खाना बनाये पति हमारे
खाना बनाये पति हमारे
मैंने पत्नि से कहा "मुझे यहां भोजन की बड़ी समस्या हो रही है। मुझे खाना बनाना आता नहीं और होटल के भोजन से मेरा, पेट भरता नहीं। क्या करूं?"
पत्नि ने कहा "ठीक है, एक सप्ताह के लिए मैं तुम्हारे पास आ रही हूँ। काम चलाने लायक, मैं तुम्हें खाना बनाना सीखा दूंगी। "
मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वक्त मुझसे, भोजन भी तैयार करवायेगा।
वाकया है वर्ष 2005 का। मैं सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, कटनी (मध्यप्रदेश )शाखा में प्रबंधक के पद पर पदस्थ था और हमारा परिवार दुर्ग (छत्तीसगढ़)में रहता था।
मुझे लगभग अकेले ही, कटनी में रहना पड़ता था। हमारे पुत्र 10वीं तथा 12वीं कक्षा में अध्धयनरत थे। उनकी शिक्षा को ध्यान में रखकर, परिवार के साथ मेरी पत्नी दुर्ग (छत्तीसगढ़)में रहती थी।
जो व्यक्ति एक गिलास पीने का पानी, खुद से कभी नहीं लिया था। उसने अपने हाथों से, स्वयं के लिए भोजन तैयार करना सीखा था। वह कोई और नहीं, मैं स्वयं था। शुरू में कष्ट होता था। रात्रि जब मैं बैंक से घर आता था तो, भोजन तैयार करने में जुट जाता था। वह भी दो समय का। ताकि सुबह मैं, शेष भोजन को गरम करके उपयोग कर सकूँ, फिर कभी मिर्ची तेज, कभी नमक कम, कभी चावल अधपका, कभी रोटी श्रीलंका का नक्शा बन जाती थी वगैरह। परंतु आनंद खूब आता था। खाना जो मैं खुद से बनाया होता था।
मैं नौकर रख तो सकता था। किन्तु बैंक और खुद की सुरक्षा के कारण नहीं रखा। हमारी कटनी शाखा जिला मुख्यालय की ब्रांच थी और मैंकिसी को नौकर रखकर किसी परेशानी में पड़ना नहीं चाहता था। मैंने वर्षों तक ,अपने हाथों से खुद कि भोजन तैयार किया था।
एक बार पत्नि बच्चों सहित कटनी आयी। पुत्रों ने मुझसे कहा "मम्मी कहती है कि, पापाजी आप तो बढ़िया भोजन बना लेते हैं। आज रविवार है। आप हमारे लिए, अपने हाथों से भोजन बनाइये।"
मैंने कहा "ठीक है, किन्तु हमारी एक शर्त है। आपकी मम्मी हमें भोजन तैयार करने में ना कोई मदद करेंगी ना ही कोई सलाह देंगी "
सभी सहमत हो गये। मैंने कहा "आप सभी मम्मी के साथ, मूवी देख आओ। हमें भोजन तैयार करने में, समय लगेगा और आप लोग बोर हो जाओगे। "
मेरे इस प्रस्ताव से सभी खुश हो गये। मुझे ब खाना तैयार करने में शांतिपूर्ण वातावरण मिल गया था।
मैंने भोजन तैयार किया। सभी साथ बैठकर भोजन करने लगे। पुत्रों ने कहा "पापाजी, हमें तो यकीन नहीं हो रहा है। आपने भोजन तैयार किया है। भोजन स्वादिष्ट है। मजा आ गया। अब हम तीनों भाई भी भोजन तैयार करना सीखेंगे। इस तरह मम्मी की मदद हो जाएगी। आपकी तरह कभी हमें भी अकेले रहना पड़ेगा तो यह सीखा हुआ काम आयेगा। रियली यू आर बेस्ट पापाजी। "
मैंने बच्चों से कहा "आप सभी मेरी बात ध्यान से सुनो। जिंदगी सभी की परीक्षा लेती है और वक्त हमें आजमाता रहता है। परीक्षा में जो उत्तीर्ण होते हैं, उन्हें जिंदगी अपने अनुभवों का खजाना दे जाती है। अतः हमें कुछ ना कुछ नया करते रहना चाहिए और जीवन में आनंद से जीना चाहिए। चाहे परिस्थिति कितनी भी विपरीत हो ,हमें हार नहीं माननी चाहिए। और बड़ी बात, इसे ही तो जिंदगी कहते हैं।"