प्रत्येक अनुपलब्धता के बावजूद, संघर्षरत रहे गंगाधर जी आज अंततः अपने प्रयासों पर सफल हुए प्रत्येक अनुपलब्धता के बावजूद, संघर्षरत रहे गंगाधर जी आज अंततः अपने प्रयासों पर ...
आज भी जब लोग उस जंगल को देखते हैं तो उन्हें मेरा खौफ सताता है। आज भी जब लोग उस जंगल को देखते हैं तो उन्हें मेरा खौफ सताता है।
जिम्मेदारियों के चलते बहती रहती हैं। हम नादान। जिम्मेदारियों के चलते बहती रहती हैं। हम नादान।
आज के बाद झूठ का कभी सहारा मत लेना और ना ही सच को छुपाने की कोशिश। आज के बाद झूठ का कभी सहारा मत लेना और ना ही सच को छुपाने की कोशिश।
महर्षि दुर्वासा का चरित्र अनेकों बार कठोर लगता है महर्षि दुर्वासा का चरित्र अनेकों बार कठोर लगता है
"पापा! जितनी ग्रेट ममा है उससे कहीं अधिक ग्रेट आप है। मैं सचमुच में लकी हुं! "पापा! जितनी ग्रेट ममा है उससे कहीं अधिक ग्रेट आप है। मैं सचमुच में लकी हुं!