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Arvina Ghalot

Tragedy

3  

Arvina Ghalot

Tragedy

खामोशी

खामोशी

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कामिनी लेबर रुम की टेबल पर लेटी पेट पर हाथ रख कोख की बालिका के अंगों की हरकतों को महसूस कर रही थी।

कामिनी खुद को एकाग्र चित्त कर उसके दिल की धड़कनें सुनने लगी।

उफ़ ! ये औजार तेरी तरफ बढ़ते हुए महसूस हो रहे हैं।

मेरा पति एक कठोर दिल इंसान हैं। बेटी किस मुंह से कहूँ तुम्हारा जन्मदाता ही नहीं चाहता तुम इस दुनियां में आओ। कामिनी के ऊपर नीम बेहोशी छाती जा रही थी। सब कुछ शुन्य में बदल रहा था। बेहोशी टूटने पर पीड़ा से कराहती कामिनी ने पेट पर हाथ रखा तो हलचल खामोश हो गई थी। कोख से निकली खूबसूरत सी काया अब अचल हो गई थी।

कामिनी से देखा ना गया आंखों को बंद कर दोनों हाथों को आपस भींचकर खुद से कहा ?

 हे ईश्वर ! ऐसी कन्या विदाई किसी माँ को न करनी पड़े। आहत ह्रदय लिए घर की दहलीज पर कदम रखा तो अवाक देखती रह गई कोख की कन्या को मिटाकर आज घर में कन्या पूजन की तैयारी की जा रही थी।


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