलना चाहा ।

 " अच्छा रवि, पहले ये तो बताओ, बीबी कैसी लगी ? हनीमून कैसा रहा ? देखो, कुछ छुपाना नहीं..।मैं, तुम्हारी क्लासमेट ही नहीं ख़ासम- खास दोस्त हूँ।शुरू से ही हम साथ बैठकर पढ़े हैं और गप्पें भी हांकते रहे । हाँ, हमारे संस्कार में फर्क जरूर है ... तुम, पुरातन विचारधारा के..और मैं ...मॉड , हा..हा..हा..| ” बियर का ग्लास रवि के हाथ में थमाते हुए, मैं जोर से हँसने लगी। 

“अरे...छोड़ो हनीमून की बातें ...कुछ भी अच्छा नहीं रहा ! लेकिन , एक बात तुम्हें कह देता हूँ, अच्छी तरह से देख कर ही शादी करना ...बिल्कुल अपनी पसंद का । वरना, मेरी तरह ...! ” बात को अधूरा छोड़ , रवि ने एक ही सांस में सारा बियर गटक गया। 

“पर..क्यूँ..? बीबी अच्छी नहीं लगी ? शादी से पहले उसे देखा नहीं था क्या ? या.. ? ”

 “हाँ...एकबार देखा था..! बस, चेहरा ही देखता रह गया ! उसकी हाई-हील सेंडल...पर नजर ही नहीं गयी ! अब समझ में आया कि ... शायद, इसलिए ही उसे साड़ी पहना कर मुझे दिखाने लाया गया था ! वो कंधे के बराबर भी नहीं है मेरी...।अब तुम ही बताओ, कहाँ मेरी लम्बाई और कहाँ उसकी ! उसके साथ बाहर निकलने में शर्म आती है मुझे ... ! लोग तो देखकर यही सोचेंगे ना कि दहेज़ के कारण ही मैंने ऐसी शादी की।मुझे संस्कारी लड़की चाहिए थी...इसका मतलब ये तो नहीं.. कि बेमेल ! कभी-कभी माता -पिता भी स्वार्थी हो जाते हैं! बेटे के विवाह में उन्हें खुद के सपने सजने लगते हैं ।”

 मैं, हतप्रभ उसे देखती रही ! नशा उसकी आँखों में पतले लाल धागों की तरह, स्पष्ट नजर आ रहा था।” “रवि.. सोचो ज़रा । स्त्री-पुरुष दोनों को सानिध्य की जरूरत होती है ना? पत्नी पाकर भी तुम प्यासे हो ...सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा।हाइट में छोटी है तो क्या हुआ ? इस मॉडर्न जमाने में भी एक शख्स ने स्वेच्छा से एसिड अटैक वाली लड़की को अर्धांगिनी बनाया है ? और एक तुम हो..! जो संस्कारवान होकर भी , हाइट को लेकर अपनी बीबी से... उफ्फ ! तरस आ रही है, तुम्हारे पुरातन संस्कारों पर ! छी: ! ” 

कुछ देर के लिए सन्नाटा पसर गया...आधुनिक संस्कार, पुरातन संस्कार को तरेरने लगे। 

अचानक , रवि हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। माफ कर दो मुझे । आधुनिकता की लिबास ओढने के बाद भी तुममें संस्कार जीवित है और मैंने अपने पुरातन संस्कार से ..! ओह! काश , कुछ भी सीख पाता ! आज मेरी आँखें तुमने खोल दी ..।अब घर जाता हूँ । वो इंतजार करती होगी ।” रवि तेज कदमों से बाहर निकल गया।उसकी आँखों में अब लाल डोरों की जगह, निश्छल आँसू, साफ़-साफ़ झलक रहे थे।मैं एकटक उसे जाते देखती रही..| मेरे आँखों से आँसू के सैलाब उमड़ कर गालों को भीगोने लगे ...।

 ' आखिर, वो मेरा बेहद ख़ास दोस्त है । कुछ आँसू उसके सुखी जीवन के लिए भी बनते थे । ' मैं खुद को समझाने लगी।

 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational