STORYMIRROR

Diwa Shanker Saraswat

Others

3  

Diwa Shanker Saraswat

Others

डायरी दिनांक १९/१२/२०२१

डायरी दिनांक १९/१२/२०२१

3 mins
403


 शाम के तीन बजकर पंद्रह मिनट हो रहे हैं ।

 आज रविवार का दिन आराम से गुजरा। वैसे ऐसा भाग्यशाली रविवार कभी कभी ही होता है। अन्यथा ज्यादातर तो रविवार के दिन ही कोई बड़ी समस्या आ जाती है। वैसे अब बहुत कुछ समस्या आनलाइन सर्वरों ने दूर कर दी है। विभिन्न सेवाओं के विषय में विभिन्न ऑनलाइन सर्वरों से जानकारी मिलती रहती है। उसी से पता चलता रहता है कि कौन सी सेवाएं बंद हो गयीं।

 वर्तमान समय इंटरनेट क्रांति का युग है। इस समय इंटरनेट के बिना कोई भी काम संभव नहीं है। इंटरनेट की मदद से कोई भी सूचना कहीं भी आसानी से भेजी जा सकती है। इंटरनेट की मदद से बड़े से बड़े सिस्टमों की जानकारी रखी जा सकती है।

 वैसे यह देखने में बहुत अच्छा लगता है। पर अनेकों बार जिन इंटरनेट सर्वरों की मदद से सेवाओं की जानकारी प्राप्त करते हैं, वे ही सही तरह से काम नहीं करते। इसलिये उचित यही है कि केवल सर्वरों के भरोसे न रहा जाये।


  महर्षि अत्रि और माता अरुंधती के तीन पुत्र और एक बेटी थी। उनके पुत्र महर्षि चंद्रमा बृह्मा जी के अंश, महर्षि दुर्वासा भगवान शिव के अंश, महर्षि दत्तात्रेय भगवान विष्णु के अंश तथा पुत्री अपाला माता आदिशक्ति का अंश कही जाती हैं।


  विभिन्न कथाओं के माध्यम से महर्षि दुर्वासा का पाठक जिस तरह चरित्र चित्रण करते हैं, वास्तव में महर्षि दुर्वासा का चरित्र उससे अधिक उदार है। महर्षि दुर्वासा ने माता कुंती, द्रोपदी, गोपियों पर कृपा की थी। भगवान द्वारिकाधीश श्री कृष्ण की लीलाओं में उनका साथ देकर क्षमा की महत्ता बतायी थी।


  महर्षि दुर्वासा का चरित्र अनेकों बार कठोर लगता है। पर जब वही महर्षि दुर्वासा कुकर्मी और दुराचारी नहुष से इंद्र की पत्नी शची के सतीत्व की रक्षा करते हैं तब उनका चरित्र नारियल की भांति ऊपर से ही कठोर प्रतीत होता है।


  महर्षि चंद्रमा की कथाएं भगवान बृह्मा की कथाओं की ही भांति गुमनाम हैं। पर बाल्मीकि रामायण व तुलसीकृत रामचरित मानस में महर्षि चंद्रमा की एक अनुपम कथा मिलती है। महर्षि चंद्रमा ने ही सूर्य की गर्मी में अपने पंख खो देने बाले गिद्ध संपाती को ज्ञान दिया था। उन्हीं के आदेश पर संपाती भगवान श्री राम के दूतों की प्रतीक्षा समुद्र तट पर कर रहे थे। तथा वानरों को माता सीता की जानकारी भी संपाती ने ही दी थी।


  श्री राम चरित मानस में संपाती वानरों को बताते हैं -


मुनि एक नाम चंद्रमा ओही। लागी दया देखि कर मोही।।


  आज महर्षि अत्रि के पुत्र तथा भगवान विष्णु के अंश महर्षि दत्तात्रेय जी की जयंती है। दत्तात्रेय जी परम विरक्त थे। उनके चरित्र से शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को प्रकृति से प्रति पल कुछ न कुछ सीखना चाहिये जो कि उसे आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ाए।


  महर्षि दत्तात्रेय जी ने अपने जीवन में अनेकों से शिक्षा ली। उनमें से २४ नाम प्रमुख हैं।


(१)पृथ्वी

(२) पिंगला वैश्या

(३)कबूतर

(४) सूर्य


(५)वायु


(६)हिरण


(७)समुद्र


(८) पतंगा


(९)हाथी


(१०)आकाश


(११)जल


(१२)मधुमक्खी


(१३) मछली

(१४) कुरर पक्षी

(१५) बालक

(१६)आग

(१७)चंंद्रमा

(१८) कुमारी कन्या

(१९)तीर बनाने बाला

(२०) सांप

(२१) मकड़ी

(२२)भृंगी कीट

(२३)भौंरा

(२४)अजगर


 सत्य है कि मनुष्य न केवल अच्छे से ही सीखता है अपितु बुराई से भी सीखता है।

 दो दिनों से सर्दी अधिक बढ गयी है। जो कि जरूरी भी है।

 आज के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम। 


Rate this content
Log in