कहानी
कहानी
कुछ पल जो आज भी उसी तरह तरो ताजा हैं जैसे कल की बात हो। उस हादसे को शब्दों का रूप तो तभी दे दिया था,पर कागज पर उतारने में समय लग गया । बहुत छोटी थी कहानी ,यही 7-8 वर्ष की।हर दोपहर पड़ोस के बच्चे इकठ्ठे होकर आमों के पेड़ों के पास खेलते थे। उस दिन होनी को होना था - - बड़ा प्यारा सा नाम था उसका भोमू, जो हर दरवाजे पर गया कि कोई तो उकहानीस के साथ खेले, मगर कोई बच्चा भी खेलने के लिए घर से बाहर नहीं आया वो अकेला ही गली और बाजार से गुजरता हुआ तालाब के रास्ते की ओर जाने लगा। उस गर्मी की दोपहर में सब घरों में आराम कर रहे थे।अपनी ही धुन में वह जा रहा था कि भीखू ने उसे आवाज दी।
थोरी देर बाद भीखूू जिद्द करने लगा कि चलो तालाब पर पानी पीकर फिर खेलेंगे।दोनों तालाब की ओर गए,पानी पीया अचानकभोमू का पैर फिसल गया और वो तालाब में गिर गया।भीखूू डर गया। उस वक्त आस - पास कोई नहीं था।भीखूू वहां से भाग गया वो बहुत सहमा हुआ था, उसने किसी को कुछ नहीं बताया।शाम को जब गांवों की औरतें पानी भरने गईं तो तालाब में तैरती हुई लाश को देख कर चिल्ला पड़ीं,पूरा गांव इकट्ठा हो गया।भोमू की लाश फूलकर तैर रही थी,उसे हॉस्पिटल ले कर गए परन्तु सब बेकार।मौत के पंजे से उसे कोई नहीं बचा सका।
वो मासूम छह साल का बच्चा,सब साथियों को छोड़ कर चला गया। मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि अंतिम बार उसे देख लूं।मुझे यकीन नहीं होता कि वो इस दुनिया में नहीं है।काश - उस दिन कोई उसके साथ खेलने लग जाता तो ऐसा न होता, आज भी जब वो हादसा याद आता है तो दिल भर उठता है।
